- नवरात्र में हर ओर हो रहा है कन्या पूजन, पूजी जा रही हैं बेटियां, इस मौके पर शहर के कई पेरेंट्स अपनी बेटियों की उपलब्धियों पर महसूस कर रहे हैं गर्व

- शहर की कई बेटियों ने अपने साथ मां-बाप का नाम किया है रोशन, किसी ने किया है सिविल सर्विसेज में टॉप तो कोई स्पो‌र्ट्स में कर रही है कमाल

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: 'जो किया है ऐसा बार बार कीजो अगले जन्म हमें बिटिया ही दीजो.' आपको इस गाने के बोल कुछ बदले-बदले जरूर लग रहे होंगे लेकिन अब सच यही है। जिस समाज में कल तक बेटी का होना एक अपराधबोध माना जाता था लेकिन आज यही बेटियां समाज बदलने का काम कर रही हैं। अपने शहर में ऐसे कई पेरेंट्स हैं जिनकी बेटियों ने उनके साथ शहर का नाम देश-विदेश में रोशन किया है। नवरात्र के मौके पर हम ऐसी बेटियों को सैल्यूट करते हैं। जिन्होंने तमाम दिक्कतों और मुसीबतों के बाद भी अपने मां बाप सहित देश को बहुत कुछ दिया।

बेटियों ने पूरी की बेटे की कमी

एवी डिग्री कॉलेज के प्रिसिंपल सत्यदेव सिंह आज खुद को बहुत गौरवान्वित महसूस करते हैं। गौरव इस बात का कि उनकी दो बेटियां हैं और दोनों ने उनका सिर ऊंचा किया है। छोटी बेटी स्वधा सिंह ने अभी हाल ही में देश की सबसे बड़ी और टफ समझे जाने वाली सिविल परीक्षा में पूरे देश में 66वां रैंक हासिल किया है। स्वधा के साथ उनकी बड़ी बहन मनीषा भी माता-पिता के सपनों को नई उड़ान देने में जुटी हैं और पुणे से एमएस पूरा करने के बाद वहीं एक सफल आई सर्जन के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। घर पर मां डॉ। उषा किरन सिंह बेटियों को हर पल याद तो करती हैं लेकिन सुकून इस बात का है बतौर हाउस वाइफ पहचानी जाने वाली डॉ। उषा को आज लोग उनके नाम से नहीं बल्कि स्वधा और मनीषा की मम्मी कहकर बुलाते हैं। दोनों सफल बेटियों के पिता डॉ। सत्यदेव सिंह कहते हैं कि दोनों बेटियों को ऊंचे मुकाम पर देखकर खुशी मिलती है। जब छोटी बेटी स्वधा आईएएस ट्रेनिंग के दौरान हो रही एक्टिविटी घुड़सवारी और रायफल चलाते की पिक्चर भेजती है तो लगता है कि बेटी ने बेटे से बढ़कर काम किया और मेरे सपने को पूरा किया।

बेटियों ने दी खानदान को पहचान

सिंह सिस्टर्स। नाम सुनते ही समझ गए होंगे कि हम यहां बात कर रहे हैं बनारस की उन बहनों प्रियंका सिंह, दिव्या सिंह, प्रशांति सिंह, प्रतिमा सिंह और आकांक्षा सिंह की जिन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर बनारस को पहचान दी। बास्केटबॉल गेम में इन बहनों ने एक के बाद एक नये कीर्तिमान बनाए। प्रियंका इस वक्त एनआईएस बॉस्केटबाल टीम की कोच हैं जबकि दिव्या इंडियन बास्केटबाल टीम की सहायक कोच बनाई गई हैं। वहीं प्रशांति और आकांक्षा इंडियन बॉस्केटबाल टीम की मेम्बर हैं। राष्ट्रकुल खेलों से लेकर एशियाड तक में अपने खेल का डंका बजाने वाली इन बेटियों के माता-पिता को इन पर गर्व है। मां उर्मिला सिंह कहती हैं कि पिता ने बेटियों को छूट दी। इसका नतीजा आज आपके सामने हैं। बेटियां मां बाप के साथ देश का नाम रोशन कर रही हैं। इन दिनों ये सभी बहने इंचियोन एशियाई खेलों में अपना जलवा बिखेर रही हैं।

जितना किया उससे ज्यादा बेटी ने दिया

श्िावपुर के दान्दूपुर की रहने वाली पूनम के घर की माली हालत ठीक नहीं थी। बड़ी बहन ने वेट लिफ्टिंग की शुरुआत की तो छोटी बहन पूनम भी आगे आ गई। पूनम ने शौकिया वेट लिफ्टिंग शुरू किया लेकिन बड़ी बहन ने छोटी बहन के इस शौक का भांप लिया और उसको अपना पूरा सपोर्ट दिया। पिता किसान हैं तो उन्होंने अपनी ओर से पूरा सहयोग दिया। बहनों ने अपनी ओर से पूरा प्रयास कर पूनम का साथ दिया और आज नतीजा आपके सामने है बेटी नाम रोशन कर रही है। ये कहना है बनारस की आयरन गर्ल कही जाने वाली वेट लिफ्टर पूनम यादव की मां उर्मिला देवी का। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में जब कॉमनवेल्थ गेम में ब्रॉन्ज मेडल जीता तो लगा कि उनका सपना पूरा हो गया। पूनम के इस कारनामे के बाद उनको पूरे गांव में लोग उसे काफी इज्जत देने लगे। वह जहां से निकलती हैं लोग उनको पूनम की अम्मा कहकर बुलाते हैं।

बेटी ने पूरी कर दी आस

लों की बात हो रही है तो हम अपने शहर की वेटलिफ्टर स्वाति सिंह को कैसे भूल सकते हैं? कतुआपुरा की संकरी गली में रहने वाली स्वाति ने अभी हाल ही में हुए कॉमनवेल्थ गेम के दौरान ब्रॉन्ज मेडल पाया है। स्वाति घर में सबसे छोटी है। छोटी होने के कारण उसे घर के लोग बच्ची बुलाते हैं। पिता कामेश्वर सिंह और मां आशा देवी अपनी इस बेटी को बेटे से बढ़कर मानती हैं। कामेश्वर सिंह कहते हैं कि स्वाति जब पैदा हुई तो हमने उसकी परवरिश एक बेटे की तरह की। पहले उसने जिमनास्टिक को चुना लेकिन बीच में उसने इसे छोड़कर वेट लिफ्टिंग की ओर जाने का मूड बना लिया। उसके इस फैसले का पूरे परिवार ने साथ दिया। जिसके बाद स्वाति ने कई पदक हासिल किए। स्वाति की मां आशा सिंह कहती हैं कि बेटी होना कोई दुख की बात नहीं है बल्कि बेटी का होना भाग्य है। मैं आज अपनी बेटी पर गर्व महसूस करती हूं और भगवान से बस यही मांगती हूं कि मुझे हर बार बेटी ही दे।

दी आजादी तो बेटियों ने दी पहचान

ौशलेश नगर कॉलोनी में रहने वाली तीन बेटियों की मां अन्नूपर्णा पाण्डेय की तीन बेटियां हैं। तीनों बेटियां अमेरिका में उच्च पदों पर हैं। बड़ी बेटी अर्चना संयुक्त राज्य अमेरिका में सीनियर साइंटिस्ट है। दूसरे नंबर की बेटी अवर्तिका अमेरिका में ही एप्पल की तकनीकी सलाहकार है जबकि छोटी बेटी नीना पाण्डेय अमेरिका में ही प्रबंधन विशेषज्ञ है। अन्नपूर्णा पाण्डेय बताती हैं कि पति अशोक कुमार पाण्डेय दूरसंचार विभाग में हैं। ट्रांसफरेबल जॉब होने के कारण किसी एक शहर में बहुत ज्यादा वक्त नहीं रुक पाती हैं। इसके बाद भी उन्होंने बेटियों की शिक्षा और उनके संस्कारों में कोई कमी नहीं रखी। इसी का नतीजा हे कि तीनों बेटियां आज मां बाप का सिर ऊंचा कर रही हैं।