- गोल चौराहे के पास ट्रैक किनारे नवजात बच्चे का मिला शव

- प्राइवेट हॉस्पिटलों के आस पास कूड़े के ढेरों में लगातार मिलते हैं भू्रण और नवजातों के शव

- स्वास्थ्य विभाग के पास इनके निस्तारण की कोई गाइड लाइन नहीं

KANPUR: मंगलवार को आईएमए सीजीपी में आए एक डॉक्टर ने बताया कि आज उनके पालतू कुत्ते की मौत हो गई। घरवालों का कुत्ते से इतना लगाव था कि बच्चों के साथ जाकर उन्होंने विधिवत उसका अंतिम संस्कार कराया। वहीं एक प्राइवेट नर्सिग होम से चंद कदम की दूरी पर रेलवे ट्रैक के पास एक नवजात का शव कूड़े के ढेर में आवारा जानवरों के मुंह का निवाला बनने के लिए फेंक दिया गया। ये दोनों घटनाएं अलग-अलग होने के बाद भी इंसान की मानसिकता की दृष्टि से जुड़ी हुई हैं। एक तरफ जानवर के मरने पर विधिवत उसका अंतिम संस्कार किया गया, वहीं दूसरी तरफ एक मासूम बच्चे को मरने के बाद कूड़ा समझ कर गंदगी के ढेर में फेंक दिया गया। हालांकि यह कोई पहली घटना नहीं है। शहर में आए दिन कूड़े के ढेरों में भू्रण और नवजातों के शव मिलते रहे हैं। ज्यादातर तो प्राइवेट हॉस्पिटलों के आस पास ही मिलते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि ऐसे बच्चों के उचित निस्तारण की जिम्मेदारी किसकी है। क्या स्वास्थ्य विभाग, आईएमए और नर्सिग होम एसोसिएशन की ओर से कभी भी कोई विशेष दिशा निर्देश जारी जारी किए गए हैं या नहीं

रेलवे ट्रैक किनारे फेंका नवजात

मंगलवार सुबह गोल चौराहे के पास रेलवे ट्रैक के किनारे एक नवजात का शव पड़ा मिला। जिस जगह शव मिला, उससे कुछ ही दूरी पर प्राइवेट क्लीनिक और हॉस्पिटल भी है। नवजात के टेपिंग भी लगी थी, जिससे पता चल रहा था कि उसके जन्म के दौरान मौत होने के बाद वहां फेंक दिया गया था। यह शव किसी पॉलिथिन, डिब्बे या बैग में नहीं बल्कि ऐसे ही फेंक दिया गया था। सूचना पर पहुंची जीआरपी ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। जीआरपी अनवरगंज के एसआई के मुताबिक बॉडी देख कर तो यही लग रहा है कि उसकी मौत जन्म के दौरान होने पर यहां फेंका गया है। बाकी मौत के कारणों की पुष्टि तो पोस्टमार्टम के बाद ही होगी।

यहां मिलते हैं नवजात और भू्रण

जीटी रोड रेलवे ट्रैक के किनारे, गोल चौराहे से लेकर गुरुदेव क्रासिंग के बीच, लोअर गंगा कैनाल में, रायपुरवा पार्क के आस पास, विकास नगर में, नौबस्ता में, हमीरपुर रोड के किनारे नाले में, कल्याणपुर में आवास विकास सब स्टेशन के आस पास।

न कोई नियम न कार्रवाई

दरअसल गर्भ में अविकसित हुए बच्चों की मौत होने या फिर अबार्शन के दौरान जो भू्रण निकलते हैं। उनको निस्तारित करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के पास कोई गाइडलाइन या दिशा निर्देश ही नहीं हैं। वैसे किसी भी इंसानी शव को इस तरह से फेंकना पूरी तरह से गैर कानूनी है और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है, लेकिन शहर में हर महीने 3 से 4 ऐसे नवजात बच्चों या मानव भू्रण कूड़े के ढेर में या सड़क किनारे मिल ही जाते हैं। दरअसल शहर के इन इलाकों में मिल चुके दर्जनों भू्रणों व अविकसित नवजातों के शवों को लेकर किसी भी नर्सिग होम या फिर मेटरनिटी सेंटर के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। काकादेव में पिछले साल नहर किनारे कुत्ते एक ऐसे ही नवजात के शव को नोंच कर खा गए थे। उस मामले में पुलिसिया जांच तो बैठी, लेकिन किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हुई और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। ऐसा ही हर बार होता है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के बाद पुलिस कभी भी इस बात का पता नहीं लगाती है कि वह भू्रण कहां से आया।

प्राइवेट नर्सिग होमों के पास मिलते हैं

शहर में अविकसित बच्चों के शव व भू्रण ज्यादातर कुछ प्राइवेट नर्सिग होमों के आस पास ही मिलते हैं। इससे पहले कल्याणपुर आवास विकास में ऐसे कई भू्रण और शव मिल चुके हैं। काकादेव में लोअर गंगा कैनाल में कई भू्रण मिल चुके हैं। यही हाल नौबस्ता में हमीरपुर रोड के किनारे बने नाले का भी है। यहां पर कई नर्सिग होम और मेटरनिटी सेंटर्स हैं।

'किसी भी नवजात या भू्रण को फेंकना पूरी तरह से गैर कानूनी है। इसको लेकर वैसे तो कोई दिशा निर्देश नहीं हैं। ऐसे मामलों में तो पुलिस ही कार्रवाई करती है.'

- वाईके वर्मा, एसीएमओ, स्वास्थ्य विभाग

'प्रेगनेंसी के 24 हफ्ते बाद होने वाले अबार्शन अपराध की श्रेणी में आते हैं। इसमें महिला और डॉक्टर दोनों के खिलाफ ही कार्रवाई होती है। इस तरह की घटनाओं में सिर्फ नर्सिग होम या डॉक्टर्स को ही पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है इसके लिए सोसाइटी को भी अपनी सोच बदलनी होगी.'

- आरसी गुप्ता, सेक्रेट्री, आईएमए