बुधवार को एक बार फिर आतंकियों ने देश की मायानगरी को लहू-लुहान कर दिया. 21 लोगों की जान लेकर आतंकियों ने हमारे सिस्टम की कमजोरी को भी साबित किया है. पिछले 18 वर्षों में सिर्फ मुंबई में एक दर्जन से अधिक आतंकी घटनाएं हुईं. सात सौ से अधिक लोगों की असमय ही मौत हो गई. वर्षों से इन आतंकी वारदातों का सामना करते हुए आम आदमी ने बहुत कुछ सीख लिया, लेकिन क्या सिस्टम ने कुछ सीखा है? शायद नहीं, अगर सीखा होता तो मुंबई एक बार फिर घायल न होती.

एक CCTV के भरोसे फिदाईन हमले का शक

मुंबई पुलिस अभी तक कुछ खास प्रगति नहीं कर सकी है. इसके पीछे ब्लास्ट्स का कोई सीसीटीवी फुटेज ना होना भी बड़ी वजह है. हालांकि ओपेरा हाउस के नजदीक पंचरत्न सोसायटी ने बिल्डिंग के पिछले हिस्से को कवर करते हुए एक इंफ्रारेड सीसीटीवी लगा रखा था. इसमें 15 दिनों तक रिकॉर्डिंग करने की क्षमता है.

पुलिस इस कैमरे की हार्ड डिस्क ले गई है. जांच टीम सीसीटीवी तस्वीरों में उस शख्स के कपड़ों का मिलान करने की कोशिश कर रही है जिसके शरीर पर तार के टुकड़े मिले हैं. जांच एजेंसियों से जुड़े सोर्सेज ने कहा है कि सीसीटीवी फुटेज में एक संदिग्ध शख्स बैग लिए दिखाई देता है. शायद इस बैग में भी विस्फोटक रखा हो. पुलिस को शंका है यह फिदाईन हो सकता है.

आतंकी या मेहमान

इन आतंकियों ने देश को दहलाया. इन्हें अभी तक सजा नहीं हो पाई है.

कसाब- टेररिस्ट एक्टिविटीज को अंजाम देने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई, लेकिन अभी तक फांसी नहीं दी गई है.

अफजल गुरू- संसद पर अटैक का दोषी अफजल गुरू आज भी जेल में है. इसकी मर्सी पेटीशन 2005 से पेंडिंग है.

93 के दोषी- 1993 के मुंबई सीरियल बम कांड में 200 से अधिक लोगों की मौतों के जिम्मेदार और 700 से अधिक लोगों को घायल करने वालों को सजा नहीं हो पाई है. अभी सुनवाई जारी है.

मुहम्मद आरिफ- 2000 में दिल्ली के लालकिले में घुसकर सेना के तीन जवानों की हत्या और 11 को घायल करने वाले लश्कर-ए-तैयबा के टेररिस्ट मुहम्मद आरिफ की फांसी की सजा पर अभी तक सुनवाई जारी है.

अक्षरधाम के गुनहगार- 2002 में अक्षरधाम मंदिर पर हमलावरों को फांसी देने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है.

दीवाली को बदरंग करने वाले- 2005 में दिल्ली की मार्केट्स में खुशियों के बदले मौत बांटने वालों की भी अभी सुनवाई चल रही है.

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