- रेलवे स्टेशन पर एक्टिव महिला चेन स्नेचिंग गैंग

-चेन स्नेचिंग की धारा न होने के चलते भीख मांगने के आरोप में बंद करते हैं

-जुर्माना देकर छूट जाती हैं शातिर

GORAKHPUR: गोरखपुर जंक्शन पर आज तक कोई चेन स्नेचिंग की वारदात हुई ही नहीं। चौंक गए न। यही सच है। आखिर क्यों नहींहोती गोरखपुर जंक्शन पर चेन स्नेचिंग? इसका खुलासा आज आई नेक्स्ट करेगा।

नहींबरामद होता है माल

रेलवे स्टेशन पर महिला चेन और पर्स स्नेचिंग गैंग एक्टिव है। ट्रेन में चढ़ने और भीड़-भाड़ होने पर गैंग की मेम्बर स्नेचिंग करती हैं। उनके काम करने का तरीका ऐसा है कि उनमें से किसी के पकड़े जाने पर माल बरामद नहींहोता है। इतना होने के बाद भी इन चेन स्नेचर्स को स्नेचिंग एक्ट में गिरफ्तार नहींकिया जाता है, वजह यह है कि रेलवे एक्ट में ऐसी कोई धारा नहींहै। यही वजह है कि पकड़े जाने पर रेलवे एक्ट के तहत कार्रवाई तो होती है, लेकिन मामूली जुर्माना भर कर फिर छूट जाती है।

अब तक 80 महिला पकड़ी जा चुकी

आरपीएफ रेलवे स्टेशन पर महिला गैंग की अब तक 80 मेम्बर को अरेस्ट कर चुकी है। यह आंकड़ा केवल ख्0क्ब् का है। जुलाई में अब तक म् फीमेल मेम्बर धरी जा चुकी हैं। आरपीएफ गैंग के मेम्बर को पकड़ती है, लेकिन रेलवे एक्ट में स्नेचिंग की धारा न होने के चलते उन्हें भीख मांगने की धारा तहत अरेस्ट कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है। इस धारा में ख्ब्00 रुपए जुर्माना है। जुर्माना न भरने की दशा में फ्0 दिन की सजा होती है। पकड़े जाने पर गैंग की मेम्बर आसानी से जुर्माना भर कर अपने काम पर लग जाती हैं।

फिर स्टेशन पर एक्टिव हो जाती है।

इतनी शातिर कि दे देती हैं चकमा

गोरखपुर जंक्शन पर होने वाले क्राइम को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी जीआरपी और आरपीएफ दोनों की है। चेन स्नेचिंग गैंग का काम करने का तरीका इतना शातिर है कि वे सभी को चकमा दे देती हैं। हाल ही में पकड़ी गई गैंग की एक मेम्बर ने पूछताछ में बताया कि गैंग में कुल क्भ्क् मेम्बर हैं। वारदात को अंजाम देने के लिए एक साथ कई मेम्बर एक्टिव होती है और स्नेचिंग करने के बाद लुटे गए माल को एक दूसरे से पास करते हुए दूर पहुंचा देती हैं। स्नेचिंग करने वाली महिला अगर पकड़ी भी जाती है तो उसके पास से लूट का माल बरामद नहीं होता है। लूट का माल बरामद न होने पर जीआरपी पुलिस उन्हें स्नेचिंग की धारा में अरेस्ट नहीं कर पाती।

अगर पीडि़त अगर आरपीएफ से कंप्लेन करता है तो वे आरोपी पकड़ कर जीआरपी के हवाले कर देती हैं। इसके बाद केस दर्ज होता है, लेकिन कई बार पीडि़त लिखित शिकायत नहींकरते, इसी वजह से चेन स्नेचर बच जाते हैं।

आरके शर्मा,

आईजी रेलवे