-एम्स में आर्यन को मिली थी प्रदेश में फ‌र्स्ट व ऑल इंडिया लेवल पर 11वीं रैंक

-गरीबों के लिए सस्ते व सटीक ट्रीटमेंट पर रिसर्च करना होगा मकसद

VARANASI

नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) में आर्यन राज सिंह को ऑल इंडिया लेवल पर नौवीं रैंक मिली है। वहीं एम्स-ख्0क्7 में आर्यन को क्क्वीं रैंक मिली थी। हालांकि आर्यन ने एम्स से ही एडमिशन लेने का डिसीजन लिया है। आर्यन का मानना है कि एम्स के माध्यम से एमबीबीएस में एडमिशन फ‌र्स्ट रैंक के कॉलेज में होगा। मेडिकल कॉलेजेज में एडमिशन के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (सीबीएसई) ने सात मई को नीट कराया था। वहीं सीबीएसई ने क्म् मई को आंसर की वेबसाइट पर अपलोड की। इस बीच एग्जाम कैंसिल करने की मांग को लेकर कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हालांकि सीबीएसई ने एग्जाम कैंसिल करने से इंकार कर दिया। इस क्रम में शुक्रवार को सीबीएसई ने नीट का रिजल्ट भी डिक्लेयर कर दिया।

बड़ी उपलब्धि हासिल करना लक्ष्य

आर्यन ने बताया कि मेडिकल रिसर्च के फील्ड में बड़ी उपलब्धि हासिल करना जीवन का मूल उद्देश्य है। ताकि सस्ते व सटीक ट्रीटमेंट का रास्ता निकाल कर गरीबों की सेवा की जा सके। विवेकानंदपुरम कॉलोनी निवासी आर्यन राज ने डीपीएस वाराणसी से सीबीएसई क्ख्वीं का एग्जाम 9म्.ख् परसेंट मा‌र्क्स के साथ पास किया है। आर्यन के पिता डॉ। संजय कुमार बीएचयू में ज्वाइंट रजिस्ट्रार (डेवलपमेंट) पद पर कार्यरत हैं, वहीं माता सुनीता सिंह बीएचयू में सीएसएसडी इंचार्ज हैं।

टाइम मैनेजमेंट का रखें ख्याल

आर्यन अपनी कामयाबी का श्रेय माता-पिता व आकाश इंस्टीट्यूट के मार्गदर्शन को दिया। माता-पिता को रोल मॉडल मानने वाले आर्यन को खाली वक्त में फुटबाल खेलना, गिटार बजाना व स्वीमिंग करना पसंद है। मेडिकल फील्ड में करियर बनाने की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को टाइम मैनेजमेंट की सलाह देते हुए कहते हैं कि बायो वर्ग के स्टूडेंट्स को एनसीईआरटी की बुक्स पर ही केंद्रित रहना चाहिए। सेशन की शुरुआत से ही टाइम टेबल बनाकर पढ़ाई शुरू करना फायदेमंद होता है। एग्जाम के ठीक पहले रीविजन के लिए रोजाना क्भ् से क्म् घंटे सेल्फ स्टडी की वजह से सारे कॉन्सेप्ट क्लीयर थे। इस तरह का मैनेजमेंट मेडिकल में करियर बनाने वाले को अपनाना फायदेमंद रहेगा।