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PATNA : आम तौर पर एक यूनिवर्सिटी का नाम आते ही हमारे सामने बीए, बीएससी या इंजीनियरिंग करने और शहर के एक प्रमुख स्थान में होने की परिकल्पना मन में उभरी है। लेकिन बात जब नालंदा यूनिवर्सिटी की हो तो परंपरागत तरीके के यूनिवर्सिटी और उसके कोर्सेज से बिल्कुल हटकर एक ऐसे यूनिवर्सिटी की तस्वीर बनती है ,जहां छात्रों में कई शिक्षक, रिसर्च स्कॉलर, धर्म और दर्शन के महान ज्ञाता और इससे संबंधित गतिविधियों में सालों का अनुभव रखने वाले शामिल हैं। यूनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह न केवल इसके ऐतिहासिक महत्व को पुनर्जीवन देने का सुकून दे रहा था बल्कि बिहार को दुनिया में ज्ञान बांटने वाला एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में पुर्नस्थापना भी करता है।

 

छात्र हैं इंटरनेशनल

यहां पढ़ने वाले छात्रों में भारत से कम और विदेशों के छात्र ही अधिक है। इसमें चीन, भूटान, सिंगापुर, कोरिया, कंबोडिया और जापान जैसे देश के छात्र बड़ी संख्या में शामिल हैं। बीते दो साल में छात्रों की संख्या क्ख् से बढ़कर अब क्फ्0 हो चुकी है।

 

मेडिटेशन के लिए खास व्यवस्था

आम तौर पर यदि यूनिवर्सिटी या कालेज के पास अधिक स्थान हो तो यहां एक रीक्रीएशिन सेंटर, एम्पी थियेटर, आडिटोरियम आदि की सुविधा दी जाती है। लेकिन यहां यूनिवर्सिटी के मास्टर प्लान में मेडिटेशन करने के लिए विशेष स्थान का निर्धारण किया गया है। यह कैंपस क्ख्00 साल पुराने नालंदा विश्वविद्यालय से प्रेरित भी है। यहां विहार में छात्र ध्यान लगाते थे, अब इसी तर्ज न्यू कैंपस में विहार की तरह ही एक स्पेश उपलब्ध होगा।

 

रिसर्च है प्रमुख उद्देश्य

यूनिवर्सिटी के उद्श्ेयों के बारे में वीसी डॉ गोपा सबरवाल का कहना है कि इसमें लोकल रिसर्च और ग्लोबल इशूज पर सबसे अधिक ध्यान देना है। इसके साथ ही दुनिया से सामने जो बड़े चैलेंज हैं, उसे आने वाले समय में न्यू कोर्स इंट्रोड्यूस कर स्टडी का दायरा बढ़ाया जाएगा। यह एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है और इसमें देश-विदेश के छात्र पढ़ते हैं। यहां के छात्र आर्कियोलॉजी, दशर्नशास्त्र, बुद्धिस्ट स्टडी और पर्यावरण के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं। लिंगविस्टिक, लिटरेचर, पीस स्टडीज, पब्लिक हेल्थ आदि विषय भी आने वाले कुछ वर्षो में शुरू किया जाएगा।

 

मात्र क्भ् छात्र से शुरुआत हुई थी

यह जानकार आपको आश्चर्य होगा कि यहां पहला बैच सितंबर ख्0क्ब् में प्रारंभ हुआ जिसमें कुल क्भ् छात्र थे और दो विषय की पढ़ाई होती थी। हालांकि एक हजार से अधिक आवेदन यहां इन दो कोर्सेज में एडमिशन के लिए आये थे। देखें तो यह साबित करता है कि इसकी संकल्पना में ऐसे पारामीटर रखे गए हैं, जो किसी अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी में ही होते हैं।

 

एडमिशन होना ही बडी बात

देश भर में जहां दिल्ली यूनिवर्सिटी को माना जाता है कि एडमिशन टफ माना जाता है। वहीं बिहार के राजगीर में अवस्थित यह अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में एडमिशन होना ही दिल्ली विश्वविद्यालय से कहीं अधिक टफ है।

 

ये विभाग हैं यूनिवर्सिटी में

स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडी

स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरमेंट स्टडी

स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडी, फिलास्फी एंड कम्पेरिटिव रीलिजंस

 

कई मामलों में खास होगा कैंपस

नालंदा यूनिवर्सिटी का न्यू कैंपस ब्ब्भ् एकड़ में फैला है और यह तीन साल में बनकर तैयार होना प्रस्तावित है। हालांकि अभी निमार्ण कार्य धीमी गति से हो रहा है। लेकिन यह कई मायनों में खास होगा। यूनिवर्सिटी के न्यू कैंपस में एकेडमिक क्लस्टर, लाइब्रेरी, लैब और स्पोर्टस काम्पलेक्स की व्यवस्था होगी। इसका डिजाइन इस प्रकार तैयार किया गया है, जिसमें आधुनिकता और पुरातन सभ्यता की झलक एक साथ मिलेगी। खास बात है कि कैंपस के सेंटर में एक बड़ा वाटर पार्क बना होगा। यह वाटर पार्क और चारों ओर ग्रीनरी इसे रिसर्च बेस्ड स्टडी के लिए एक शानदार माहौल देगा।

 

एशिया का आइडिया जानेंगे

नालंदा अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी में एशिया को जानने के लिए एक नई दृष्टि डेवलप करने के उद्ेश्य से दस से ग्यारह अक्टूबर को एक अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस शुरू होगा। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च पेपर कॉल किया गया है।