- 1984 के बाद अब नगर निगम को आई हाउस टैक्स सर्वे की याद

- सीरियल से निर्धारित होंगे हाउस नंबर और गलियों का सीक्वेंस

GORAKHPUR : मि। शर्मा इन दिनों बहुत परेशान हैं। वे कागज लेकर रोज सरकारी से लेकर निजी ऑफिसेज के चक्कर काट रहे हैं। कभी बैंक में जाकर एड्रेस प्रूफ जमा करते हैं तो कभी टेलीफोन एक्सचेंज में। ऐसी ही भागदौड़ आपको भी करनी पड़ेगी क्योंकि नगर निगम 31 साल बाद हाउस टैक्स सर्वे करने जा रहा है। इस सर्वे के बाद जहां गोरखपुराइट्स पर टैक्स का बोझ बढ़ सकता है, नहीं नगर निगम की आय में खासा इजाफा होगा। इस सर्वे का फायदा ये होगा कि गोरखपुर के सभी मोहल्लों के मकान नंबर एक सीक्वेंस में हो जाएंगे। एड्रेस पता होने पर मकान ढूंढने में माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी।

तो बढ़ जाएगा हाउस टैक्स

नगर निगम के इस फैसले से पिछले 30 सालों में अपना घर रीकंस्ट्रक्ट कराने वालों को परेशानी होगी। नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी रबीस चंद की मानें तो 1984 में टैक्स निर्धारण के वक्त जितना एरिया रहा होगा, उसका टैक्स नहीं बढ़ेगा। लेकिन जिन्होंने घर का आकार बदला है या एरिया बढ़ा है तो हाउस टैक्स रिवाइज होगा। जैसे अगर 1984 में कोई घर एक मंजिला था और उसका हाउस टैक्स 500 रुपए तय हुआ था। वर्तमान में वो मकान दो मंजिला बन गया है तो इस सर्वे के बाद हाउस टैक्स में बढ़ोत्तरी होगी।

निगम के साथ आपका भी फायदा

वर्तमान में नगर निगम टोटल 1 लाख 29 हजार घरों से हाउस टैक्स कलेक्ट करता है। नगर निगम को लगभग 42 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली का टारगेट मिला है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी रबीस चंद ने बताया कि सर्वे में कई नए एरियाज को नगर निगम सीमा में होने की वजह से हाउस टैक्स के दायरे में लाया जाएगा। इससे निगम की आय तो बढ़ेगी ही, पब्लिक को भी फायदा मिलेगी। अधिकारियों को सर्वे के बाद करीब डेढ़ सौ करोड़ का रेवन्यू मिलने की उम्मीद है जिसका यूज डेवलपमेंट वर्क में किया जाएगा।

आसानी से मिलेगी घर की नकल

नगर निगम के सर्वे के बाद गोरखपुराइट्स को अपने घर की नकल मिलने में आसानी हो जाएगी। 1984 में बनाए गए नकल रजिस्टर पूरी तरह खराब हो गए हैं। उनके कागज गल चुके हैं और दीमक भी लग गई है। नियमानुसार हर पांच साल में एक बार टैक्स निर्धारण करने के साथ नकल रजिस्टर बदला जाना चाहिए, लेकिन नगर निगम ऐसा नहीं कर सका। अब फिर से नकल रजिस्टर तैयार करने की कवायद नए सिरे से शुरू होगी।

ये होंगे फायदे

- हाउस नंबर एक सीरियल से एलॉट होंगे। ऐसे में कोई एड्रेस ढूंढने में परेशानी नहीं होगी।

- सर्वे से नगर निगम को डेढ़ सौ करोड़ रुपए की आय होगी जिसका इस्तेमाल विकास कार्यो में होगा।

- सर्वे के बाद लोगों को अपने घर की नकल मिलने में आसानी होगी।

सहूलियत के साथ होगी थोड़ी परेशानी

- सभी सरकारी विभागों में आपको अपना नया एड्रेस अपडेट कराना पड़ेगा।

- टेलीफोन बिल, लेटर व पार्सल आदि के लिए एड्रेस में अपडेशन होगा।

- वोटर आईडी, आधार कार्ड च अन्य आइडेंडिटी और एड्रेस प्रूफ में भी चेंज होगा एड्रेस।

- बैंक, इंश्योरेंस व अन्य प्रतिष्ठानों में भी चेंज कराना होगा एड्रेस।

हाउस टैक्स निर्धारण के लिए जुलाई में ही सर्वे शुरू कर दिया जाएगा। तीन माह में सर्वे पूरा हो जाएगा और उसके बाद सभी को नए दर से हाउस टैक्स देना होगा। सर्वे में अगर कोई घर छूटता है तो संबंधित कर्मचारी पर कार्रवाई की जाएगी। पब्लिक अगर ऐसी कोई जानकारी देती है तो उसे इनाम दिया जाएगा।

राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त