धार्मिक आधार पर भेदभाव

गुजरात की रहने वाली मिस्बाह ने मुंबई की हाउसिंग सोसाइटी पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें मुसलमान होने की वजह से फ्लेट नहीं दिया गया. अपनी शिकायत को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग गईं मिस्बाह कहती हैं कि कुछ दिनों पहले वह मुंबई के वडाला ईस्ट इलाके में स्थित एक हाउसिंग सोसाइटी में रहने गईं थीं. जब मिस्बाह के आसपास रह रहे लोगों को पता चला कि उनके बगल में एक मुस्लिम महिला रह रही है तो उन्होंने एक हफ्ते के अंदर मिस्बाह को घर से निकाल दिया. उन्होंने कहा कि लोअर परेल में जअ उन्होंने एक पीजी लिया तो ब्रोकर ने हिदायत देते हुए कहा कि वह मुस्लिम लिबास को पहनने से बचें.

सोसाइटी ने किया इंकार

इस मामले में हाउसिंग सोसाइटी ने अपनी सफाई देते हुए कहा है कि इस मामले में धार्मिक भेदभाव की शिकायत का कोई आधार ही नहीं है. असली बात यह है कि मिस्बाह का निकाला जाना टेनेंट और ब्रोकर के झगड़े का परिणाम है. वहीं महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य गुलजार आजमी ने इसमें हिंदुवादी संगठनों को घसीटकर राजनीतिक माहौल देना शुरु कर दिया है. बीएचपी प्रवक्ता ने आरोप का जवाब देते हुए कहा कि वह ऐसा नहीं मानते कि कोई हिंदू किसी शख्स को मुस्लिम होने की वजह से मकान देने से इंकार कर दे.

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