म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट सोमवार से महंगा हो गया है। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने तय किया है कि इसके तहत लगने वाला कोई भी सर्विस टैक्स अब इनवेस्टर्स को ही भरना होगा। साथ ही म्यूचुअल फंड हाउस छोटे शहरों के मामले में फंड मैनेजमेंट चार्ज और अन्य खर्च के एवज में इनवेस्टर्स से अधिक रकम वसूल सकेंगे।

एक स्कीम, एक प्लान

स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने मार्केट में सुधार लाने के लिए 16 अगस्त की मीटिंग में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने का फैसला किया था। तब यह कहा गया था कि नए नियम एक अक्टूबर से लागू होंगे। अब इस बारे में नोटिफिकेशन जारी हो गया है। फंड हाउसेज को अब अपनी असेट्स का एक छोटा हिस्सा इनवेस्टर्स को एजूकेट करने और एक्टिव बनाने पर भी खर्च करना होगा। साथ ही इनवेस्टर्स के हित में अब उन्हें फंड स्कीम्स पर वसूली जाने वाली फीस सहित पूरी डिटेल देनी होगी। इसके अलावा फंड हाउसेजं के लिए यह जरूरी होगा कि एक स्कीम के तहत वे एक ही प्लान पेश करेंगे। अभी तक एक स्कीम में डिफरेंट प्लान वे इनवेस्टर्स के लिए पेश किया करते थे।

 

टैक्स छूट देने की तैयारी  

सेबी म्यूचुअल फंड्स में इनवेस्टमेंट को राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम (आरजीईएसएस) के तहत मिलने वाली टैक्स छूट के दायरे में लाने की भी तैयारी कर रहा है। इसके अलावा नेशनल म्यूचुअल फंड पॉलिसी बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है।

खास डीमैट अकाउंट से सुधरेगा बाजार

शेयर मार्केट में इनवेस्टमेंट की शुरुआत करने वाले छोटे इनवेस्टर्स के लिए सेबी ने खास डीमैट अकाउंट (नो फ्रिल अकाउंट) का इंतजाम किया है। इसके जरिए इनवेस्टर्स एक लिमिट तक शेयर्स में इनवेस्टमेंट कर सकेंगे और 50 हजार रुपए तक की शेयर खरीद पर कोई एनुअल चार्ज नहीं लगेगा। 50 हजार रुपए से दो लाख रुपए तक की होल्डिंग पर एनुअल चार्ज 100 रुपए से अधिक नहीं होगा। शेयर मार्केट में रिटेल इनवेस्टर्स की भागीदारी बढ़ाने के लिए सेबी ने 16 अगस्त को यह फैसला किया था। सेबी ने एक सर्कुलर जारी कर डीमैट अकाउंट खोलने वाले सभी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) को छोटे इनवेस्टर्स के ऐसे बेसिक सर्विस डीमैट अकाउंट (बीएसडीए) खोलने का निर्देश दिया है। इन अकाउंट्स की खासियत यह होगी किइनवेस्टर्स बहुत अधिक मात्रा में कारोबार नहीं कर पाएंगे।

Business News inextlive from Business News Desk