वेस्ट लैंड पब्लिशिंग हाउस ने इस नए लिक्ट्रेचर संसेशन को उनके नए नॉवल सीरीज के लिए 5 करोड़ एडवांस दिया है. इससे पहले पेंग्विन पब्लिकेशन ने राइटर विक्रम सेठ को उनके नॉवल ए सुटेबल ब्वॉय के वर्ल्ड वाइड राइट्स के लिए 8 करोड़ दिए थे.

लाइफ में हिस्टोरियन बनने का सपना आखों में सजाए एक्स बैंकर अमीश त्रिपाठी ने अपना एजुकेशनल सफर स्टार्ट किया और करियर चुना बैंकिंग और फाइनेंस एक्सपर्ट का, लेकिन शायद चाइल्डहुड ड्रीम कभी भी उनसे जुदा नहीं हुआ और जैसे ही चांस मिला उन्होंने हिस्ट्री में लिक्ट्रेचर का तड़का डाल कर एक नॉवल लिख डाला.

 
इस नॉवल का नाम है इंमार्टल्स ऑफ मेहुला जो अब बेस्ट सेलर बन चुका है शिव ट्रॉयलॉजी के इस नॉवेल का थर्ड पार्ट भी अब पब्लिश हो चुका है. उनके सपने के हकीकत बनने पर अमीश कैसा फील करते हैं और बीते कुछ अर्से में सोसायटी और लिक्ट्रेचर के रिलेशन पर उनका नजरिया क्या है. इन सभी इश्यूज पर हमने की उनसे बातचीत

आज के बदलते दौर में एक mythology based novel को लिखने का ख्याल किस तरह और क्यों  आया. 
Amish- इस बात को मैं दो तरह से कह सकता हूं, पहला तो यह कि शायद लॉर्ड शिव की ब्लेसिंग्स. मेरे साथ थीं कि एक र्स्पोटस लवर और बाई नेचर खेलकूद में लगे होने के बावजूद मैं यह नॉवल लिख सका. दूसरी बात ऐसा नहीं है कि इंडिया में मॉयथ्लॉजी बेस्ड फिक्शन राइटिंग कोई नयी चीज है या लिखी नहीं जा रही थी यह तो हमारे डीएनए में मिक्स है. हिंदी और दूसरी इंडियन लेंग्वेजेज में तो इस सब्जेक्ट  पर रेग्युलर लिखा जा रहा है पर हां इंग्लिश में इस तरह की राइटिंग जरूर नहीं होती थी जिसका अब ट्रेंड शुरू हो गया है. मैं कुछ नया नहीं कर रहा बस एक खाली स्पेस को फिल कर रहा हूं.

आज की जेनेरेशन हमारी रूट्स को जाने यह तो सभी कहते हैं पर उन रुट्स में नागा कल्चर और रुद्र के डेवलेपमेंट को बताने का रीजन क्या् है.
Amish- नहीं ऐसा नहीं है मैं जिन यंगस्टर्स की जेनरेशन को जानता हूं वे सब हमारे कल्चर और अपनी रूट्स से वाकिफ हैं. हां एक थोड़ा सा तबका है जिसे शायद इस बारे में कम नॉलेज होगी, यह वो ग्रुप है जो खुद को इलीट या काफी वेस्ट्रनाइज्ड समझता है. मैं एण्टी वेस्टर्न नहीं हूं पर अपनी रूट्स को जानना ही चाहिए. मैं यह तो नहीं समझता कि यंग जेनेरेशन रूट्स को नहीं जानती हां वो कुछ बातों के खिलाफ है जैसे कास्टज्म या औरतों को डिस्क्रिमिनेट करना और यह ठीक भी है. मैंने उन्ही के हिसाब से लिखा है लार्ड शिव के बारे में फिक्शन की हेल्प से बताया है. 

 हिस्टोंरियन बनने की चाहत और फाइनेंस एक्सापर्ट बनने के बाद राइटर बनने का थॉट क्यों और कहां से आया.
Amish- देखिए मैं एक मिडिल क्लास फेमिली को बिलांग करता हूं जहां एजुकेशन करियर बेस्ड होती है तो जब मैं अपने करियर के बारे में सोच रहा था तब तीन चार ही आप्शन थे जैसे इंजीनियरिंग, बैंकिंग एमबीए वगैरह तो मुझे सलेक्ट तो उसी में से करना था. इसलिए मैंने अपना करियर बैंकिंग में बनाने की सोची. इकॉनामी के मामले में उस दौर में इंडिया एक फ्लाप कंट्री था पर अब ऐसा नहीं है, ऑपर्च्युनिटीज बढ़ी हैं. इसके साथ ही मुझ पर प्रेशर कम हुआ तो बदलती सिचुएशन में मुझे भी एक चांस मिला और मैंने अपना शौक पूरा किया. 

 आज फाइनेंस, बैंकिंग और टैक्निकल फील्ड से बहुत से लोग फिक्शन, मायथलॉजी और साफ्ट राइटिंग की ओर अट्रैक्ट हो रहे हैं इसके पीछे कोई खास ट्रैंड फॉलो करने की चाहत है या ये चेंज की ऑटोमैटिक प्रोसेस है. 
Amish-
 देखिए यह चेंज लार्जर नेशनल ट्रेंड है और सिर्फ बैंकिंग के फील्ड में नहीं बल्कि हर जगह आ रहा है क्योंकि अब बेसिक इंडियन कांफिडेंट हो गया है वो आम हिंदुस्तानी के लिए लिखने के बारे में सोचने लगा है. कांफिडेंस से क्रिएटिविटी बढ़ती है और फिर वो नजर आती है.  

 राइटिंग के अलावा और कौन सी चीजें आपको अट्रैक्ट करती हैं? 
Amish-
 मेरे शौक बहुत नार्मल हैं, खूब रीडिंग करना, फेमिली के साथ ट्रैवल करना, शिव भक्त हूं तो उनकी वर्शिप करना और कंट्री और अब्रॉड ढेर सारी ट्रैवलिंग करना. 
 
 आई पैड, मोबाइल और टीवी के दौर में रीडिंग हैबिटस किस तरह बदली हैं? क्या इस दौर में इंमार्टलस ऑफ मेहुला के बेस्ट सेलर बनने की एक्सपेक्टेशन आपने की थी और आप यंग जेनेरेशन को रुद्र के किस रुख से एक्च्युली रूबरू कराना चाह रहे थे.
Amish-
 दौर कोई भी हो लोग पढते तो रहेंगे. यह बात अलग है कि वो ई रीडिंग करेंगे या बुक रीडिंग या बुक्स को डाउनलोड करके पढेंगे. तो रीडिंग की बेसिक हैबिट को कोई नहीं बदल सकता. हां किसी किताब का बेस्ट सेलर होना इस बात पर डिपेंट करता है कि वो हर क्लास को टारगेट कर पा रही है या नहीं. इंटीरियर इंडिया में रीडिंग लवर लोग बहुत हैं लेकिन उनके पास आज भी टैक्नॉलिजी बेस्ड फेसेलिटी नहीं हैं तो वो तो बुक पढ़ेंगे ही अगर उनकी पसंद और च्वाइस के हिसाब से लिखा जाए तो.
 
लास्ट सिक्स इयर में आपने लिक्टरेचर और सोसायटी के बीच के रिलेशन को कैसे ऑब्जर्व किया है और इन दोनों में आए चेंज को कैसे सिग्नीफाई करेंगे. 
Amish-
 मुझे लगता है अब लोग ज्यादा अवेयर हो गए हैं, पब्लिशिंग ज्यादा रूटेड हो गयी है. अब राइटर पब्लिशर और रीडर सब समझने लगे हैं कि क्या लिखें, पब्लिश करें और पढ़े. इलीट राइटिंग जैसे कांसेप्ट अब खत्म हो रहे हैं. लिक्ट्रेचर और सोसायटी हमेशा कनेक्टेड रहे हैं और रहेंगे हां बीच में एक दौर आया था जब इनकी सिनर्जी कम हो गयी थी पर यह कनेक्शन वापस आ गया है.

 

 

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