- सेकेंड इयर के स्टूडेंट्स फ‌र्स्ट इयर के छात्रों की देखरेख कर रहे हैं

- हाल से लेकर आईआईटी के आडिटोरियम तक लाइन में चल रहे

KANPUR:

सीनियर्स व जूनियर्स स्टूडेंट्स के बीच बेहतर तालमेल बैठाने के लिए आईआईटी की काउंसिलिंग सेल ने सेकेंड इयर के स्टूडेट्स को गाइड बापू का नाम दिया है। बापू शब्द के जो मायने हैं, सीनियर्स स्टूडेंट्स उसका पूरा निर्वहन कर रहे हैं। कोई जूनियर्स को नोट्स बुक अवलेवल करा रहा है, तो कोई स्टूडेंट्स की डिफरेंट्स टाइप की समस्या को सॉल्व कर रहे हैें। बापू की देखरेख में ही स्टूडेंट्स हाल से लेकर आडिटोरियम तक का सफर एक लाइन में कर रहे हैं। क्या मजाल कोई सीनियर्स इन जूनियर्स के आसपास फटक जाए। हालांकि चाहे सीनियर हो या फिर जूनियर इंस्टीट्यूट प्रशासन ने सभी से अंडरटेकिंग ले चुका है। न रैगिंग होने देंगे और न ही करेंगे।

20 साल से प्रक्रिया चल रही

आईआईटी के सीनियर साइकियाटिस्ट डॉ। आलोक बाजपेई ने बताया कि आईआईटी कानपुर की काउंसिलिंग सर्विस को एक्सपर्ट देश का बेस्ट मॉडल मानते हैं। आईआईटी कानपुर में बीते 20 साल से सेकेंड इयर के स्टूडेंट्स गाइड बनाए जाते रहे हैं। जिन्हें बापू का नाम दिया गया है। यह प्रक्रिया सीनियर व जूनियर के बीच रिश्ते मधुर बनाने की दिशा में अच्छा कदम है।

आत्मीयता का रिश्ता बने

आईआईटी काउंसिलिंग सेल के हेड प्रो। एमके घुरई ने बताया कि गाइड उन्ही स्टूडेंट्स को बनाया जाता है, जो कि जस्ट सीनियर होते हैं। रैगिंग का खौफ इसलिए नहीं होता है कि सेकेंड इयर के स्टूडेंट्स से एडमिशन के टाइम ही अंडरटेकिंग ले लिया जाता है कि वह रैगिंग नहीं करेंगे। स्टूडेंट्स गाइड को प्यार से बापू कहते हैं, ताकि दोनों के बीच रिश्ते में औपचारिकता न रहे।

एक बापू के अंडर में 6 स्टूडेंट्स

सेकेंड इयर के सीनियर स्टूडेट्स को गाइड या बापू का नाम दिया गया है। हालांकि यह प्रक्रिया बीते कई सालों से आईआईटी कैंपस में चल रही है लेकिन आम लोगों को पहली बार यह जानकारी मिल रही है कि कैंपस में जूनियर स्टूडेंट्स के बापू भी हैं। जो कि उनकी सभी समस्याओं का निराकरण करते हैं। एक बापू के आधीन 5 से 6 जूनियर स्टूडेंट्स होते हैं।

हर मर्ज की दवा बापू

हॉस्टल लाइफ में किस तरह की समस्याएं होती हैं। उससे स्टूडेंट्स गाइड पूरी तरह से वाकिफ होते हैं। क्योंकि वह एक साल पहले ही कैंपस में आए थे। इंस्टीट्यूट प्रशासन ने इन स्टूडेंट्स को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। यह छात्र जूनियर की हर समस्या का समाधान करेंगे। चाहे वह एकेडमिक से रिलेटेड हो या फिर हेल्थ से सम्बंधित हो। नोट्स बुक से लेकर बुक्स व सब्जेक्ट के बारे में पूरी जानकारी बापू दे रहे हैं। स्टूडेंट्स हाल से लेकर ऑडिटोरियम का सफर बापू के डायरेक्शन में कर रहे हैं।

बापू पर पैरेंट्स ने प्रोटेस्ट किया

हालांकि गुरुवार को जब दोपहर में 2 बजे से पैरेंट्स का ओरियंटेशन प्रोग्राम शुरू हुआ तो कुछ पेरेंट्स ने इस बापू के नाम पर ऑब्जेक्सन किया था। जिस पर डॉ। आलोक बाजपेई व प्रो। एमके घुरई ने पैरेंट्स के सवालों का जवाब बहुत ही खूबसूरती से दिया था। बापू कोई रैगिंग नहीं है। यह सिर्फ सीनियर व जूनियर के बीच रिश्ता बनाने का एक माध्यम है। इंजीनियरिंग कॉलेज में जो रिश्ते जूनियर व सीनियर के बीच बनते हैं वह पूरी लाइफ चलते हैं।