जागरण प्रकाशन लिमिटेड के विचार मंच में वीरेंद्र सहवाग ने की खुलकर बातचीत

मुरलीधरन को बताया सबसे टफेस्ट बॉलर, मैच फिक्सिंग को लेकर खुलकर रखे विचार

Meerut : वीरेंद्र सहवाग जिस तरह की बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। उसी तरह से वह सवालों के जवाब देने में भी माहिर हैं। शुक्रवार को जब वो आई नेक्स्ट, दैनिक जागरण के ऑफिस में आए और जागरण प्रकाशन लिमिटेड के विचार मंच में शामिल हुए तो बच्चों, गणमान्य लोगों और पत्रकारों का जवाब उसी अंदाज में दिया। जिस तरह से वह अपने आलोचकों को जवाब क्रिकेट के मैदान में अपने बल्ले से दिया करते थे। आइए आपको भी बताते हैं कि देश ही नहीं दुनिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज ने सवालों की गुगली और बाउंसर्स का सामना किस तरह से किया

इंडियन क्रिकेट में सहवाग का कोई ऑप्शन नहीं है। फिर भी सहवाग खुद अपना ऑप्शन किसे मानते हैं?

अभी इसमें काफी वक्त लगेगा। हंसते हुए, देखिये जब गावस्कर थे उनका कोई ऑप्शन नहीं था, लेकिन बाद में सचिन तेंदुलकर आए। उनके आने के बाद कोई उनका ऑप्शन नहीं सोच सकता था। लेकिन विराट कोहली अपनी परफॉर्मेस से उनका ऑप्शन के रूप में उभरे। अब मेरा ऑप्शन भी सामने आएगा। देखते हैं कब आता है?

आपकी नजर में एक क्रिकेटर की परख क्रिकेट के किस फॉर्मेट में होती है?

देखिये जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो देश में टेस्ट क्रिकेट ज्यादा होने लगे थे। उस वक्त भी मेरे लिए टेस्ट क्रिकेट काफी जरूरी था। आज भी जरूरी है। आप दुनिया के किसी भी यंग क्रिकेटर से पूछ सकते हैं कि वो सबसे पहले क्रिकेट के किस फॉर्मेट में खेलना चाहते हैं तो वो टेस्ट क्रिकेट को ही कहेंगे। बाकी वन डे और टी-20 क्रिकेट तो होता ही है।

भारत के बल्लेबाज आज भी तेज गेंदबाजों के सामने खेलना असहज महसूस करते हैं। ऐसा क्यों?

अब ऐसा नहीं है। अब आईपीएल में या बाकी टूर्नामेंट में टीम के अधिकतर खिलाड़ी तेज गेंदबाजों को अच्छा खेलते हैं। विजय, कोहली, राहुल और बाकी युवा क्रिकेटर तेज गेंदबाजों का सामना खुलकर करते हैं। अब ट्रेंड बदल गया है।

आप खुद किस गेंदबाज के सामने खुद को मुश्किल से पाते थे?

मुझे हमेशा से ही मुरलीधरन को खेलने में मुश्किल होती थी। उनका एक्शन और गेंद जिस तरह से आती थी उन्हें पढ़ना काफी मुश्किल होता था। वहीं पोलाक, बे्रट ली, शोएब अख्तर, मैक्ग्रा, कई बॉलर थे जो काफी अच्छे थे। जिन्हें खेलना हमेशा से ही काफी टफ रहा है। वहीं वॉर्न को मैंने काफी आसानी से खेला। क्योंकि मैंने उनके खिलाफ सिर्फ एक टैस्ट मैच ही खेला है।

बाकी बल्लेबाज शतक के करीब आकर आराम से खेलते हैं। लेकिन आप चौका या छक्का लगाने का प्रयास करते हैं। क्यों?

जितनी ज्यादा बॉल खेली जाएगी आउट होने के चांस उतने ही ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए मैं कम बॉल खेलकर अपना रन बनाने की कोशिश करता हूं, क्रिकेट लोगों की भावनाओं से जुड़ा होने के साथ इंटरटेनमेंट का माध्यम भी है। मैं एक एंटरटेनर हूं। मेरी बैटिंग से लोग एंटरटेन होते हैं।

दिल्ली छोड़कर हरियाणा से खेलने की क्या वजह रही?

मेरा रूट हरियाणा का है। मैं हमेशा से चाहता था कि हरियाणा के लिए खेलूं। हरियाणा बोर्ड मुझसे 5 सालों से संपर्क भी कर रहा था। इसलिए मुझे ओवरऑल रिटायरमेंट से पहले हरियाणा ज्वाइन करना भी था। इसलिए मैंने हरियाणा को ज्वाइन किया।

आईपीएल में फिक्सिंग कितनी सच और कितनी झूठ?

जहां आग लगती है वहीं से धुंआ उठता है। खैर अभी किसी पर आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। लेकिन इतना कहना चाहूंगा कि अगर क्रिकेटर क्लीन रहेगा, क्रिकेट भी क्लीन रहेगा। फिर भले आप कितने अरेन्जमेंट करिए। फोन टैप कराइए, कैमरे लगाइए, या फिर एंटी करप्शन सेल क्रिएट करिये। किसी को जो करना होगा वो करके रहेगा।

क्या आप मानते हैं कि आप में अभी क्रिकेट बची हुई थी?

जब मैं ड्रॉप हुआ तो मुझे लगता था कि मैं डोमेस्टिक क्रिकेट में परफॉर्म कर टीम में वापसी कर सकता हूं। लगातार दो सालों तक मुझे टीम में कंसीडर न करना काफी लंबा टाइम हो गया। अब मैं इंटरनेशनल क्रिकेट में ठीक से नहीं खेल पाऊंगा।

क्रिकेट से अलग आपको कौन-कौन से स्पो‌र्ट्सपर्सन पसंद हैं?

मुझे साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा, रोजर फेडरर, माइकल शुमाकर, सुशील कुमार काफी पंसद हैं।

यूथ के नाम आप क्या संदेश देना पसंद करेंगे?

यूथ खासकर बच्चों से बस मैं यही कहना चाहूंगा कि वो अपने दिल की सुने और किसी की भी नहीं।