- 22 साल बाद आया फैसला, सभी को भेजा गया जेल

ALLAHABAD: घूरपुर के जसरा बाजार में 22 साल पहले हुए चार लोगों के मर्डर मामले में अदालत ने गुरुवार को फैसला सुना दिया। अदालत ने दिवंगत कारोबारी शीतला प्रसाद जायसवाल की पत्‍‌नी अनारकली, पोते आशीष उर्फ गोपाल, साले लालता प्रसाद व चौकीदार खड़ग बहादुर सिंह के मर्डर के पांचों आरोपियों कठोर उम्र कैद व 33-33 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। अपर जिला जज मलखान सिंह की अदालत से अभियुक्त भगवत प्रसाद तिवारी, रामलोचन, राजेश कुमार जायसवाल, रतन लाल, रोशन लाल को जेल भेज दिया। दो अन्य अभियुक्त फूलचंद्र हरिजन व सतीश कुमार जायसवाल की मौत हो जाने के कारण उन पर चल रही कार्यवाही समाप्त कर दिया गया। फैसला सुनने के लिए दोनों पक्षों के लोग कोर्ट में मौजूद थे।

आधा जुर्माना मिलेगा परिवार को

अपर जिला जज मलखान सिंह ने फैसला सुनाया है कि जुर्माने के रूप में वसूले गए एक लाख 65 हजार रुपए में से आधे 82 हजार 500 रुपए मृतकों के आश्रितों को दिए जाएं व बाकी के आधे रुपए राज्य सरकार के कोष में जमा होंगे। मर्डर 22 अगस्त 1993 को हुए थे। देवराज जायसवाल ने एफआईआर दर्ज करवाई थी कि छह से सात की संख्या में बदमाश घर में घुसे थे। चौकीदार खड़ग बहादुर व मामा लालता प्रसाद के जाग जाने पर उनको गोली मार दी गई थी। उनकी लाशों को घसीटकर एक कमरे में कर दिया गया। सीढ़ी से चढ़कर मां अनारकली के कमरे में बदमाश घुसे और उनको गोली मार दी। फिर आशीष कुमार को भी गोली मार दी गई। इसके बाद देवराज को भी लोहे की रॉड से पीटा गया व गोली मार दी गई। बदमाश घर के पीछे से भाग गए। पुलिस ने डकैती व मर्डर की एफआईआर दर्ज करने के बाद विवेचना शुरू कर दी। इसी बीच मामला सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया। जांच में सामने आया कि यह कोई डकैती का मामला नहीं था। यह सुनियोजित मर्डर था।

18 गवाह पेश किए गए

यह मामला तत्कालीन स्पेशल सीजेएम की कोर्ट में 31 जुलाई 1997 को पेश किया गया। सेशन कोर्ट ने सुनवाई के बाद सात जुलाई 2014 को संशोधित आरोप अभियुक्तों के खिलाफ दायर किए। गवाहों को तलब किया गया। अभियोजन के अधिवक्ता श्याम जी टंडन व वर्तमान सहायक शासकीय अधिवक्ता राम अनुज तिवारी ने 18 गवाह अशोक कुमार, हरिचरन, मुन्ना, कमलेश कुमार, बद्री प्रसाद, जीके अग्रवाल, देवराज, टीएन मालवीय, गीतारानी, आरबी सिंह, टीपी वर्मा, राधेश्याम, डॉ। एसके मिश्रा, विजयनाथ शाही, ओपी मणि त्रिपाठी, सुरेंद्र सिंह, एसएन सिंह को पेश कर आरोप साबित किया। कोर्ट ने सजा के बिंदु पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता के तर्को को सुना। इसमें कहा गया कि अभियुक्तों की माली हालत ठीक नहीं है। उनके परिवार में कोई अन्य व्यक्ति जीविका चलाने वाला नहीं है। ऐसे में कम से कम सजा दी जाए। अभियोजन के अधिवक्ता श्याम जी टंडन ने अपने तर्को के आधार पर अपराध को जघन्य बताते हुए मौत की सजा देने की मांग की। उभयपक्ष की बहस एवं तर्क तथा साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने सजा का ऐलान कर दिया। पांचों आरोपियों को बुधवार को आरोप साबित होने के बाद ही जेल दिया गया था।

22 साल तक लड़ते रहे

जिला न्यायालय के अधिवक्ता श्याम जी टंडन ने इस जघन्य हत्याकांड का 22 साल तक मुकदमा लड़ा। पहले उनको यह मुकदमा शासकीय अधिवक्ता के तहत मिला था। सरकारी अधिवक्ता के पद से हटने के बाद भी वह इस मुकदमे को लड़ते रहे और दोषियों को सजा दिलवाई।