सरकार ने जाति प्रमाण पत्र के लिए जो नए गाइडलाइन तय किए हैं, उसे पूरा करने में आवेदकों के पसीने छूट रहे हैं। ओबीसी कैटेगरी में बीसी वन और बीसी टू के लिए 1977 और एसटी-एसटी के लिए 1950 के पहले के जमीन से जुड़े उस कागजात को संलग्न करना होगा, जिसमें उनके पूर्वजों व परिजनों के जाति का नाम दर्ज है। आवेदन के साथ इसे जमा करने के बाद ही संबंधित आवेदक का जाति प्रमाण पत्र बनाया जाएगा। इस बाबत कार्मिक सचिव निधि खरे ने बताया कि सेंट्रल गवर्नमेंट के गाइडलाइन को फॉलो किया जा रहा है, ताकि इसका फायदा दूसरे राज्यों के लोग नहीं उठा पाएं।

 

काफी कम आ रहे हैं आवेदन

जाति प्रमाण पत्र के लिए जो नए गाइडलाइन तय किए गए हैं, उससे आवेदकों की संख्या काफी कम हो गई है। संबंधित दस्तावेज नहीं होने की वजह से लोग जाति प्रमाण पत्र नहीं बनवा पा रहे हैं। डीसी ऑफिस स्थित प्रज्ञा केंद्र में पहले जहां हर महीने चार सौ से ज्यादा आवेदन आते थे, वहीं अब सौ से भी कम आवेदन जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए मिल रहे हैं। पूरे राज्य में आवेदन करने वालों की संख्या काफी कम हो गई है।

 

 

पहले जमीन के डीड या सर्विस बुक पर बनता था सर्टिफिकेट

अभी तक जाति प्रमाण पत्र बनाने का जो प्रॉसेस था, वह काफी आसान था। इसके तहत जमीन का डीड आवेदन के साथ संलग्न करने व उसके वैरीफिकेशन के बाद आवेदक को जाति प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया जाता था। इसके अलावा जो सरकारी नौकरी करने वालों के सर्विस बुक में दर्ज जाति के आधार पर भी आवेदक जाति प्रमाण पत्र बनवा सकते थे।

 

एसटी-एससी के लिए 1950, ओबीसी के लिए 1977 के पहले का देना होगा प्रूव

जाति प्रमाण पत्र बनाने से संबंधित गाइडलाइन में बदलाव किया गया है.यह पहले की तुलना में अब काफी जटिल कर दिया गया है। ओबीसी के लिए 1977 व एसटी-एससी के लिए 1950 के पहले के जमीन का डीड जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए देना होगा।

 

कार्मिक सचिव निधि खरे से सीधी बात

सवाल - जाति आवासीय प्रमाण पत्र बनाने में लोगों को परेशानी हो रही है, 1977 और 1950 का प्रूफ मांगा जा रहा है, पहले ऐसा नही हो रहा था?

जवाब - यह भारत सरकार का गाइड लाइन है। बीसी वन और बीसी टू के लिए 1977 के पहले का कोई भी प्रूफ देना होगा। एससी एसटी कैटेगरी के आवेदकों को 1950 के पहले का काई प्रूफ दिखाने के बाद ही सर्टिफिकेट इश्यू किया जाएगा।

 

सवाल - लेकिन ,पहले पहले का प्रॉसेस काफी आसान था, अब क्यों परेशानी बढ़ गई है?

जवाब- पॉलिसी में इसलिए बदलाव किया गया है ताकि राज्य के जो मूल निवासी हैं, उन्हें ही आरक्षण का लाभ मिल सके।

सवाल - पहले किस बेसिस पर जाति प्रमाण पत्र बन रहे थे?

जवाब- पहले स्थानीयता लागू नही था, इसलिए परेशानी हो रही थी। अभी जो नई नियुक्तियां हो रही हैं, उसमें आरक्षण का लाभ मूल वासियों को मिल सके, इसके लिए नए गाइडलाइन तय किए गए हैं।