GORAKHPUR: आप यकीन नहीं कर पाएंगे यदि आपसे कहा जाए कि एनई रेलवे चूहों से हार गया है लेकिन हकीकत कुछ ऐसी ही है। अपने तमाम संसाधनों के बाद भी रेलवे ने उन्हें भगा नहीं पा रहा और मामूली सा दिखने वाले चूहे मौज ट्रेन से लेकर प्लेटफॉर्म तक मौज में हैं। सिर्फ चूहों को भगाने के लिए एनई रेलवे का हर साल का बजट एक करोड़ है। यदि गोरखपुर की बात करें तो 10 लाख रुपए यहां भी चूहों की खुराक बन जाते हैं। चूहों की वजह से जहां रेलवे को करोड़ों का नुकसान हो रहा है वहीं चूहा भगाने के नाम पर ठेकेदार मालामाल हो रहा है।

 

लाखों का माल साफ

रेलवे पार्सल ऑफिस में लाखों का माल साफ कर देते हैं। पार्सल ऑफिस से रोजाना करीब 50 से 60 फावडिंग भरे जाते है। जिनपर करीब 200 से अधिक माल की बुकिंग होती है। इसके अलावा विभिन्न ट्रेनों से रोजाना 500 से अधिक पार्सल आते हैं। इनमें कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक, ऑटो पा‌र्ट्स, खाने-पीने के सामान आदि होते हैं। जिनके नग व्यापारियों तक पहुंचने से पहले ही पार्सल ऑफिस पर चूहे कुतर देते हैं। इससे व्यापारियों को लाखों रुपए की चपत हर माह लगती है.

 

पैसेंजर्स को भी प्रॉब्लम

चूहों से पैसेंजर्स को भी प्रॉब्लम होती है। दर्जनों बार पैसेंजर्स ने ट्वीट कर रेल मंत्री से इसकी शिकायत की है। बीते दिनों 12554 वैशाली एक्सप्रेस के एसी थर्ड बी वन कोच के बर्थ नंबर 57 पर यात्रा कर रहे कमलेश गोरखपुर उतरे तो उनका कीमती बैग चूहों ने कुतर डाला था। उन्होंने शिकायत भी की लेकिन अधिकतर पैसेंजर्स चूहों से हुए नुकसान की शिकायत नहीं करते।

 

हर ट्रेन में इनकी पहुंच

ट्रेन पैसेंजर हो, एक्सप्रेस या सुपरफास्ट। चूहों की पहुंच हर जगह है। वैशाली, बिहार संपर्क क्रांति, सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस में तो इनका आतंक कुछ अधिक ही है। रिजर्व बोगियों में भी चूहे इधर-उधर भागते हैं और जूते कुतर डालते हैं। कई बार सो रहे पैसेंजर्स के हाथ-पैर में दांत गड़ा देते हैं।

 

चूहों के कारनामे

- गोरखपुर स्टेशन से पार्सल ऑफिस तक सुरंग

- प्लेटफॉर्मो से लेकर यार्ड तक नुकसान

- प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं के सामान कुतरते हैं

- रेलवे के महत्वपूर्ण दस्तावेज को नुकसान

- यात्रियों का सामान कर देते हैं खराब

- हर ऑफिस, विश्रामालय तक गंदगी

- जीआरपी-आरपीएफ थानों में भी आतंक

- अमानती सामान घर बैग काट देते हैं

- कैंटीन में खानपान की वस्तुओं को पहुंचाते नुकसान

 

इसलिए आते हैं चूहे

रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म हो, पार्सल घर या फिर ट्रेन, हर जगह चूहे मिल जाएंगे। चूहों के यहां होने की वजह है कि इन्हें कुतरने व खाने-पीने की चीजें आसानी से मिल जाती है। गोरखपुर स्टेशन से रोज 160 ट्रेनें गुजरती हैं। लाखों लोगों की आवाजाही होती है। लोग मना करने के बाद भी खाने-पीने के सामान पटरियों व कोच के अंदर फेंक देते हैं।

 

चूहा भगाने के लिए यह इंतजाम

- हर साल प्राइवेट वेंडर को दिया जाता है चूहा भगाने का ठेका

- पेस्ट कंट्रोल के तहत वाशिंग पिट में कोच की सफाई के दौरान हर 15 दिन पर दवा का छिड़काव

- रोडेंट कंट्रोल अभियान के तहत चूहेदानी रखी जाती है