PATNA :  थोड़ी सी परेशानी आगे चलकर अर्थराइटिस का रूप ले लेती है। ऐसे में मरीजों को जीवन भर दवाओं पर निर्भर हो जाना पड़ता है। बिहार में जागरुकता के अभाव में अर्थराइटिस के रोगी हर साल बढ़ रहे हैं। बात पटना के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की करें तो यहां आने वाले मरीजों में अधिकतर पसेंट अर्थराइटिस के होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि एक्सरसाइज नहीं करना और ज्वाइंट पेन को नजर अंदाज करना ही इस बीमारी का बड़ा कारण है। इससे बचने के लिए हमे अवेयर होना बहुत जरूरी है।

बुजुर्ग ही नहीं युवा को भी जकड़ रही बीमारी

अर्थराइटिस पहले एक उम्र में होती थी और अधिकतर बुजुर्ग लोगों में ही इसकी शिकायत मिलती थी। अब इसमें काफी बदलाव आ गया है और अब युवा अवस्था में ही अर्थराइटिस हो जा रहा है। सांई फिजियोथेरेपी अस्पताल के निदेशक डॉ राजीव कुमार सिंह का कहना है कि युवा अवस्था में अर्थराइटिस की बीमारी चिंता की बात है। इसे लेकर लोगों को जागरुक होना होगा। जब तक हम जागरूक नहीं होंगे तब तक इस बीमारी से निपटा नहीं जा सकता है।

इसलिए बढ़ता है मर्ज

डॉ राजीव कुमार सिंह के मुताबिक जोड़ों की समस्या शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने के कारण होती है। भोजन में कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जो इस एसिड को बढ़ाने का काम करते हैं.इससे एक तरफ जहां गुर्दा प्रभावित होता है वहीं दूसरी तरफ जोड़ों की समस्या शुरू हो जाती है। एक्सपर्ट के मुताबिक यूरिक एसिड शरीर के जोड़ों में जाकर वहां छोटे छोटे क्रिस्टल का रूप लेते हैं। इसके बाद सूजन दर्द और ऐंठन की समस्या शुरू हो जाती है।

इस लक्षण को हल्के में न लें

-जोड़ों में दर्द का बने रहना

-जोड़ का बड़ा हो जाना और सूजन रहना

-अक्सर सुबह के समय जोड़ों में अकड़न

-जोड़ का सीमित उपयोग ही हो पाना या तेज र्क करना

-जोड़ों के आस पास गर्माहट महसूस होना

-जोड़ों के आस पास की त्वचा पर लालीपन होना

-ऐसे लक्षण दिखने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें

शिविर में किया जाएगा जागरुक

पटना के प्रमुख फिजियोथेरेपिस्ट और सांई फिजियो क्लीनिक के

निदेशक डॉ राजीव कुमार सिंह का कहना है कि मरीजों के लिए नि:शुल्क जांच शिविर के साथ लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व अर्थराइटिस दिवस पर क्ख् अक्टूबर को जागरुकता शिविर का आयोजन किया

गया है। पटना में तीन सेंटर पर मरीजों को जागरुक करने का काम किया जाएगा।