छोटे-छोटे फव्वारों से बनी संरचना
अनुसंधानकताओं ने लिखा है कि भूमध्यरेखीय उभारयुक्त संरचना के निर्माण में भूमिगत जल के स्तर में उतार-चढ़ाव की अहम भूमिका प्रतीत हो रही है. पठार पर पाए गए टीलों को अनुसंधानकर्ता छोटे-छोटे फव्वारों से बनी संरचना मान रहे हैं, जबकि समतल स्तरीय संरचना को किसी मरुस्थल का घाटी जैसा और रेतीली भूमि को वायु अपरदन के कारण निर्मित भूसंरचना के रूप में देख रहे हैं. मंगल ग्रह के अत्यधिक क्रेटर युक्त उत्तरी हिस्से में स्थित 'अरबिया टेरा' में मंगल की भूमध्यरेखीय उभारयुक्त संरचना की जांच की गई. अनुसंधानकर्ता इसके निर्माण प्रक्रिया और वहां निवास करने की संभावना को समझने की कोशिश कर रहे थे. मंगल ग्रह के इस पठारी हिस्से में स्थित यह भूमध्यरेखीय उभारयुक्त संरचना अनेक दुर्लभ टीलों, समतल कई स्तरों वाली एवं एकदूसरे पर तिरछे स्तरों पर फैले रेतीले भूभाग से युक्त है.

मिल सकता है पानी
इटली के इंटरनेशनल भूमण्डलीय विज्ञान अनुसंधान स्कूल की अनुसंधानकर्ता मोनिका प्रांडेली के अनुसार, मंगल की धरती पर इस तरह की संरचना वहां जलचक्र की उपस्थिति की संभावना की ओर इशारा करती है, जिसमें हिमांक बिंदु से भी कम तापमान वाली सतह की ओर भूमिगत जल ऊपर की ओर बलपूर्वक निकलता है. ऐसे में अगर यह अनुमान सही हुआ, तो काफी अच्छा संकेत साबित हो सकता है. प्रांडेली और उनके साथी अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि पृथ्वी की पर्यावरणीय परिस्थितियों में इस तरह स्थिति सूक्ष्मजीवियों के पनपने में अहम हो सकती है.

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