जीएम एनसीआर के ए और बी ब्लाक में लगा सौर ऊर्जा संयंत्र

सात साल में निकल आएगी लागत, 25 साल तक होगा इस्तेमाल

प्रधानमंत्री की पहल पर रेलवे ने वैकल्पिक ऊर्जा के बड़े इस्तेमाल पर काम करना शुरू कर दिया है। सूबेदारगंज स्थित जीएम ऑफिस के ए और बी ब्लाक में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर दिया गया है। रेलवे जंक्शन के प्रकाश की व्यवस्था भी सौर ऊर्जा संयंत्र से करने की तैयारी में है। खास बात यह है कि इससे रेलवे पर्यावरण प्रदूषण रोकने के साथ ही बिजली पर होने वाले व्यय को रोकने के साथ खर्च को कंट्रोल भी करेगा।

82.43 लाख रुपए है लागत

जीएम कार्यालय के ए एवं बी ब्लाक में लगे ऊर्जा सयंत्र की लागत 82.43 लाख रुपए है। इसमें तीन वर्ष का अनुरक्षण व्यय भी शामिल है। इससेलगभग 140000 यूनिट प्रति वर्ष ऊर्जा का उत्पादन होगा। इसकी कॉस्ट 1080800 होगी। इसके जरिए रेलवे प्रतिवर्ष 157.24 टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन भी रोकेगा। सयंत्र की लागत सात वर्षो में निकल आएगी और इसकी आयु 25 वर्ष है।

हरित ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य

एनसीआर प्रधान कार्यालय को प्रदूषण रहित क्षेत्र बनाये जाने के साथ ही 100 प्रतिशत स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा के उत्पादन के लक्ष्य पर भी काम कर रहा है। यहां एक मेगावाट का प्लांट लगाने की योजना है। प्लेटफामों की छतों, स्टेशन भवन, कार्यालय भवन, कार्याशालाओं तथा विद्वुत लोको शेड्स पर भी दस मेगावाट का सोलर प्लान्ट लगाने की भी योजना है।

सौर ऊर्जा उत्पादन की खास बातें

सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी के साधन पारम्परिक विद्युत चलित साधनों तथा वैकल्पिक स्त्रोतों कोयला, जल, वायु से बेहतर एवं लाभदायक हैं

सूर्य की किरणों से पृथ्वी की सतह पर लगभग 1000 वाट प्रति वर्ग मीटर ऊर्जा प्राप्त होती है

इसे सोलर पैनल्स द्वारा संचालित करके विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है

व्यवसायिक एवं आवासीय विद्वुत उत्पादन एवं आपूर्ति के लिए सोलर पैनल का उपयोग वृहद फोटोवोल्टाइक सिस्टम के रूप में किया जाता है

फोटो वोल्टाइक सेल्स का उपयोग सीधे सूर्य के प्रकाश पर नहीं रहता और यह बादलों वाले दिनों में भी बिजली पैदा कर सकते हैं