- मोबाइल की फॉरेंसिक जांच में हुआ 2ाुलासा

- एटीएस कर रही डिलीट मैसेज रिट्रीव कराने की कोशिश

- सर्वर से मैसेज की डिटेल मिलना नामुमकिन

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW :

देश के आतंकियों ने अपने साथियों और पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से संपर्क के लिये चाइनीज चैटिंग एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह 2ाुलासा हुआ है हाल ही में पकड़े गए लश्कर आतंकी शे2ा अ4दुल नईम के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच में। एटीएस सूत्रों की मानें तो मोबाइल में तमाम मैसेज डिलीट कर दिये गए हैं लेकिन, उन्हें फिर से रिट्रीव कराने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, यह बताना जरूरी है कि मैसेज रिट्रीव कराने की यह कोशिश एप के सर्वर से मुमकिन नहीं बल्कि, इसके लिये लोकल स्तर पर सॉ3टवेयर इंजीनियरों की मदद ली जा रही है।

चाइनीज कंपनी ने नही दी स्वीकृति

देश के साइबर स्पेस में हजारों की सं2या में चैटिंग एॅप्लीकेशन मौजूद हैं। तमाम एॅप्लीकेशंस के संचालकों ने सुरक्षा कारणों के चलते जरूरत पड़ने पर मांगे जाने वाला डाटा मुहैया कराने की केंद्रीय गृह मंत्रालय को लि2िात स्वीकृति 5ाी दी। हालांकि, कई एॅप्लीकेशन ऐसी 5ाी हैं, जिन्होंने ऐसी स्वीकृति नहीं दी। इनमें चाइनीज कंपनियों द्वारा संचालित चैट एॅप्लीकेशंस शामिल हैं। आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने की आशंका में ही सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय से इस पर रोक लगाने की गुजारिश की लेकिन, बावजूद इसके यह एॅप्लीकेशंस साइबर स्पेस में आसानी से अवलेबल हैं। आमतौर पर मोबाइल फोन व टेलीफोन सर्विलांस के जरिए आतंकी गतिविधियों पर नजर र2ाने वाली सुरक्षा एजेंसियों के सामने यह नया ट्रेंड चुनौती पेश कर रहा है।

रेकी कर 5ोजता था तस्वीरें और डिटेल

इसी का फायदा उठाते हुए लश्कर आतंकी शे2ा अ4दुल नईम ने साथियों व अपने आकाओं से संपर्क के लिये एक चाइनीज एप का इस्तेमाल किया। हालांकि, वह हर संवाद के बाद मैसेज डिलीट कर देता था। आतंकी नईम के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच में इस चैटिंग एप की जानकारी मिलने पर एनआईए व एटीएस ने नईम से पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक, नईम ने पूछताछ में कुबूल किया कि उसके आकाओं ने ही उसे निर्देश दिया था कि वह इस एॅप्लीकेशन के जरिए ही बातचीत किया करे। उसने बताया कि प्रदेश के वि5िान्न टूरिस्ट प्लेस की रेकी कर उसने इसी एप के जरिए वहां की फोटोग्राफ व डिटेल आकाओं तक 5ोजी। इसके अलावा देश5ार में फैले अपने मॉड्यूल्स से 5ाी वह इसी एप के जरिए संपर्क में रहता था। यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियों की नजर में वह नहीं चढ़ सका। एटीएस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एप का सर्वर चाइना में है, इसलिए वहां से तो कोई डिटेल मिलना मुमकिन नहीं है। यही वजह है कि सॉ3टवेयर इंजीनियर्स की मदद से डिलीट किये गए मैसेज रिट्रीव कराने की कोशिश की जा रही है।

चीन से मिली अप्रत्यक्ष रूप से मदद

एटीएस सूत्रों ने बताया कि दुनिया5ार में सबसे अधिक लोकप्रिय चैटिंग एप वाट्सएप को चीन ने बैन कर र2ा है। वजह 5ाी साफ है, चीन नहीं चाहता कि मैसेज व कॉल किसी 5ाी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगें। यही वजह है कि उसने न सिर्फ वाट्सएप को अपने देश में बैन किया बल्कि, ऐसी ही तमाम एॅप्लीकेशंस को साइबर स्पेस में उतार दिया। सूत्रों का कहना है कि यह तमाम एॅप्लीकेशंस की संचालक प्राइवेट कंपनियां हैं लेकिन, इनके डिजाइन व सर्वर का नियंत्रण चाइजीन आर्मी व इंटेलिजेंस एजेंसी की निगरानी में होता है। 2ास बात यह है कि इन कंपनियों ने 5ारतीय गृह मंत्रालय को डाटा मुहैया कराने पर 5ाी अपनी स्वीकृति नहीं दी है। ऐसे में यह साफ है कि चीन 5ाी ऐसी एॅप्लीकेशंस के जरिए आतंकियों की अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहा है।

वाराणसी से दबोचा गया था नईम

एनआईए व यूपी एटीएस की टीम ने बीती 29 नवंबर को लश्कर के 2ाूं2ार आतंकी शे2ा अ4दुल नईम उर्फ समीर उर्फ नोमी को वाराणसी से दबोचा था लेकिन, उसकी अरेस्टिंग ल2ानऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से दि2ाई गई थी। पूछताछ में नईम ने 2ाुलासा किया था कि उसने ल2ानऊ के कैंट इलाके व सीएम आवास के अलावा वाराणसी के 5ाीड़5ाड़ वाले घाटों व इजरायली कैफे की 5ाी रेकी की थी। इन जगहों के वीडियो 5ाी उसके मोबाइल फोन पर मिले थे। पूछताछ में उसने कुबूल किया था कि इन स5ाी जगहों पर वह हमले की योजना बना रहा था।