- एनआईटी में मैकेनिक्स ऑफ कंपोजिट मैटेरियल पर वर्कशॉप ऑर्गनाइज

-50 से अधिक स्कालर्स ने किया पार्टिसिपेट

PATNA: कंपोजिट मैटेरियल मॉडर्न लाइफ में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। खासकर जब लाइटवेट मैटर की बात हो, तो कंपोजिट मैटेरियल का अप्लीकेशन कई प्रकार से एक उम्दा स्थान रखता है। इसकी रिसर्च एरियाज को एक्सप्लोर करने के मकसद से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी )पटना के सिविल डिपार्टमेंट की ओर से 'मैकेनिक्स ऑफ कंपोजिट मैटेरियल' सब्जेक्ट पर 27 और 28 नवंबर तक दो दिनों का वर्कशॉप ऑर्गनाइज किया गया। इसके को-आर्डिनेटर प्रो। अजय कुमार और सिविल डिपार्टमेंट के हेड संजीव सिन्हा मौजूद थे। वर्कशॉप के की-स्पीकर के रूप में आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर अनुपम चक्रवर्ती मौजूद थे। उन्होंने पार्टिसिपेंट्स को इसके बारे में बेसिक जानकारी दी और अप्लीकेशन को डेवलप करने और मैटेरियल क्लासिफिकेशन के बारे में बताया। शुक्रवार को रिसर्च के बारे में जानकारी दी जाएगी।

It is more strengthful

आई नेक्स्ट से बातचीत में की स्पीकर प्रोफेसर अनुपम चक्रवर्ती ने बताया कि कंपोजिट मैटेरियल रिलेटिवली एक न्यू एरिया है स्टडी और रिसर्च दोनों की स्तर पर। इसका दो टाइप है एक-फाइवर और दूसरा मैट्रिक्स। इसका मैटेरियल रिलेटिविली ज्यादा स्टेंथफुल है। यही वजह है इसका अप्लीकेशन मेट्रोलॉजी, सिविल और एयरोस्पेस सहित कई क्षेत्र में। उदाहरण के तौर पर एक ब्रिज बनाने में अगर इस प्रकार के मैटेरियल का यूज लांग स्पैन स्ट्रक्चर में किया जाता है, तो टोटल स्ट्रक्चर का वेट कम होगा। वह स्टील या लोहे की तुलना में कई गुना मजबूती वाला होगा। इसी प्रकार मिलेट्री के द्वारा एफआरबी मैटेरियल यूज होता है ब्रिज को पार करने के लिए।

लर्निग के लिए बेहतर मौका

एक नया एरिया है कंपोजिट मैटेरियल वर्कशॉप में रिसर्च स्कॉलर, एमटेक स्टूडेंट्स और सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के फैकल्टी मेंबर्स ने वर्कशॉप अटेंड किया। इसमें करीब भ्0 से अधिक पार्टिसिपेट किया गया। इन सभी ने कंपोजिट मैटेरियल के मैकेनिक्स के बारे में बेसिक इनफारमेंशन ली। पार्टिसिपेंट्स ने लर्निग के लिए इसे एक बेहतर मौका बताया। आम तौर पर स्टील और अदर मैटर के बारे में एक व्यापक जानकारी है। लेकिन कंपोजिट मैटेरियल के बारे में जानकारी कम है, लेकिन मार्डन लाइफ में इसके कई अप्लीकेशन के बारे में जानकारी मिली।