- गैंग के आठवें मेंबर को गोरखपुर पुलिस ने गोमतीनगर से उठाया

- भारी मात्रा में सिम कार्ड, फर्जी डीएल, वोटर आई कार्ड, मोहर, पैड बरामद

GORAKHPUR: प्राइज जीतने का फेक मेल भेजकर प्रोसेसिंग मनी के नाम पर चूना लगाने वाले नाइजीरियाई गैंग के एक और सदस्य को गोरखपुर क्राइम ब्रांच की टीम ने पकड़ने में सफलता हासिल की है। गैंग का यह आठवां मेंबर है, जिसे पुलिस ने बुधवार को लखनऊ के गोमतीनगर से उठाया। उसकी पहचान गाजीपुर जिले के खानपुर, इटहा निवासी अश्वनी कुमार सिंह के रूप में हुई है। उसके पास से भारी मात्रा में फेक डॉक्यूमेंट्स, उन्हें बनाने की सामग्री, सिम कार्ड आदि बरामद हुए हैं। गैंग फर्जी तरीके से हर डॉक्यूमेंट्स जैसे वोटर आईकार्ड, डीएल आदि बनाने में माहिर है। गुरुवार को पुलिस लाइन में आयोजित प्रेसवार्ता में एसपी क्राइम ओपी सिंह ने यह जानकारी दी। बताया कि इसके पहले अरेस्ट हुआ नाइजीरियाई युवक का स्टूडेंट वीजा भी नकली है। गैंग के अन्य मेंबर्स की तलाश में क्राइम ब्रांच जुटी हुई है।

इस तरह खुला मामला

खजनी स्थित एसबीआई की टेकवार ब्रांच में फर्जी नाम-पते से एकाउंट खोलकर पांच लोगों के नाम से 23 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ था। ब्रांच मैनेजर ने पुलिस को सूचना दी। जिसके बाद फेक एकाउंट खुलवाने वाले पांच युवक गिरफ्तार किए गए। इसके बाद से जांच में एक बड़े गैंग की जानकारी मिली जो ई-मेल भेजकर लोगों को प्राइज मनी के नाम पर ठगने का काम करता है। पुलिस ने पहले भटहट निवासी प्रशांत सिंह को दिल्ली से उठाया। साथ ही नाइजीरियन युवक ओयेला को दबोचा। फिर बुधवार को पुलिस ने अश्वनी को गिरफ्तार किया।

यह था अश्वनी का काम

फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड प्रशांत सिंह कई जिलों में फ्रेबिकेशन शॉप खोलकर लोगों की आंखों में धूल झोंकता था। गाजीपुर निवासी अश्वनी सिंह भी फेब्रिकेशन का एक्सपर्ट है। कुछ साल पहले वह प्रशांत की शॉप पर नौकरी करने पहुंचा। इस बीच उसने तीन लाख रुपए का कर्ज ले लिया। कर्ज लौटाने के लिए रुपए की जरूरत पड़ी तो फेब्रिकेशन का काम छोड़कर प्रशांत के साथ फर्जीवाड़े के धंधे में शामिल हो गया। आठ माह से वह फेक वोटर आईडी कार्ड बनाकर प्रशांत के रिश्तेदार अजीत सिंह उर्फ गुड्डू को देता था। गुड्डू ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर अजीत अपने टॉरगेट तलाशता था। कुछ युवकों को एक-एक हजार रुपए देकर उनके नाम पर फेक एकाउंट्स खुलवाकर एटीएम कार्ड, बैंक पासबुक और चेकबुक अपने कब्जे में कर लेता था।

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अब तक गैंग के इतने मेंबर्स चढ़े हत्थे

1. विक्टर चिनोमोसो उर्फ वोयेला उमहिया नाइजीरिया।

2. प्रशांत सिंह भटहट, गुलरिहा, गोरखपुर

3. अनुराग कुमार सिंह, इस्लामपुर पिपराइच।

4. अनूप गिरी, बरईपुर, पिपराइच

5. आशुतोष कुमार सिंह, इस्लामपुर, पिपराइच

6. मंजीत सिंह, इस्लामपुर, पिपराइच

7. अजीत सिंह उर्फ गुड्डू, भूड़ीपाकड़, रामपुर कारखाना, देवरिया।

8. अश्वनी सिंह कुशवाहा, इटहा, खानपुर, गाजीपुर।

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अश्वनी के पास से ये सामान हुए बरामद

- 125 मोबाइल सिमकार्ड

- 60 पीस चिप लगा सादा ड्राइविंग लाइसेंस कार्ड

- 31 पीस प्लास्टिक लेमिनेशन पाउच

- 15 एटीएम कार्ड

- 11 बैंक के चेकबुक

- 2 इंटरनेट मॉडेम

- 8 मोबाइल फोन

- 1 लैपटॉप प्रिंटर

- 10 फर्जी वोटर आईडी कार्ड

- 8 पीस विभिन्न विभागों की मुहर

- 35 पेज पर छपे 70 पीस वोटर आईडी कार्ड

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गिरफ्तार करने वाली टीम

इंस्पेक्टर रामसुमेर त्रिपाठी, एसआई संतोष कुमार सिंह। धर्मेद्र कुमार सिंह, गोपाल प्रसाद, जयश्री यादव, कांस्टेबल देवेंद्र यादव, धर्मेद्र तिवारी, मोहम्मद कुतबुद्दीन, विनोद कुमार और शशिकांत जायसवाल

वर्जन

लॉटरी निकलने का झांसा देकर ठगी करने वाले गैंग के बदमाश काफी शातिर हैं। इनके खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट की कार्रवाई की जाएगी। इसे अंतर्जनपदीय गैंग के रूप में भी दर्ज किया जाएगा। अभी भी फरार मेंबर्स की तलाश जारी है।

- ओपी सिंह, एसपी क्राइम ब्रांच, गोरखपुर

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अपने 'बॉस' को भी न छोड़ा

यूं तो सभी मेंबर्स नाइजीरियाई युवक ओयेला के लिए काम कर रहे थे लेकिन पब्लिक को चूना लगाने वाले गैंग के मेंबर्स मौका मिलने पर अपने बॉस को भी चूना लगाने से नहीं चूकते। ये युवक किसी के नाम से बैंक एकाउंट खुलवाते थे। इनका काम यही तक था। इसके बाद एकाउंट के चेकबुक, एटीएम आदि ओयेला को दे देना था। लेकिन ये प्रशांत, अश्वनी आदि मेंबर्स पासवर्ड को ऑनलाइन ट्रॉजेक्शन के लिए अपने पास रख लेते थे। कुछ दिनों के बाद बैंक से एटीएम ब्लॉक होने का फर्जी मेल ओयेला को भेज देते थे। उसे लगता था कि जांच में एकाउंट फेक मिलने पर बैंक ने उसे ब्लॉक कर दिया। उसके बाद ये लोग आसानी से एकाउंट में बचे रुपए निकाल लेते थे।

फर्जी निकला नाइजीरियाई युवक का स्टूडेंट वीजा

दिल्ली से गिरफ्तार हुआ नाइजीरियन विक्टर चिनोमोसो उर्फ वोयेला दिल्ली के कृष्णा पार्क, जनकपुरी में फर्जी स्टूडेंट वीजा के सहारे रह रहा था। उसके पास से मिले पासपोर्ट और वीजा की जांच में वे फर्जी पाए गए हैं। विदेश मंत्रालय ने पुलिस को इस संबंध में जानकारी दे दी है। दूसरे के नाम-पते वाले दस्तावेज को वह फर्जी तरीके से यूज कर रहा था। अब उस पर इसका भी एक और मुकदमा दर्ज किया जाएगा।