ये कैसा सम्मान

-निदेशालय को नहीं मालूम, कौन है अर्जुन अवार्डी और कौन है पद्मश्री

-ओलंपिक में इंडिया को रीप्रजेंट करने वालों को भूल गया खेलकूद निदेशालय

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : सिटी की फेमस हॉकी खिलाड़ी और एनई रेलवे की स्पो‌र्ट्स अफसर प्रेम माया को अर्जुन अवार्ड नहीं मिला था। देश के लिए कई मेडल दिलाने वाले अपने जमाने के मशहूर फारवर्ड हॉकी खिलाड़ी मो। शाहिद को अब तक पद्मश्री से नहीं नवाजा गया, यह सुनकर शायद अचंभा लगा होगा। मगर यूपी सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से जारी हुई सूची कुछ ऐसा ही बयां कर रही है। 18 अक्टूबर को यूपी सरकार ने उभरते हुए खिलाडि़यों को यशभारती सम्मान से नवाज कर उनका मान बढ़ाया। वहीं इस गलती ने देश का नाम रोशन कर खुद पर फक्र महसूस करने वाले खिलाडि़यों की आंखों से आंसू निकाल दिए।

नहीं था लिस्ट में नाम

देश के लिए मेडल जीतने वाले खिलाडि़यों को सरकार अवार्ड से सम्मानित कर उनका मान बढ़ाती है। गोरखपुर की बेटी प्रेम माया ने हॉकी खेलते हुए न सिर्फ यूपी के लिए मेडल जीते बल्कि इंडिया को रीप्रजेंट करते हुए सबसे बड़े महाकुंभ ओलंपिक तक का सफर तय किया। जिसके लिए देश ने उन्हें 1985 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया। 1982 में नई दिल्ली में हुए एशियन गेम्स में इंडिया ने गोल्ड मेडल जीता था। जिसमें प्रेम माया भी टीम मेंबर थी। वहीं फॉरवर्ड खेलने वाले वाराणसी के मो। शाहिद ने न सिर्फ देश के लिए कई मेडल जीते बल्कि उनके खेल का लोहा मानने वाले विदेशी खिलाडि़यों की लंबी लिस्ट है। मो। शाहिद की मौजूदगी में इंडियन टीम ने 1980 मास्को में हुए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद नई दिल्ली में हुए 1982 एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल और सियोल में हुए 1986 एशियन गेम्स में ब्रांज मेडल जीता। 1980-81 में मो शाहिद को अर्जुन अवार्ड और 1996 में पद्मश्री से नवाजा गया। इसके बाद भी प्रदेश सरकार से जारी हुई अर्जुन अवार्ड की लिस्ट में प्रेम माया का नाम नहीं है। वहीं मो। शाहिद का नाम सिर्फ अर्जुन अवार्ड की लिस्ट में है, जबकि वे पद्मश्री से सम्मानित हैं। ये लिस्ट यशभारती से सम्मान पाने वाले खिलाडि़यों के साथ जारी हुई है। यशभारती से सम्मान पाने वाले 14 खिलाडि़यों में दो गोरखपुर के हैं। मार्शल आर्ट में अभिषेक यादव और कुश्ती में लालवचन यादव को यशभारती सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।

मुझे 1986 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था। मैं हमेशा यूपी के लिए खेला और उसी का नाम रोशन किया, मगर खेलकूद निदेशालय ने मुझे ही भुला दिया। जारी हुई अर्जुन अवार्ड की लिस्ट से मेरा नाम ही गायब है। ये खेल को बढ़ा रहे हैं या फिर खिलाड़ी के साथ मजाक कर रहे हैं। इसका जवाब मैंने खेलकूद निदेशालय के डायरेक्टर से मांगा है।

प्रेम माया

1981 में अर्जुन अवार्ड और 1986 में पद्मश्री अवार्ड मिला था। हॉकी ही नहीं बल्कि खेल से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है, मगर खेलकूद निदेशालय के लोगों ने ये लिस्ट किस आधार पर जारी की है, पता नहीं। मगर इससे मेरा नहीं, बल्कि लिस्ट जारी करने वालों का मजाक बन रहा है।

मो। शाहिद