'नेताजी' की खत्म हुई 'तलाश'

कार्यक्रम की शुरुआत में 'तलाश' नाटक से हुई, जिसमें दिखाया गया कि किस तरह से एक टीचर अपने स्टूडेंट्स को नेताजी की जीवनी के बारे में बता रहा होता है। तभी गले में नेताजी की तस्वीर को टांगे एक बूढ़ा आदमी आता है और नेताजी का नाम सुनकर टीचर के गले पड़ जाता है कि कहां हैं नेताजी? आज की पीढ़ी से नेताजी को अंजान बताता है। वहीं टीचर बोलता है कि ऐसा नहीं आज भी हमारे में नेताजी जिंदा है। वो है उनके विचार उसके बाद 'लब पर आती है आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी' सांग पर डांस परफॉर्मेंस दी, जिसे देखने के बाद सही मायने में बूढ़े बाबा की तलाश खत्म हो जाती है और आजाद हिंद फौज के चीफ उन्हें मिल जाते हैं।

और कर दिया दिल खुश

उसके बाद बारी थी रंगशाला के कलाकारों की। उन्हें अपने डांस परफॉर्मेंस से सभी का दिल जीत लिया। उनकी शुरूआत लक्ष्य फिल्म के सांग 'कंधों से मिलते हैं मिलते, कदमों से कदम मिलते हैं' डांस परफॉर्म किया। इस दौरान उन्होंने दिखाया कि किस तरह देश आतंकवाद से जूझ रहा है। उसके बाद 'सुनो गौर से दुनिया वालों बुरी नजर न हम पर डालो' गीत पर शानदार परफॉर्मेंस देकर समां में चार चांद लगा दिए।  

कवि युगल ने किया उर्जा का संचार

सुभाष चंद्र बोस जयंती का मौका हो और ओजपूर्ण कविता न सुनाई पड़े। ऐसा कैसा हो सकता है। मेरठ के युगल कवि ने अपने कविताओं और गीतों से सभी के दिलों में एक नई तरह की ऊर्जा का संचार किया। कवि सौरभ सुमन की कविता 'एक बार फिर से सुभाष मांगता है देश' में जिस तरह उन्होंने देश के नेताओं पर कटाक्ष किया वो वाकई काबिले तारीफ था। साथ ही सभा में बैठे हरेक शख्स को सोचने पर मजबूर कर दिया कि वाकई में देश को एक बार फिर से सुभाष की जरुरत है। वहीं कवियत्रि अनामिका 'अंबर' के गीत 'शहीद के बेटे की दिवाली' नाम का गीत सुनकर दिल भर गया। उन्होंने यूथ को सुभाष बनने की प्रेरणा देते हुए कहा कि 'सांसों का देश भक्ति का यूं अनुबंध हो जाए, कोई भगत सिंह तो विवेकानंद हो जाए, केवल फसाद या मजाक अब हमारा मकसद नहीं, युवा पीढ़ी बदलकर के सुभाष चंद्र हो जाए'।

रॉक बैंड का धमाल

उसके बाद रॉकबैंड रेक्टीफायर ने पूरे स्टेज को रॉक कर दिया। उन्होंने एआर रहमान के गाने वंदे मातरम से शुरुआत की। जिसके बाद उन्होंने 'चक दे इंडिया' फिल्म का गाना गाकर सभी को मदहोश कर दिया। बैंड की परफॉर्मेंस को सभी लोगों ने पसंद किया।

आईएनए की है ये टोपी

कार्यक्रम के चीफ गेस्ट पूर्व रेल मंत्री अजय सिंह के बताया कि ये जो टोपी मैंने पहनी हुई है। ये मुझे आईएनए के मेजर ने 40 साल पहले दी थी। मुझे आज काफी खुशी हो रही है कि मुझे इस मौके पर बुलाया। उन्होंने कहा कि आज भी बच्चों को काफी जोश है। ये जोश इसी तरह से कायम रहना काफी जरूरी है। सुभाष जैसा जोश और जुनून अगर हर किसी नौजवान के दिल में आ जाए तो देश की तरक्की को कोई नहीं रोक सकता है। इस मौके पर सीसीएसयू के उर्दू डिपार्टमेंट के अध्यक्ष असलम जमशेदपुरी, पूर्व छात्र नेता राजेंद्र यादव, समाजसेवी प्रभात कुमार राय और कई लोग मौजूद थे।

'आप' की टोपी से मचा शोर

जहां एक ओर आईएनए की टोपी की बात हो रही थी दूसरी ओर प्रेक्षागृह में आप की टोपी का भी काफी शोर रहा। एक आदमी आप की टोपी पहन सबकी ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा था, जिसमें वो सफल भी हुआ है। जैसे ही स्टूडेंट आप की टोपी के शख्स को देखते तो शोर मचाने लगते। दो तीन बार ऐसा होने से वक्ता को अपना मंच तक छोडऩा पड़ा।