भाईयों ने कर दिया था मृत घोषित

पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के ग्राम छितौनी निवासी संतोष मूरत सिंह मुंबई में फिल्म एक्टर नाना पाटेकर के घर कुक की नौकरी करता था। वर्ष 2003 में मुंबई में ट्रेन में ब्लास्ट हुआ। गांव में रह रहे चचेरे भाइयों अजय सिंह व नारायण सिंह ने उसकी साढ़े 12 एकड़ जमीन हड़पने के लिये रिश्तेदारों के साथ मिलकर संतोष को ब्लास्ट में मारे जाने की बात प्रचारित कर दी। संतोष के मुताबिक, इसके बाद उन लोगों ने बाकायदा दसवां कर सिर मुंडाया और तेरहवीं तक कर डाली। कुछ दिनों बाद जब संतोष गांव पहुंचा तो पता चला उसके भाइयों ने उसे मरा साबित कर अधिकारियों को हलफनामा देकर उसके हिस्से की जमीन अपने नाम करा ली। भाइयों के इस फर्जीवाड़े के खिलाफ उसने तमाम प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के समक्ष खुद हाजिर होकर अपने जिंदा होने का प्रमाण दिया और जमीन को फिर से अपने नाम कराने की गुजारिश की। लेकिन, कोई फायदा न हुआ। किसी भी अधिकारी ने संतोष को जिंदा मानने का 'जोखिम' नहीं उठाया।

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पूर्व सीएम के आदेश पर दर्ज हुई थी एफआईआर

नौ साल तक अधिकारियों की चौखट पर दस्तक दे-देकर थक चुके संतोष ने वर्ष 2012 में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के जनता दर्शन कार्यक्रम में मुलाकात कर अपने संग हुए फर्जीवाड़े की शिकायत की। उनके आदेश पर हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कर मामले को वाराणसी के चौबेपुर थाने ट्रांसफर कर दिया गया। लेकिन, चौबेपुर पुलिस ने मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी।  हताश संतोष ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देना शुरू किया। लगातार पांच साल तक धरना देने का भी कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार, बीती 21 दिसंबर को संतोष ने डीजीपी मुख्यालय पहुंचकर लोक शिकायत प्रकोष्ठ में पूरे मामले की शिकायत की। प्रकोष्ठ ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई तो फर्जीवाड़े और पुलिस की करतूत का खुलासा हुआ।

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सुरक्षा व कार्रवाई का आदेश

डिप्टी एसपी शिकायत प्रकोष्ठ नितिन कुमार सिंह ने संतोष को लिखित सूचना दी कि उनकी शिकायत पर कराई गई प्रारंभिक जांच में उनके द्वारा लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए। इसके मद्देनजर बीती दो फरवरी को एसएसपी वाराणसी को चौबेपुर थाने में दर्ज एफआईआर की अग्रिम विवेचना क्राइम ब्रांच से कराने का आदेश दिया। इसके साथ ही मामले के पूर्व विवेचक के खिलाफ विभागीय जांच कराने का निर्देश भी दिया गया है। अपनी एप्लीकेशन में खतरे का अंदेशा जताने पर संतोष को वाराणसी में रहने के दौरान सुरक्षा उपलब्ध कराने और आरोपियों के खिलाफ निषेधात्मक कार्रवाई का भी आदेश दिया गया है। पुलिस की इस कार्रवाई पर संतोष ने बताया कि अब उसे पूरा विश्वास है कि वह एक बार फिर से 'जिंदा' हो सकेगा और उसकी जमीन उसे वापस मिल सकेगी।

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