श्रम कानून में सबका साथ सबका विकास

नरेंद्र मोदी ने श्रम कानूनों में बदलाव लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस नई प्रक्रिया के तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फैक्टरी कानून, एप्रेंटिस कानून और श्रम कानून में संशोधन पर सहमति जताई है. इन संशोधनों में कुछ प्रतिष्ठानों को रिटर्न भरने और रजिस्टर रखने से छूट शामिल है. इस बारे में श्रम मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि मंत्रिमंडल ने इन संशोधनों पर अपनी सहमति दे दी है और इन संशोधनों को मौजूदा सत्र में सदन में लाया जाएगा.

महिला सुरक्षा का रखा गया पूरा ध्यान

नए श्रम कानूनों में महिलाओं के रात की शिफ्टों में काम करने को लेकर मानदंडों में थोड़ी फ्लेक्सिबिलिटी लाई गई है. इन अमेंडमेंट्स में महिलाओं के नाइट शिफ्ट करने के बाद उन्हें सुरक्षित रूप से घर पहुंचाने की व्यवस्था भी की गई है.

बढ़ सकते हैं ओवरटाइम के घंटे

नए अमेंडमेंट्स में कर्मचारियों की सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स में सुधार, ओवरटाइम के घंटों में वृद्धि और सोशल एक्टिविटीज में पार्टिसिपेशन शामिल है. मसलद कुछ केसेज में प्रति तिमाही ओवरटाइम 50 घंटे से बढ़ाकर 100 घंटे करने और सोशल रिस्पॉंसिबिलिटी के लिए समय 75 घंटों से बढ़ाकर 125 घंटे करना शामिल है.

एप्रेंटिस के बाद नौकरी

मोदी सरकार ने कंपनियों के लिए यह अनिवार्य किया है कि वे 50 परसेंट अप्रेंटिस को स्थायी कर्मचारियों के रूप में नौकरी दें. इसके साथ ही फैक्टरी कानून का संशोधन कहता है कि अब कर्मचारी 90 दिनों तक काम करने के बाद पगार के साथ छुट्टी ले सकता है. इसके पहले यह समय सीमा 240 दिनों की थी. इन कानूनों के बारे में बोलते हुए श्रम राज्यमंत्री विष्णूदेव साईं ने कहा कि इन सशोधनों का उद्देश्य मौजूदा औद्योगिक स्थितियों के अनूरूप श्रम कानूनों को ढालना है वहीं कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इन कदमों का विरोध करने का फैसला किया है.

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