नेपाल के माओवादी नेता और प्राइम मिनिस्टर बाबूराम भट्टराई के एक फैसले से इऩ दिनों नेपाली ऑफिसर्स बेहद चिंतित हैं. दरअसल उन्होंने कहा है कि वे पीएम को मुहैया की जाने वाली महंगी विदेशी कार का इस्तेमाल नहीं करेंगे, वे देश में बनने वाले किसी भी व्हीकल का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं.

पीएम की सुरक्षा में तैनात ऑफिसर्स को पहले तो इस मांग पर भरोसा नहीं हुआ लेकिन फिर भट्टराई ने स्पष्ट किया कि वो अपने लिए नेपाल में बनी गाड़ी मुस्तांग चाहते हैं. नेपाल के अधिकारी ही नहीं नेपाल में ये गाड़ी बनाने वाले गोलछा मोटर्स भी प्रधानमंत्री की इस मांग से आश्चर्य में हैं. कंपनी पिछले 14 वर्षों से गाड़ियों के कलपुर्जे जोड़कर मुस्तांग और शेरपा के नाम से गाड़ियां बना रही है लेकिन किसी ने उन्हें नोटिस नहीं किया था.

पीएम की मांग का पता चलते ही तुरंत विराटनगर से मुस्तांग पीएम के लिए भेजा गया है लेकिन कई लोगों ने मुस्तांग की सुरक्षा खामियों पर सवाल उठाया है. कंपनी ने कहा है कि वो एक से डेढ़ महीने में गाड़ी का बेहतरीन मॉडल प्रधानमंत्री को भेजेंगे. कंपनी ने अपने इंजीनियरों की एक टीम दिल्ली भेजी है ताकि गाड़ी में इस्तेमाल होने वाले अतिरिक्त कलपुर्ज़े लाए जा सकें.

पीएम ने जब से मुस्तांग में चढ़ने की बात कही है तो मुस्तांग खरीदने वालों की संख्या बढ़ गई है. लोगों का कहना है कि इससे नेपाली उत्पादों को बढ़ावा मिल सकेगा. कंपनी के डायरेक्टर सुरेंद्र गोलछा का कहना है कि कंपनी के इंजीनियर पिछले कई वर्षों से चीन और भारत से गाड़ी के कलपुर्ज़े लाकर उन्हें यहां फिट कर के गाड़ी बना रहे हैं. कंपनी का दावा है कि मुस्तांग पहाड़ी इलाक़ों में चलने के लिए बहुत अच्छी होती है. वैसे मुस्तांग की क़ीमत किसी विदेशी बड़ी गाड़ी से काफी कम भी है.

कंपनी का कहना है कि मांग हो तो वो साल में 200 गाड़ियों की डिलीवरी कर सकती है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि गाड़ी में सुरक्षा साधनों की कमी के कारण घरेलू बाज़ार में इसके लोकप्रिय होने के आसार कम हैं. अगर कंपनी ने मुस्तांग में आवश्यक सुधार किए तो संभव है नेपाल में कई लोग ये गाड़ी खरीदने लगें जिससे बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की बचत होगी जिससे लोग विदेशी गाड़ियां खरीदते हैं.

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