- एक जुलाई को नो एक्सीडेंट डे मनाने की तैयारियां जोरों पर

- एक्सीडेंट रोकने के लिए जिला प्रशासन व पुलिस ने किए विभिन्न इंतजाम

- रिएलिटी चेक में मौजूदा सिस्टम में मिली कई खामियां, दूर किये बगैर नहीं होगा किसी का भला

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KANPUR : जुलाई की पहली तारीख को शासन ने 'नो एक्सीडेंट डे' यानि 'दुर्घटना रहित दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है। शासनादेश के बाद नगर में पुलिस व प्रशासनिक अफसरों ने तमाम तैयारियां की हैं। हर चौराहे पर ट्रैफिक सिपाहियों की तैनाती, नो एंट्री का कड़ाई से पालन, हेलमेट और सीट बेल्ट की अनिवार्यता समेत अन्य इंतजाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। बहरहाल, इन सबका तब तक कोई औचित्य नहीं है जब तक जनता खुद ट्रैफिक नियमों के प्रति संवेदनशील नहीं होती। ऑफिसर्स के अनुसार 30 जून की रात 12 बजे से ही 'नो एक्सीडेंट डे' लागू हो जाएगा। इस पहल के ठीक एक दिन पहले आई नेक्स्ट ने शहर की ट्रैफिक व्यवस्थाओं की उन कमियों और उसके असर पर फोकस किया, जिनके कारण यहां का ट्रैफिक सिस्टम बुरी तरह ध्वस्त है।

कमी नंबर-1 - चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की गैरमौजूदगी

असर : ट्रैफिक पुलिस की गैरमौजूदगी के कारण चौराहों पर ट्रैफिक फंसने की स्थिति हर पल बनी रहती है। हर कोई पहले निकलने की जुगत में रहा। बारिश की वजह से जिन चौराहों (चुन्नीगंज, फजलगंज, रावतपुर, गुरूदेव आदि) में ट्रैफिक सिपाही ड्यूटी पर मौजूद रहते थे लेकिन मंगलवार को मौके पर कोई नहीं मिला। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने दोपहर डेढ़ बजे से लेकर ढाई बजे के बीच इन चौराहों का जायजा लिया। जहां सिपाही मौके से नदारद मिले।

कमी नंबर-2 : ट्रैफिक सिग्नल ठप

असर : ट्रैफिक सिग्नल ठप होने की वजह से ट्रैफिक नियमों का पालन न के बराबर हो रहा था। सिविल लाइंस, चुन्नीगंज, बजरिया, ब्रह्मनगर, जरीब चौकी, फूलबाग, ग्वालटोली आदि इलाकों में ट्रैफिक सिग्नल खराब मिले। यह समस्या एक-दो दिन से नहीं बल्कि लंबे अर्से से है। ट्रैफिक व्यवस्था को स्मूद बनाने के लिए कुछ चौराहों पर डिजिटल ट्रैफिक सिग्नल लगवाए जरूर गए, लेकिन उनकी टाइमिंग में इतना ज्यादा अंतर है कि अगर टाइमर के हिसाब से वाहन चलें तो हर चौराहे पर भयंकर जाम लग जाए।

कमी नंबर-3 : जैब्रा क्रॉसिंग का न होना

असर - शहर के ज्यादातर चौराहों पर जैब्रा क्रॉसिंग का अता-पता ही नहीं है। ऐसे में वाहनों को कहां रुकना है, वाहन चालकों को पता ही नहीं चलता। मार्किग नहीं होने की वजह से चौराहों पर पहुंचने पर अचानक वाहन चालकों को ब्रेक लगाना पड़ता है। ऐसे में गाड़ी अनियंत्रित हो जाने पर वाहन चालक चुटहिल हो जाते हैं। हालांकि, शुक्र है कि रोड साइड रिफ्लेक्टर लगे होने की वजह से रात में गाड़ी चलाने वाले चालकों को काफी सहूलियत मिलती है।

कमी नंबर-4 : खुदी सड़कों का हाल-बेहाल

असर : जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के तहत शहर में सीवर और वॉटर पाइप लाइन डाले जाने का काम जोरों पर है। इसके लिए शहर में जगह-जगह खुदाई का काम चल रहा है। परेड, चुन्नीगंज, लाल इमली, बड़ा चौराहा, जीटी रोड, कल्याणपुर आदि इलाकों की सड़कें खस्ताहाल हो चुकी हैं। बारिश की वजह से सड़कों के किनारे पड़ी मिट्टी गीली होकर पूरी रोड पर फैल गई है। ऐसे में वाहन चालकों के फिसलकर गिरने का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है। पिछले साल इस कमी की वजह से कई वाहन चालक दुर्घटना का शिकार भी बने। इसके बावजूद जिम्मेदार अफसरों व प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया।

कमी नंबर-5 : टूटे डिवाइडर और चौराहों की री-स्ट्रक्चरिंग

असर : शहर में ज्यादातर चौराहों की री-स्ट्रक्चरिंग का काम चल रहा है। वहीं जीटी रोड के चौड़ीकरण का काम भी जोरों पर है। इस कारण डिवाइडर को तोड़कर नए सिरे से बनाया जा रहा है। टूटे डिवाइडर और चौराहों की री-स्ट्रक्चरिंग का काम कम्प्लीट नहीं होने की वजह से वाहन चालकों को सबसे ज्यादा मुश्किलें आती हैं। मंगलवार को ही जरीब चौकी पुलिस स्टेशन के ठीक सामने बने डिवाइडर पर देर रात एक ट्रक की टक्कर हो गई थी। इससे ट्रक के आगे के दोनों पहिये व एक्सल बुरी तरह डैमेज हो गया था। साफ है कि जब एक ट्रक का यह हाल है तो दोपहिया व छोटे चौपहिया वाहनों का क्या हश्र होता होगा।

कमी नंबर-5 : हेलमेट और सीट बेल्ट की अनदेखी

असर : शहर में दोपहिया और चौपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट और सीट बेल्ट शायद मायने नहीं रखती। यही वजह है कि हेलमेट और सीट बेल्ट का इस्तेमाल न करने की वजह से सबसे ज्यादा लोग हादसे का शिकार होकर गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। कई बार ज्यादा खून बह जाने व वक्त पर इलाज नहीं होने पर वाहन चालक की मौत तक हो जाती है। फिर भी शहर में गाड़ी चलाने वाले लोग इन सुरक्षा मानकों को लेकर ज्यादा संवेदनशील नजर नहीं आते।

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कमी नंबर-6 : अनफिट बसें और ट्रक

असर - शहर की सड़कों पर दौड़ने वाली बसें कितनी सुरक्षित है। इस संबंध में मानक आधे-अधूरे हैं। आई नेक्स्ट ने जब शहर पर सरपट दौड़ रहे भारी वाहनों का रुख किया तो हालात सबसे ज्यादा यहीं खराब नजर आए। नो एंट्री पर ट्रक और बसें दौड़ती मिलीं। वीआईपी रोड, स्वरूप नगर, मोतीझील, अशोक नगर आदि इलाकों में बसें दौड़ती मिलीं। इसी तरह नो एंट्री के दौरान जरीब चौकी, फजलगंज, अफीम कोठी आदि चौराहों पर ट्रकों की आती-जाती मिली। ज्यादातर भारी वाहनों की बैकलाइट और हेडलाइट व इंडीकेटर खराब मिले। यही नहीं कई ट्रकों की बॉडी भी काफी जर्जर हो चुकी थी, जो भयंकर धुआं छोड़कर पॉल्युशन भी फैला रहे थे।

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यह रहे शहर के डेडली स्पॉट्स :

ø रामादेवी चौराहा

ø जाजमऊ बीमा चौराहा

ø यशोदा नगर बाईपास -

ø अहिरवां

ø पीएसी मोड़

ø नौबस्ता चौराहा

ø मौरंग मंडी के सामने

ø कारगिल पेट्रोल पम्प

ø गुजैनी पुल बाईपास

ø हाईवे रोड भौती तिराहा

ø हाईवे रोड किसान नगर

ø हाईवे रोड कस्बा सचेंडी

ø हाईवे रोड चकरपुर मंडी

ø महाराजपुर कस्बा

ø परास चौराहा

ø नवेदी मूसानगर रोड

ø जहांगीराबाद

ø पनकी क्रासिंग

ø नानामऊ तिराहा

ø नौरेयाखेड़ा

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बॉक्स

एक दिन पहले आई चेकअप कैम्प

दुर्घटना रहित दिवस से ठीक एक दिन पहले हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से ट्रांसपोर्ट नगर, बाबूपुरवा में एक मेगा आई चेकअप कैम्प का आयोजन किया गया। आई सर्जन डॉ। एस मोहन्ती ने सपोर्टिग स्टाफ में शामिल अभिषेक, रविन्द्र यादव व विक्रांत सिंह के साथ मिलकर 159 मरीजों का आई चेकअप किया। इनमें से 57 लोगों को नजदीक का दृष्टि दोष व 13 लोगों को मोतियाबिंद पाया गया। सभी को जरूरी सलाह व इलाज देने के साथ-साथ राजकीय अस्पताल में मोतियाबिंद का निशुल्क ऑपरेशन की सलाह दी गई।

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वर्जन वर्जन

ø नो एक्सीडेंट डे को लेकर ट्रैफिक व पुलिस महकमें से सम्पर्क करके कार्ययोजना तैयार की गई है। हेल्थ विभाग की टीम भी ट्रीटमेंट के लिए हर पल तैयार रहेगी। हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि इस दिन कोई एक्सीडेंट न हो।

- अविनाश सिंह, एडीएम सिटी

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