RANCHI: झारखंड में भी छत्तीसगढ़ के सुकमा की तरह नक्सली हमला कर सकते हैं। राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में इसकी आशंका है। इस संबंध में खुफिया विभाग ने राज्य सरकार को एक रिपोर्ट भेजी है। आशंका के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय ने नक्सल प्रभावित जिलों के डीआईजी, डीसी तथा एसपी को सूचित कर दिया है। अधिकारियों से यह रिपोर्ट भी मांगी गई है कि आखिर किन-किन इलाकों में सरकार द्वारा विकास कार्य किए जा रहे हैं। वहां सुरक्षा को लेकर कैसी व्यवस्था है।

हो चुका है पलामू में हमला

छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले के कुछ देर बाद ही झारखंड में भी नक्सली हमले की खबर आई। लातेहार के बूढ़ा पहाड़ इलाके में चल रहे ऑपरेशन के दौरान सोमवार शाम नक्सलियों के एक हमले में सुरक्षाबलों के तीन जवान जख्मी हो गए हैं। पुलिस और सीआरपीएफ के द्वारा काबिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

महिलाओं व बच्चों को जोड़ रहे

एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के बाद माओवादियों ने महिलाओं व बच्चों को बंदूक थमा दिया है। नक्सली अपने संगठन में बच्चों को भर्ती कर उन्हें माओवाद का पाठ पढ़ा रहे हैं। जनता के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए वे बाल दस्ता और बालसंघम तैयार कर रहे हैं। खासकर छत्तीसगढ़ और उससे जुड़े राज्यों के कुछ जिलों में नक्सलियों द्वारा महिलाओं और बच्चों की भर्ती किया जा रहा है। सुकमा हमले में महिला नक्सलियों का माओवादियों ने इस्तेमाल भी किया है।

पलामू के जंगलों में ट्रेनिंग

नक्सली झारखंड में पलामू के जंगलों में लड़कों और लड़कियों को हथियार चलाने का ट्रेनिंग दे रहे हैं। क्ख् साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को हथियार चलाने में ट्रेंड किया जा रहा है। इन्हें बारूदी सुरंग बिछाने और उन्नत हथियार चलाने का प्रशिक्षण मिल रहा है। जो लड़के माओवादियों की गुरिल्ला टुकडि़यों में होते हैं, जिन्हें दलम कहा जाता है। ये सुरक्षा बलों के खिलाफ लड़ते हैं।

पीएलजीए में म्0 हजार नक्सली

माओवादियों की मौजूदा म्0 हजार नक्सलियों वाली पिपुल लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी(पीएलजीए) बच्चों, किशोरों व युवाओं से बनी है। यह बात अलग है कि जो कभी बाल या किशोर थे, वे अब युवा बन चुके हैं और बड़े पदों पर हैं। लेकिन ये कम उम्र में ही भर्ती हुए थे। इस बात के प्रमाण नहीं है कि बालिग आदिवासी बड़े पैमाने पर खुद माओवादियों की सेना में शामिल हुए हों।

.कैसे-कैसे बच्चे संगठन में

वैसे बच्चे जो कभी स्कूल नहीं गए

कभी जंगल के बाहर की जिंदगी को नहीं जाना।

बारूदी सुरंगें कैसे बिछाई जाए।

कैसे राइफल से गोली दागनी है।

एनकाउंटर में कैसे विरोधियों को मारना है