-बिना कार्यकारिणी के अप्रूवल के नगर आयुक्त-मेयर की शह पर बांटे सड़क निर्माण के टेंडर

-एस्टीमेट से 25 फीसदी ज्यादा खुले टेंडर, रिवाइज्ड बजट में भी किया बड़ा खेल

BAREILLY: नगर निगम में चहेतों को टेंडर दिलाने के लिए मुखियाओं पर नियमों को ताक पर रखने के आरोप लगे हैं। निगम की ओर से शहर में करीब एक दर्जन सड़क निर्माण के लिए बिना कार्यकारिणी की मंजूरी के ही टेंडर बांट दिए गए हैं। टेंडर दिलाने के लिए प्रस्तावित सड़कों के निर्माण की पहले एस्टीमेटेड लागत और फिर रिवाइज्ड लागत में भी खेल किया गया। पूरे मामले में नगर आयुक्त और मेयर के अप्रूवल को आधार बनाकर टेंडर बांटे गए। घपले का खुलासा होते ही मामले की जांच राज्यपाल से की गई। जिस पर राज्यपाल ने जांच बिठा दी है।

डीएम ने शुरू कराई जांच

सड़क निर्माण के टेंडर के लिए निगम में नियम है कि 10 लाख तक नगर आयुक्त, 15 लाख तक मेयर और 20 लाख तक के टेंडर के लिए कार्यकारिणी की मंजूरी जरूरी है। जिन सड़कों के प्रस्ताव बने उनकी एस्टीमेटेड लागत 18-19 लाख के करीब थी। इसे कम कर 10 व 15 लाख की सीमा से नीचे लाया गया। लेकिन जब टेंडर की बोली लगी तो उसमें लागत 25 फीसदी तक बढ़ गई। इसके बाद टेंडर की लागत को रिवाइज्ड किया गया तो बजट बढ़कर 19 लाख तक बढ़ गया। जिसके लिए कार्यकारिणी की मंजूरी जरूरी थी। जो नहीं ली गई। इस पर भाजपा पार्षद विपुल लाला, पूर्व पार्षद संजीव अग्रवाल और व्यापारी रामकुमार मेहरोत्रा ने कंप्लेन की। राज्यपाल के आदेश पर डीएम ने जांच शुरू करा दी है।