कर्बला में हुई मजलिस को मौलाना हसन कुमैली ने किया खेताब

>BAREILLY: रामपुर रोड स्थित स्वालेहनगर कर्बला में चल कर्बला के शहीदों की याद में दस दिवसीय मजलिस का एहतेमाम किया गया। वेडनसडे को इस सिलसिले की मजलिस को दिल्ली से आए मौलाना हसन कुमैली ने खेताब किया और कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन पर हुए जुल्मों सितम की दास्तां बयां की तो वहां मौजूद लोगों की आंखें आंसुओं से तर हो गई। मजलिस के बाद अंजुमन ने नौहाख्वानी और सीनाजनी करके इमाम हुसैन को खिराज-ए-अकीदत पेश। मजलिस के बाद तबर्रुक तक्सीम किया गया।

इमाम हुसैन की सीरत पर चलें

मजलिस की शुरुआत सोजख्वानी से जकी सेंथली और नासिर बरेलवी ने की। मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना हसन कुमैली ने कहा कि इमाम हुसैन की सीरत पर चलने की जरूरत है। उन्होंने अपनी जिंदगी में हमेशा हक का पैगाम दिया। उन्होंने सीख दी कि कभी भी जुल्म के आगे न झुकें। मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन की कुर्बानी यह मेसेज देती है कि जब जुल्म बढ़ जाए तो आवाज उठानी चाहिए। चाहे हक पर रहने वालों तादाद कम ही क्यों न हो। यही वजह है कि इमाम हुसैन ने हक का झंडा बुलंद करने के लिए कर्बला के मैदान में अपने 71 साथियों को चुना। जहां इमाम हुसैन और उनके साथियों को तीन दिनों का भूखा-प्यासा शहीद कर दिया गया। इमाम का मसाएब सुनकर वहां मौजूद लोग सीने और सिर पर हाथ मारकर रोने के लगे। मौलाना के मजलिस के बाद खुसूसी दुआ भी कराई।

नौहा-मातम कर पेश किया पुरसा

मजलिस के बाद अंजुमन परचमे हुसैनी लीची बाग ने नौहाख्वानी और सीनाजनी की। अंजुमन के साहबे बयाज एक्तेदार ने इमाम हुसैन और उनके कुबने पर हुए जुल्म को बयां करने वाला नौहा पेश किया। वहीं अंजुमन के मेंबर्स ने मातम किया। इस दौरान काफी संख्या में लोग मौजूद रहे। खास तौर पर महिलाएं भी मौजूद रहीं। मजलिस के बाद तबर्रुक तक्सीम किया गया। जौन रिजवी ने सभी शुक्रिया अदा किया।