- मेयर ने सीवर के नाले की टेंडर प्रक्रिया को बताया गलत

- मामले में सुधार के लिए जल संस्थान को भेजा लेटर

- सीवर के खेल में जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश

DEHRADUN : लाखों के सीवर पर अब नगर निगम और जल संस्थान आमने सामने आ गए हैं। जहां जल संस्थान खाले को सीवर का नाला बताते हुए टेंडर करवा रहा है। वहीं निगम इस बात को गलत करार देते हुए नाले को गंदा पानी का नाला बताते हुए टेंडर प्रक्रिया को गलत बता रहा है। मामले में अब जिलाधिकारी ने जांच की बात कही है।

आई नेक्स्ट के खुलासे के बाद हड़कंप

दरअसल, थर्सडे के संस्करण में आई नेक्स्ट ने बताया था कि पटेलनगर के भंडारीबाग में कई हेक्टेअर भूमि की सीवर से सिंचाई कर सब्जी उत्पादित की जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों ने सब्जी को खतरनाक बताते हुए इसे लाइलाज बीमारी का कारण बताया था। जिसके बाद सरकारी महकमों में हड़कंप मचा रहा। इसी बीच फ्राइडे को आई नेक्स्ट ने एक और बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि सीवर का पानी लाखों में बिकता है। सरकार की विश्वसनीय एजेंसी जल संस्थान इसके टेंडर इन्वाइट करता है। वर्तमान सत्र में टेंडर दो लाख रुपए प्रतिमाह में उठा है।

टेंडर को गलत ठहरा रहा निगम

आई नेक्स्ट के खुलासे के बाद फ्राइडे को मामले में नया मोड़ आ गया। एक तरफ जहां जल संस्थान नाले को सीवर का नाला बताते हुए टेंडर की प्रक्रिया को सही ठहरा रहा है। वहीं नगर निगम इसे गलत बता रहा है। मेयर विनोद चमोली ने बताया कि नाले में सीवर नहीं बल्कि गंदा पानी बहता है। ऐसे में जल संस्थान इसका टेंडर नहीं करवा सकता है। इस बारे में एक पत्र भी जल संस्थान के अधिकारियों को लिखा गया है।

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स्लेज फार्म के नाम पर होता है टेंडर

सूचना अधिकार अधिनियम के तहत पता चला है कि जल संस्थान पटेलनगर में स्थित अपनी कई हेक्टेअर भूमि के स्लेज फार्म के लिए टेंडर आवंटित करता था, लेकिन कुछ साल पूर्व शासन ने ब्.म्88 हेक्टेअर भूमि मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को ट्रांसफर कर दी थी। वर्तमान में फ्0.भ्9 बीघा भूमि जलसंस्थान के पास है, जिसमें से कुछ पर मकान बन चुके हैं। कुछ ही भूमि शेष बची है। इसी जमीन के नाम पर जल संस्थान टेंडर निकाल रहा है, लेकिन अब निगम प्रशासन गलत ठहरा रहा है। दावा किया जा रहा है कि जब जल संस्थान के पास भूमि ही नहीं बची है तो वह किस बेस पर स्लेज फार्म के टेंडर निकाल रहा है।

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जिम्मेदारोके बोल

'नाले में सीवर नहीं बल्कि गंदा पानी बहता है। जिस कारण नाले नगर निगम के अधीन आता है। इसका जल संस्थान टेंडर नहीं निकाल सकता है। स्थिति में सुधार करने के लिए जल संस्थान को पत्र भेजा गया है.'

- विनोद चमोली, मेयर, नगर निगम दून

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'इसे सीवर का नाला ही कहेंगे। सालों से जल संस्थान इसका टेंडर करवाता आ रहा है। वर्तमान में भी उसी प्रक्रिया के तहत टेंडर कियगया है.'

- एचसी पांडे, अधीक्षण अभियंता नगर, जल संस्थान

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'किस आधार पर यह टेंडर हो रहे हैं। इसमें कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है। क्या वस्तुस्थिति है इसे क्लियर करने के लिए जांच करवाई जाएगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी.'

- रविनाथ रमन, जिलाधिकारी, दून