-32वें आईकान कांफ्रेंस में मेडिकल नेग्लिजेंसी पर हुई चर्चा

-डॉक्टरों की ओर से जानकारी नहीं देने पर ही होती है नेग्लिजेंसी

PATNA : अक्सर ऐसा सुनने में आता है कि डॉक्टर की आरे से पेशेंट को सही जानकारी न देने पर पेशेंट की मौत हो गई या उसे शारीरिक कष्ट झेलने की नौबत आ गई। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए होटल चाणक्या में फ्ख्वें आईकॉन कांफ्रेंस के तीसरे दिन मेडिकल नेग्लिजेंस के केसेज पर बहस हुई। इसमें पटना हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अभय कुमार सिंह ने कहा कि पेशेंट और डॉक्टर के बीच एक विश्वास होता है। डॉक्टर बार-बार पेशेंट के केस के बारे में जानकारी देते रहते हैं, लेकिन जब कोई बात वे छिपा लेते हैं या पेशेंट को नहीं बताया जाता है तो वह भ्रम में पड़ जाता है।

सबकी जवाबदेही है

इस बारे में संगठन के सेक्रेटरी डॉ जेके सिंह ने कहा कि डॉक्टर्स की टीम में सबकी जबावदेही अपने-अपने स्तर पर महत्वपूर्ण होती है। जानकारी हो कि पेशेंट के इलाज के क्रम में जो डॉक्यूमेंट तैयार किया जाता है वही इसका आधार बनता है। इसे एक एविडेंस के तौर पर काम में लिया जाता है। यह बात मुंबई से आए एडवोकेट अमित कारखानी ने कानूनी पक्षों की चर्चा करते हुए कहा।