-नए नोटों का दुरुपयोग रोकने के लिए एसबीआई ने शुरू की नई व्यवस्था

- जरूरत की वजह का पू्रफ देने पर ही दी जा रही है नए नोट की गड्डी

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ:

नए नोट को नत्थी कर माला बनाने, गलत इस्तेमाल और सहेजने की आदत ने बैंक के सामने समस्या खड़ी कर दी है। लोगों की इस आदत से पुराने नोट रिप्लेस नहीं हो पा रहे हैं। वहीं शादी और अन्य शुभ मुहूर्त में नोटों की माला के चलन ने नोट की मियाद भी कम कर दी है। जिसे रोकने के लिए बैंक ने एक नई कवायद की है। अब नए नोट की गड्डी लेने के लिए उसकी जरूरत की वजह का प्रूफ भी बैंक में देना होगा। यदि बैंक अधिकारियों को वजह सही लगेगी तब ही नए नोट की गड्डी दी जाएगी और वह भी सीमित संख्या में।

एक लिमिट में ही मिल रही नोट की गड्डी

नोटों की हिफाजत के लिए फिलहाल एसबीआई ने ही कदम उठाए हैं। एसबीआई मेन ब्रांच में 10, 20, 50 या 200 के नए नोट की गड्डी मांगने वालों से बैंक अधिकारी जरूरत की वजह का प्रूफ मांग रहे हैं। मसलन आपको नए नोट क्यों चाहिए इसकी वजह बतानी होगी। संतुष्ट होने के बाद ही एक लिमिट में नए नोट की गड्डी दी जा रही है। वजह सही लगने पर ब्रांच मैनेजर अपने सिग्नेचर से जरूरतमंद व्यक्ति को पर्ची दे रहे हैं, जिस पर यह भी दर्शाया जाता है कि कितने के नोट की और कितनी गड्डी दी जाएं। यह पर्ची दिखाने पर ही करेंसी चेस्ट के कर्मचारी नए नोट की गड्डी दे रहे हैं। जबकि, पहले ऐसा नहीं था। जितनी भी नए नोट की गड्डी लोग मांगते थे मिल जाती थी। कोई पूछताछ नहीं होती थी। बैंक कर्मचारियों से मिलकर नए नोट की माला बनाकर बेचने का कारोबार करने वाले नए नोट की गड्डियां निकलवा लेते थे और मुनाफा कमाते थे, लेकिन एसबीआई की इस कवायद से इस मनमानी पर भी अंकुश लगेगा।

स्टेपलर से नोट की मियाद हो जाती है कम

नत्थी और स्टेपलर किए गए नोट की माला कुतुबखाना और बड़ा बाजार मार्केट में खुलेआम बिक रही हैं। 500 रुपए तक के नोट की माला 550 और 1,000 रुपए तक की बनी माला 1,100 में बिक रही है। जहां पर शहर से लेकर गांव तक के लोग नोटों की माला खरीदने के लिए आते हैं। शादियों के सीजन में 11 लाख रुपए से अधिक का नोटों के हार का बिजनेस होता हैं। नोट को स्टेपलर और नत्थी किए जाने से नोट की मियाद कम हो जाती है। समय से पहले ही नोट फट जाते हैं।

पुराने नोट रिप्लेस नहीं हो पाते हैं

नए नोट सहेजना लोगों की आदत में शुमार है। बच्चे ही नहीं बड़े भी नए नोट को जल्दी खर्च करना नहीं चाहते हैं। जिसकी वजह से नए नोट बैंक से निकलने के बाद सीधे लोगों के पास स्टॉक में पड़े रहते हैं। मार्केट में सर्कुलेट नहीं होने से नए नोट पुराने नोट से रिप्लेस नहीं हो पाते हैं। जबकि, आरबीआई का नए नोट जारी करने के पीछे यही उद्देश्य यही होता है।

अर्थ व्यवस्था हो जाती है गड़बड़

यही नहीं नए नोटों की माला बनाने और नए नोट स्टॉक करके रखने से अर्थ व्यवस्था भी गड़बड़ हो जाती है। मार्केट में चेंज की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि, आरबीआई एक्ट 1934 व बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के मुताबिक नोट का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है। फिर भी नए नोटों का कारोबार नहीं रुक रहा है।

नोट की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन

- स्टेपल और धागे से नत्थी न करें।

- पेन या पेंसिल से कोटेशन न लिखे।

- नोट को कई बार नहीं मोड़ना चाहिए।

- नोट पर कलर न लगाएं।

नोट पर कोटेशन लिखना या नत्थी करना गलत है। कर्मचारियों को ऐसा करने से मना किया गया है। नए नोट का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए ही यह नई व्यवस्था की गई है। ़

सुनील वढेरा, डीजीएम, एसबीआई