RANCHI:इन दिनों पुरे देश मे सबसे अधिक चर्चा गधों की हो रही है। गावं ग्राम से लेकर शहर के हर चौक चोराहों पर गधों की चर्चा की जा रही है। यूपी के चुनाव से शुरू हुआ इनका नाम पुरे देश मे चल रहा है। तो झारखंड मे जो गधे हीं वो भी शेरों की राह पर चल रहे हैं। राज्य मे हर साल गधों की संख्या कम हो रही है। ख्007 की जनगणना के अनुसार झारखंड मे 808 गधे थे, लेकिन ख्0क्क्-क्ख् की जनगणना के अनुसार फ्0क् गधे बचे हैं। अब इस साल जनगणना होना है उसमे पता चलेगा कि कितने गधे बचे हैं।

ख्0क्ख् तक हर जिले में थे

गणना पदाधिकारी डॉ जमालुद्दीन बताते हैं कि गधों का यह डेटा ख्0क्क्-क्ख् का है। इसमें राज्य के हर जिले के हाउस होल्ड के घर जाकर गणना की गई है। इस दौरान रांची, हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, पलामू, दुमका, देवघर, जमशेदपुर, चाईबासा सहित राज्य के सभी जिलों में लोगों के घरों में गधे पाए गए।

सरकार का प्रयास नहीं

राज्य में जिस तरह हर साल शेरों की संख्या घट रही है, उसी तरह से गधों की संख्या भी लगातार घट रही है। ख्007-08 की क्8 वीं गणना के अनुसार, झारखंड में गधों की संख्या 808 थी, लेकिन ख्0क्क्-क्ख् की क्9 वीं गणना के अनुसार इनकी संख्या घट कर आधे से भी कम फ्8क् हो गई है। अब राज्य सरकार गधों को बचाने और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए भी कोई प्रयास नहीं कर रही है। सरकार के पास ऐसा कोई प्रोग्राम नहीं है, जिससे इनकी संख्या को बढ़ाया जाएगा।

इस साल जुलाई से गणना

क्0 सालों के बाद राज्य में कितने गधे बचे हैं, इसकी सही जानकारी इस साल के अक्टूबर महीने में मिल पाएगी। ख्0 वीं गणना इस साल ख्0क्7 में होने जा रही है, जो जुलाई से अक्टूबर महीने तक होगी। तीन महीने चलने वाली इस गणना में हर हाउस होल्ड से गधों की जानकारी कलेक्ट की जाएगी।

शुरुआत गुजरात से

यूपी चुनाव में गुजरात के गधे को लेकर गदर मचा हुआ है, गधे के विज्ञापन को लेकर यूपी के सीएम अखिलेश ने अपनी रैली के दौरान पीएम मोदी पर निशाना साधा है। आपको बता दें कि यूपी के चुनाव मैदान में जिस गधे के विज्ञापन को लेकर अखिलेश ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है, वो तब तैयार किया गया था जब मोदी गुजरात के सीएम थे। अखिलेश यादव ने कहा बताओ कहीं गधों का भी प्रचार होता है क्या। अगर गधों का प्रचार होने लगा तो कैसे काम चलेगा। गुजरात के लोग तो गुजरात के गधों का भी प्रचार करवा रहे हैं। गुजरात में घुड़खर(जंगली गधा)की कुल तादाद महज फ्000 के करीब है, जो कच्छ के छोटा रन के करीब भ्000 वर्ग किलोमीटर के इलाके में ही सिमटा हुआ है। गुजरात में पाए जाने वाले घुड़खर ख्क्0 सेंटीमीटर लंबे और क्00.क्ख्भ् सेंटीमीटर ऊंचे होते हैं। इनका वजन ख्00-ख्भ्0 किलोग्राम होता है। इतना ही नहीं, विज्ञापन में दिखने वाले गधा 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है, लुप्त होने के कगार पर पहुंचे इन घुड़खरों के लिए वाइल्ड ऐस सैंक्चुअरी बनाई गई है, गुजरात में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई इस मुहिम का असर भी दिखा था।

गधों को लेकर धारणा

इन दिनों हर जगह गधों की चर्चा हो रही है। इससे इनका महत्व दिनोदिन बढ़ता जा रहा है। वैसे तो गधा हमेशा से ही एक अच्छा प्राणी माना जाता रहा है, जिसने हमेशा इंसान की सेवा ही की है। वो चाहे यातायात के मामले में हो या फि र सामान ढोने के मामले में दोनों ही स्थितियों में गधे हमेशा से नंबर वन रहे हैं। यही नहीं, गधों का इतना काम होने के बाद भी नाम का इस्तेमाल किसी व्यक्ति को संज्ञा देने के लिए किया जाता रहा है। इसमें आलसी इंसान को गधे के रूप में भी परिभाषित किया गया है। अक्सर देखा या सुना जा सकता है कि कुछ लोग जो बिल्कुल आलसी और निकम्मे होते हैं, उन्हें गधे की संज्ञा दे दी जाती है।

वर्जन

ख्007-08 की क्8 वीं गणना के अनुसार, झारखंड में गधों की संख्या 808 थी, जो ख्0क्क्-क्ख् की क्9वीं गणना में घट कर आधे से भी कम फ्8क् हो गई है। ख्0क्7 के जुलाई महीने से गणना शुरू होगी।

-डॉ जमालुद्यीन, गणना पदाधिकारी,