बेटा बोला, विधि-विधान से क्रिया कर्म की नहीं दी गई परमिशन

अंतिम संस्कार के वक्त भी पूरी नहीं कराई गई रस्में, दसवां-तेरहवीं भी अटकी

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: मुझसे अभागा बेटा कौन होगा। माता-पिता और दो बहनों को जघन्य तरीके से मौत के घाट उतार दिया गया। मैं कुछ नहीं कर पाया। मजबूरियां थीं, शायद इससे मुझे अपनों से माफी मिल भी जाए। लेकिन, इसकी तो माफी शायद ही मिलेगी कि मैं उनका अंतिम संस्कार और क्रिया-कर्म भी रीति-रिवाजों के अनुसार नहीं कर पाया। यह सब इसलिए है क्योंकि शासन के निर्देश पर प्रशासन ने हमें एक कमरे में कैद कर दिया है। अब तो क्रिया कर्म तभी करुंगा जब परिवार उजाड़ने वालों को सजा मिल जाए। फिलहाल तो इसका आसार भी कम ही नजर आता है क्योंकि पूरा अमला मामले को ही दबाने में लगा है।

प्रशासन से नहीं मिली कोई मदद

शनिवार को सर्किट हाउस में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बात करते हुए मक्खन लाल के बेटे रंजीत ने कहा कि माता-पिता और बहनों के शव को मुखाग्नि देने के बाद कर्मकांड न कर पाने की वजह है, लेकिन उसे वह कह नहीं पा रहे हैं। क्योंकि एडमिनिस्ट्रेशन ने मदद का पूरा भरोसा दिया था, अब कोई मदद नहीं हो रही है। रूंधे हुए गले से रंजीत ने कहा कि घटना के बाद परिजनों के शवों को पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया। पीएम हाउस से शव घर लाने की परमिशन नहीं दी गई। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को अपनाने नहीं दिया गया। चारों लोगों के शव को सीधा रसूलाबाद घाट ले जाया गया। जहां पुलिस की मौजूदगी में मैने केवल मुखाग्नि दी। पिंडदान से लेकर दाग देने से पहले होने वाली कोई भी रस्म अदा नहीं करने दी गई। मुखाग्नि देने के बाद से लगातार सर्किट हाउस में हैं। अब कर्मकांड कहां करें, सर्किट हाउस में?

वही कर पा रहे जो प्रशासन चाहता है

भाई के साथ मौजूद मक्खन लाल की बेटी बबिता ने कहा कि परिजनों की हत्या के बाद से सब कुछ केवल एडमिनिस्ट्रेशन का चल रहा है। हमारा कुछ नहीं चल रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे अधिकारी और नेता मामले को दबाना चाहते हैं। हमें तो बस केवल सर्किट हाउस में लाकर कैद कर दिया गया है। आखिर कब तक हम सर्किट हाउस में रहेंगे। कुछ दिनों बाद हमें सर्किट हाउस के बाहर कर दिया जाएगा और फिर हमें भी मौत के घाट उतार दिया जाएगा।

हत्यारों के पकड़े जाने के बाद ही करुंगा कर्मकांड

माता-पिता और दो बहनों की जघन्य हत्या करने वाले हत्यारों के अभी तक न पकड़े जाने, पूरे मामले का खुलासा न होने और सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई मदद न मिलने के साथ ही कर्मकांड न कर पाने से दुखी रंजीत ने कहा कि अब परिजनों का क्रिया कर्म वह तभी करेगा, जब हत्यारों को पकड़ा जाएगा और उन्हें न्याय मिलेगा। बहन बबिता ने भी इन्हीं शब्दों को दोहराते हुए गुस्से का इजहार किया। कहा कि ये हमारा विरोध भी है और मजबूरी भी।

क्रिया कर्म न होने पर मिलती है प्रेत योनी

तीर्थ पुरोहित दीपू शास्त्री बताते हैं कि मौत स्वाभाविक हो या फिर अकाल, मृतक का क्रिया कर्म किया जाना अनिवार्य है। हिंदू धर्म और गरुण पुराण के अनुसार किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद क्रिया कर्म न होने पर मृतकों को प्रेत योनी मिलती है। इसका असर यह होता है कि वंश की वृद्धि रुक जाती है। पूरा परिवार पितृ दोष से पीडि़त रहता है। मृत्यु के बाद मुखाग्नि देने और फिर मुखाग्नि के बाद दस कर्म का पिण्डदान आवश्यक होता है। जिसे दसगात भी कहते हैं। 11वें दिन एकादशा: सपिण्डन यानी पितृ बिदौनी की जाती है। इससे मृतक पितृ यौनी में चले जाते हैं।

परिजनों की हत्या के बाद से सब कुछ केवल एडमिनिस्ट्रेशन का चल रहा है। हमें कोई पूछने वाला नहीं है। ऐसा लग रहा है जैसे अधिकारी और नेता मामले को दबाना चाहते हैं।

बबिता, मृतक मक्खन की बेटी

अब परिजनों का क्रिया कर्म तभी करुंगा, जब हत्यारों को पकड़ लिया जाय और उन्हें न्याय मिले।

रंजीत, मृतक मक्खन का बेटा