-नक्सली बेस्ड फिल्म प्रत्यावर्तन-द होमकमिंग रांची के तीन सिनेमाघरों में हुई रिलीज

-युवाओं के नक्सली बनने व मुख्यधारा में लौटने की कहानी कहती है फिल्म

RANCHI: झारखंड पुलिस ने नक्सलियों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए बंदूक के बाद अब सिनेमा को हथियार बनाया है। इसके तहत नक्सलियों पर बेस्ड फिल्म प्रत्यावर्तन-द होमकमिंग शुक्रवार को राजधानी के तीन सिनेमाघरों फन, ग्लिट्ज व प्लाजा में रिलीज की गई। मौके पर फिल्म के सलाहकार पूर्व डीजीपी राजीव कुमार भी मौजूद थे। इस फिल्म के माध्यम से झारखंड पुलिस ने खासकर रूरल एरियाज के युवाओं के बीच जागरूकता फैलाने व भटके हुए नक्सलियों को मुख्य धारा में वापस लाने का संदेश दिया है। समाज के भटके हुए युवा किस तरह नक्सली बनते हैं। इनके नक्सली बनने और मुख्यधारा में लौटने की कहानी पर यह फिल्म आधारित है। यह फिल्म पूरे दो घंटे क्8 मिनट की है।

क्या है फिल्म की कहानी

फिल्म की पूरी कहानी एक युवा नक्सली 'सूरज' एवं एक गंवई लड़की 'सूरतिया' के इर्द-गिर्द घूमती है। सूरज समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने की सोच से नक्सली बनता है, जबकि सूरतिया गैंगरेप विक्टिम है। सूरज सूरतिया को दुष्कर्मियों के चंगुल से बचाकर अपनी एक चाची के घर ले जाता है, जहां चाची का प्यार पाकर सूरतिया में जीने की इच्छा फिर से जग जाती है। इसी बीच सूरज व सूरतिया में प्यार हो जाता है, पर सूरज को मुख्यधारा में लौटना असंभव सा लगता है। अंतत: सूरज और सूरतिया विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। कुछ दिनों बाद सूरज को जब पिता बनने की सूचना मिलती है, तो वह एक जिम्मेदार पिता बनने का निर्णय लेता है। पर, उसके मुख्यधारा में लौटने की राह आसान नहीं थी। उसके गिरोह के लोग ही उसके दुश्मन बन जाते हैं। सूरज को काफी संघर्ष करना पड़ता है, कई मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं, पर अंतत: प्यार की जीत होती है और सूरज मुख्यधारा में लौटने में सफल हो जाता है।

झारखंड पुलिस की परिकल्पना

फिल्म की परिकल्पना एवं प्रोडक्शन झारखंड पुलिस की है। मुख्य संरक्षक डीजीपी डीके पांडेय हैं। फिल्म में सूरज की भूमिका में इशान, सूरतिया की भूमिका में मौसमी भट्टाचार्य, चाची की भूमिका में श्रीला मजुमदार एवं चंदन की भूमिका में सैकत चट्टोपाध्याय हैं। फिल्म के निर्देशक नीमू भौमिक हैं। कहानी भी इन्हीं की है। पटकथा एवं संवाद सैकत चट्टोपाध्याय के हैं। संगीतकार पिनाक भट्टाचार्य हैं।