- हाथी का दांत साबित हो रही, एमआरआई मशीन

- मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मैन पावर के लिए शासन को भेजा पत्र

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगर आप एमआरआई कराने की सोच रहे हैं, तो गलतफहमी अपने दिल से निकाल लीजिए। मेडिकल कॉलेज में करोड़ों खर्च कर लगाई गई एमआरआई मशीन हाथी का दांत बन गई है। मैन पॉवर न होने की वजह से मशीन होने के बाद भी पेशेंट्स को एमआरआई कराने के लिए जेब ढीली करनी पड़ रही है। हालांकि इस मामले में मेडिकल कॉलेज प्रशासन का यह दावा है कि एक महीने भर में एमआरआई की सुविधा शुरू कर दी जाएगी, लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई समय या तिथि निर्धारित नहीं की है।

नहीं है मैन पावर

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नेपाल, बिहार के साथ ही आस-पास के जिले से पेशेंट्स इलाज के लिए पहुंचते हैं। एमआरआई की जरूरत को देखते हुए शासन स्तर से मशीन लगाने का निर्देश दिया। 8 करोड़ की लागत से एमआरआई मशीन लगा दी गई। मगर अब मशीन ऑपरेटर, टेक्नीशियन के साथ मशीन चलाने के लिए जरूरी मैन पॉवर न होने की वजह से जांच व्यवस्था ठप पड़ी हुई है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दवा था कि नये साल में एमआरआई जांच शुरू कर दी जाएगी, लेकिन वह दावे भी अभी तक फुस्स हैं।

शर्त का पन्ना फाइल से गायब

मेडिकल कॉलेज में एमआरआई चालू होने से पहले ही जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आ गई। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने टेंडर में कंपनी से तीन साल का करार किया था। इसमें यह शर्त थी कि कंपनी को मैन पॉवर और मेनटेनेंस कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। टेंडर पास तो हुआ लेकिन कमेटी की ओर से तैयार की गई फाइल में से अब शर्त वाला पन्ना गायब हो चुका है। पिछले बार दौरे पर आये प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने भी इसे गंभीरता से लिया और मामले की जांच कराने का आदेश दिया था। मेडिकल कॉलेज प्रशासन के मुताबिक एमआरआई जांच में अभी वक्त लगेगा। क्योंकि कॉन्ट्रैक्टर की ओर से कराया जाने वाला कंस्ट्रक्शन कार्य अभी बाकी है। सीमेंस कंपनी को अभी रिसेप्शन और डॉक्टर्स चैम्बर बनाना है।

मैन पॉवर न होने की वजह से एमआरआई मशीन शुरू नहीं की जा सकी है। इसके लिए शासन से डिमांड की गई है। मैन पॉवर मिलने के बाद जांच सुविधा शुरू कर दी जाएगी।

डॉ। सतीश कुमार, प्रभारी प्रिंसिपल