Ranchi : नवरात्रि में लीजिए संकल्प, बेटियों को बचाओ, आई नेक्स्ट के इस अभियान को रांचीआइट्स का भरपूप समर्थन मिल रहा। नवरात्र के छठे दिन यानी मां के षष्ठी पूजा के दिन, एक ओर मां दुर्गा का पट खुला तो दूसरी ओर, मां के पूजा का आयोजन करने वाली एकमात्र महिला संघ, मातृ संघ पूजा कमिटी ने बेटियों को बचाने को बचाने का संकल्प लिया। जहां एक ओर यहां होने वाली पूजा का आयोजन का आयोजन सिर्फ महिलाएं ही कराती हैं, वहीं दूसरी ओर ये महिलाएं बेटियों के नाम इस नवरात्र को समर्पित करती हैं। कानून, सुरक्षा, सामाजिक और मानसिक स्तर पर क्या बदलाव लाने की जरूरत है, इन सब बातों को शेयर किया आई नेक्स्ट के साथ। बेटियों को सुरक्षित राने और उनके अस्तित्व के लिए हर कदम पर अडिग रहने का संकल्प लिया।

पिता के सर की ताज होती हैं बेटियां

पिता के सर की ताज होती हैं बेटियां

पूरे समाज की नाज होती हैं बेटियां

पिता के आंगन को सजाती हैं बेटियां

हर मौसम में खिलखिलाती हैं बेटियां

बेटियां होती हैं मां

पिता के बाद मां को समेट लेती हैं बेटियां

बेटियां सुनती हैं पूर्वजों की प्रतिध्वनियां

ढूंढ लेती हैं उनमें वे जीवन राग

सहनशील होती हैं बेटियां

अनंत सुख दुख को सहती हैं बेटियां

फिर क्यों पिता कहते हैं पराई होती हैं बेटियां.??

मोनालिशा शर्मा

बेटी ही हमारे लिए सृष्टि है

बेटी ही हमारे लिए सृष्टि है, अगर बेटी नहीं होती तो दुनिया का अस्तित्व ही नही होता। इस युग में बेटी हर मामले में, हर क्षेत्र में बराबर है। मैंने एक महिला को हवाई जहाज उड़ाते दे्रखा तो यही सोचा कि बेटियां अब कहीं पीछे नहीं। बराबर का ओहदा पानेवाली बेटियों के साथ बराबर का समान और सुरक्षा मिलना जायज है। बेटियों को बचाने के लिए हम सब तत्पर हैं। ऐसी कानून व्यवस्था बने, जिससे भ्रूण हत्या करनेवालों के लिए कड़ी से कड़ी सजा हो, ताकि कोई कोई इस घृणित कार्य को करने की हिमत न करे।

शिप्रा सहाय

मुजरिम को कड़ी सजा मिले

बेटियां हर जगह अपने क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। बेटियां की सुरक्षा को लेकर लोगों में चेतना जगाने की जरूरत है। लोगों को यह समझना होगा कि बेटी का समान, हर समान से बढ़कर है। अपनी सुरक्षा के लिए बेटियों को पेपर स्प्रे लेकर चलना चाहिए और बेटियों के साथ होने वाली अमानवीय व्यवहार को लेकर ऐसा कानून बने जिसमें बिना लंबित कार्यप्रणाली के मुजरिम को कड़ी सजा मिले।

शिप्रा चटर्जी

जरूरी है बेटियों को बचाना

संसार में सबसे बड़ा ओहदा बेटियों का है। हमारे यहां आज किसी भी शुभ काम की शुरुआत बेटियों से ही कराई जाती है। अगर बेटियां ही नहीं रहेंगी तो ये दुनिया आगे कैसे बढ़ेगी। बेटियों को बचाना बेहद जरूरी है। उनकी सुरक्षा प्राथमिकता में होनी चाहिए। बेटियों की तरक्की और आजादी के लिए हम सब को आगे आना चाहिए। नवरात्रि में बेटियों को बचाने का संकल्प हमारा है जिसके लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।

अर्चना सरकार

रेशियो बैलेंस करने की जरूरत

बेटियों के साथ होनेवाले भेदभाव को बिल्कुल खत्म करने की जरूरत है। हमें इस बात को गंभीरता से लेनी चाहिए कि क्योंकि बेटियों की रेशियो घटती जा रही है। लोग अगर सोच नही बदलेंगे तो ये रेशियो काी ाी बैलेंस नही होगा। नवरात्र में बेटियों को बचाने का संकल्प हर किसी तक पहुंचे ताकि बेटियों के अस्तित्व के मिट जाने का संकट न हो। आािर बेटियां हैं तो संसार है

निधि

हर कोइर् ले संकल्प

बेटियों की जरूरत घर से लेकर बाहर तक है। वंश चलाने से लेकर नवरात्र के कन्या पूजन तक में बेटियों की ही जरूरत होती है। आज जिसकी पूजा हम करते हैं उसके लिए जिंदगी जीने के लिए संघर्ष जैसी बातें अब भी क्यों व्याप्त है? कुछ ऐसे सवाल लोगों की संकुचित मानसिकता को बयां करते हैं। इसलिए बेटियों का बचाने का संकल्प हर किसी को लेना चाहिए। बेटियों के लिए कानून को सबसे ज्यादा अलर्ट और इंस्टेंट रहना चाहिए।

ममता अग्रवाल

बेटियों को मिले आजादी

बेटियों के साथ होनेवाली छेड़खानी की घटना और कई ऐसी घटनाओं को सुनकर क्रोध होता है। इस क्रोध को संकल्प के साथ उसे अमल करने की बात पर ही शांत हो सकता है। बेटियों की सुरक्षा के लिए पुलिस, प्रशासन ही नही बल्कि आम लोगों को भी आगे आना चाहिए। हमें इस बात का संकल्प लेना चाहिए कि बेटियों कहीं भी खुद को असुरक्षित नहीं महसूस करें

प्रीति

बेटियों ने दी हर खुशी

भगवान ने मुझे पांच बेटियां दी, लेकिन कभी मेरे मन में बेटा नहीं होने का मलाल नहीं रहा। आज बेटियों ने जो कर दिखाया है वो किसी से कम नही। मुझे हर खुशी और हर वो पल जीने का मौका सिर्फ बेटियों ने ही दिया है। बेटियों के प्रति मेरा समान हमेशा से है और मैं चाहती हूं कि बेटियों के प्रति ऐसा ही नजरिया हर शस का हो। बेटियों को अपमानित करने वालों को बिल्कुल नही बख्शा जाना चाहिए।

रीता जयसवाल