- सरस्वती विद्या मंदिर महिला पीजी कॉलेज में चल रहे दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का हुआ समापन

GORAKHPUR: हमारे सोसायटी में मॉर्डन टेक्नोलॉजी बढ़ती जा रही है, लेकिन डेवलपमेंट अभी भी बाधित ही है, क्योंकि आज का वातावरण चाहे सामाजिक हो या फिर प्राकृतिक. सभी आधुनिकता का दुष्प्रभाव झेल रहे हैं. प्राचीन समय में मशीनों का प्रयोग कम होता था, लेकिन जैसे-जैसे इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है, वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है. यह बाते 'चैलेंजेज ऑफ बॉयलॉजिकल एंड एन्वॉयरमेंटल साइंस इन ख्क् सेंचुरी' सब्जेक्ट के नेशनल कांफ्रेंस के दौरान एमडी यूनिवर्सिटी, रोहतक प्रो. रवि प्रकाश ने कही.

सभी ने रखे अपने विचार

सरस्वती विद्या मंदिर महिला पीजी कॉलेज में चल रहे दो दिवसीय नेशनल सेमिनार में जहां कई साइंटिस्ट ने अपने-अपने विचार प्रकट किए. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से आए प्रो. आरएस पाण्डेय ने कहा कि प्राचीन काल में भी पर्यावरणीय प्रदूषित होता था, जिसका कारण प्राकृतिक क्रियाएं होती थी, लेकिन उसका संतुलन प्रकृति स्वयं ही कर लेती थी. वर्तमान समय में मानवकृत और उसके विकास एवं आधुनिकता के कारण होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण को प्रकृति संतुलित नहीं कर पा रही है. इसी क्रम में नेशनल कांफ्रेंस में प्रो. वीके गर्ग ने कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरणीय असंतुलन के कारण हमारे धरती से जैविक विविधता में ह्रास देखने को मिलता है. अपने देश में ही विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की संख्या में कमी आ रही है. इस कमी का मुख्य कारण अनेक प्रकार के कीटनाशक रसायनों का अत्याधिक प्रयोग है. जिसका प्रभाव जल एवं मिट्टी पर भी पड़ रहा है.

दो युवा वैज्ञानिकों को किया गया सम्मानित

नेशनल कांफ्रेंस के समापन पर दो युवा वैज्ञानिक दीपक भारती व नरेंद्र कुमार मिश्र और पोस्टर सेशन में तीन प्रतिभागी उपमा श्रीवास्तव, स्नेहा चौधरी, सरिता पाण्डेय को सम्मानित किया गया. इस मौके पर प्रो. अजय कुमार, प्रो. बीडी जोशी, प्रो. वीएन सिंह, प्रिंसिपल रीना त्रिपाठी व विभिन्न यूनिवर्सिटी से आए शोध छात्र डॉ. अरूण, डॉ. शरद मिश्रा, डॉ. पीएच पाठक, डॉ. सुनील, डॉ. वीना बत्रा, डॉ. मधुलिका, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. बृंदा, डॉ. कनक मिश्रा, आत्म ज्योति सिंह, हरिशंकर राय आदि टीचर्स मौजूद रहे.