- कोटपा अधिनियम के तहत कार्रवाई जीरो

- फंड की कमी से अटका प्रदेश में टोबैको कंट्रोल का प्रोग्राम

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: यूपी ऐसा राज्य है जहां कुछ जिलों को छोड़ लोग पब्लिक प्लेस पर स्मोकिंग नहीं करते। न ही इन जिलों में तम्बाकू रोकने के लिए बनाए गए कानून का उल्लंघन होता है। अस्पतालों से लेकर स्कूलों तक में कोई गुटखा सिगरेट का यूज नहीं करता। यह हम नहीं कह रहे, लेकिन राज्य तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के आंकड़े तो यही बयां कर रहे हैं।

इनकी थी जिम्मेदारी

केन्द्र सरकार ने टोबैको से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए सरकार ने सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट-ख्00फ् (कोटपा-ख्00फ्) बना दिया। उसे देश भर में लागू भी कर दिया। प्रदेश और जिला लेवल पर कमेटी भी बना दी गई। प्रदेश में इसे लागू करने के लिए मुख्य सचिव और जिलों में डीएम की जिम्मेदारी दे दी गई। लेकिन प्रदेश भर में कुछ जिलों को छोड़ इसके लिए न तो कार्रवाई होती है न ही लोगों का चालाना काटा जाता है। जबकि पब्लिक प्लेस पर स्मोकिंग या अन्य किसी नियम का उल्लंघन करने पर ख्00 रुपए तक का चालान काटने का नियम है।

जीरो कार्रवाई की रिपोर्ट

राज्य तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के स्टेट कंसल्टेंट सतीश त्रिपाठी ने बताया कि पुलिस महानिदेशक ने अधिनियम को सभी जिलों क्रियान्वयन के लिए पत्र लिखा था। जिसके बाद भी जिलों में पुलिस अधिकारियों ने इसकी सुध नहीं ली। हालांकि कुछ जिलों जैसे फैजाबाद, आजमगढ़, आगरा, इलाहाबाद जिलों से पुलिस ने रिपोर्टिग शुरू कर दी। अन्य जिलों ने महीने की रिपोर्टिग भी देनी उचित नहीं समझी। जिन जिलों से रिपोर्ट आ रही है उनमें हर बार लिखकर आता है कि इस माह की कार्रवाई जीरो है।

सिर्फ कानपुर और रामपुर में ही चालान

कोटपा अधिनियम के लिए जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया। जिसमें सीएमओ इसका समन्वयक होता है। इनके गठन से लेकर अब तक रामपुर ने ख्भ्770, बरेली ने ख्फ्म्ख्भ् और कानपुर ने दो लाख से ज्यादा की वसूली चालान काटने के बाद की है और उसकी जानकारी भी स्टेट टोबैको कंट्रोल सेल को भेजी है। कानपुर ऐसा जिला बन गया है जो अपने तेज तर्रार जिलाधिकारी देखरेख में अधिनियम का पालन करा रहा है। बाकी जिलों के जिलाधिकारियों ने कोटपा अधिनियम को लागू कराने की सुध नहीं ली। जिलों में की गई कार्रवाई की जानकारी स्टेट टोबैको सेल को देनी होती है।

कंट्रोल के लिए नहीं होती बैठक

सरकार ने सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट-ख्00फ् (कोटपा-ख्00फ्) को लागू करने के लिए प्रदेश में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। इसमें हेल्थ, वित्त, शिक्षा, एफएसडीए, ग्राम्य विकास, कृषि विकास, नगर विकास विभागों के प्रमुख सचिव और पुलिस व स्वास्थ्य महानिदेशक के साथ निदेशक सूचना इसके मेम्बर हैं। लेकिन ख्0क्ख् में इस कमेटी के गठन के साथ आज तक एक भी बैठक नहीं हुई। जिससे समझा जा सकता है कि अधिकारी टोबैको कंट्रोल के लिए कितने सजग हैं।

फंड की कमी से नहीं हो रहा पालन

केन्द्र सरकार भी अधिनियम का पालन कराने में इंट्रेस्ट नहीं ले रहा है। शायद इसी कारण तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ को ख्0क्ख् के बाद से फंड ही नहीं मिला। पिछले एक साल से स्टे सेल में कार्यरत तीन कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली। पुलिस महानिदेशक ट्रेनिंग ने सेल को पत्र लिखकर सभी पुलिस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स में लोगों को जागरूक करने को कहा था लेकिन सेल के कर्मचारी पैसे के अभाव में ट्रेनिंग देने नहीं जा सके। सतीश त्रिपाठी ने बताया कि हर जगह आने जाने और प्रचार सामग्री में काफी धन की आवश्यक्ता थी। जिसके कारण अब तक यह शुरू नहीं कर सकते हैं। यही नहीं सेल में कंट्रोल रूम के लिए 0भ्ख्ख्-ख्म्क्फ्9ख्फ् नम्बर भी बिल न जमा करने के कारण पिछले एक साल से डेड पड़ा है।

तो बनेगी बात

नेशनल हेल्थ मिशन के उप महाप्रबंधक एनसीडी सेल डॉ। एबी सिंह ने बताया कि प्रदेश में पान मसाला के छोटे पैकेटों को प्रतिबंधित करने से युवाओं में तंबाकू सेवन से रोका जाना सम्भव है। खुली सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाकर धूम्रपान करने वालों की संख्या में कमी लाई जा सकती है। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार ख्0क्क् में प्रदेश सरकार ने तंबाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज पर 7फ्फ्भ्.ब् करोड़ रुपए खर्च किए।