- पिपरापुर पोखरा को कचरा से पाटने लगा निगम

- जल संरक्षण के लिए पोखरों को सुरक्षित करने का आदेश ठेंगे पर

- पिपरापुर के दो मंजिला मस्जिद के पास नगर निगम की गाड़ी से पाटा जा रहा पोखरा

- डेढ़ एकड़ पोखरे के एक तिहाई हिस्से को पाट दिया गया

GORAKHPUR: एक तरफ देश में जल संरक्षण के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर लोगों में जागरुकता फैला रही है, भू-जल संरक्षण के लिए पोखरों को संरक्षित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दे रखा है, वहीं गोरखपुर नगर निगम महानगर के बीच पोखरों में डंपिंग यार्ड बनाकर उसे पाटने का काम कर रहा है। पिपरापुर के दो मंजिली मस्जिद के पास 200 साल पुराना डेढ़ एकड़ के पोखरे के किनारे मलबा और कूड़ा गिराकर नगर निगम ने पोखरे का एक तिहाई हिस्सा पाट दिया गया है। लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि एक स्थानीय दबंग व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए निगम के अधिकारी यह काम करा रहे हैं। वैसे क्षेत्र में यह भी चर्चा है कि जमीन पर 35 साल से विवाद है। इसकी सीबीआई जांच चल रही है।

जीवन रेखा है यह पोखरा

पिपरापुर के लोगों के लिए पहले रोजी-रोटी के रूप में इस पोखरे की पहचान थी, लेकिन धीरे-धीरे यह पोखरा जलकुंभी और जलीय झाडि़यों में कैद में हो गया। आज भी यह पोखरा यहां के नागरिकों के लिए जीवनरेखा के रूप में जाना जाता है। लोगों का कहना है कि इस पोखरे के कारण पिपरापुर में हल्की बारिश हो या तेज बारिश, जल जमाव की हालत नहीं बनती है। यही नहीं यहां के इसी पोखरे के कारण भू-जल स्तर भी बहुत अच्छा है। आज भी यहां 200 फीट पर शुद्ध पानी उपलब्ध है। अगर यह पोखरा समाप्त हो जाएगा तो यहां का भू-जल स्तर 400 फीट नीचे जा सकता है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर निगम की कूड़ा गिराने वाली गाड़ी से डेली 10 से 15 ट्राली कूड़ा और मलबा यहां गिराया जा रहा है। शनिवार को भी दो टै्रक्टर से कूड़ा गिराया गया, जिसमें एक गाड़ी का नंबर यूएमबी 1170 था, जबकि दूसरी गाड़ी का नंबर यूपी 53-4877 था। लोगों ने बताया कि यूपी 53-4877 गाड़ी के ड्राइवर का नाम अहमद है। लोगों ने उनका विरोध किया तो 11 बजे दोनों गाडि़यों से कूड़ा गिराकर भाग गए।

मोहल्ले के आसपास बीमारी

स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम के इस कूड़ा पड़ाव केंद्र के कारण पोखरे के आस-पास के रहने वाले घरों में कालरा का प्रकोप बढ़ने लगा है। स्थानीय निवासी अहमद हुसैन की बेटी कूड़ा से उठी बदबू के कारण चक्कर आने के कारण गिर गई। एक घंटे बाद उसको होश आया था। वहीं रहमान अली के बेटे को 15 दिन पहले कालरा हो गया। यही नहीं उनके घर के तीन मेंबर को अभी तक कालरा हो चुका है। इसी तरह की बीमारी कई अन्य घरों में भी फैल रही है। वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टर बीके सुमन का कहना है कि बीच आबादी कूड़ा गिराने से कई खतरे हैं। उस कूड़ा में पता नहीं कौन सी गैस बन गई होगी। यह गैस किस तरह से लोगों को नुकसान पहुंचाएगी। कहना बहुत ही मुश्किल है।

यह हो सकती है बीमारी

- पेट संबंधी बीमारी

- सांस की बीमारी

- चक्कर आने की समस्या

- आंखों की रोशनी कम होना

- प्रदूषण स्तर का अचानक बढ़ना

- वायू प्रदूषण के साथ ही साथ भूजल प्रदूषण में वृद्धि

बीच आबादी कूड़ा गिराने से उस एरिया का प्रदूषण स्तर अचानक बढ़ जाता है। पेट और सांस संबंधी बीमारियां अचानक बढ़ जाती हैं। बीच आबादी वाले एरिया में कूड़ा निस्तारण नहीं करना चाहिए।

- बीके सुमन, सीनियर फिजिशियन, जिला अस्पताल

इस तरह के प्रकरण की जानकारी मुझे नहीं है। जानकारी मिलने के बाद मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को मौके पर जाकर जांच करने का निर्देश दे दिया गया है। इनकी रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

- बीएन सिंह, नगर आयुक्त

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सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

हिंचलाल तिवारी बनाम सरकार के मुकदमे की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि भू-जल स्तर को बचाने के लिए सबसे पहले हमें परंपरागत जल स्रोतों की सुरक्षा करनी चाहिए। इसलिए परंपरागत जल स्रोत पोखरा, तालाब, नदी, कुआं बावड़ी के मूल स्वरूप में कतई परिवर्तन न किया जाए। यदि कहीं अतिक्रमण करके उसके स्वरूप में परिवर्तन कर दिया गया है तो उसे तत्काल ढाह या खोद दिया जाए। इसके अलावा सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण करने वालों पर कब्जा करने का मुकदमा दर्ज कराया जाए और अतिक्रमण हटाने में आने वाला खर्च उसी से वसूला जाए।