24 घंटे के अंदर इंजेक्शन की जांच की रिपोर्ट तैयार हो जाना लापरवाही की संभावना को दे रहा है बल

माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट कर रहा है इनकार, कहा रिपोर्ट की डेट लिखी गयी है गलत

VARANASI

जिस इंजेक्शन को लगाने से सात लोगों ने अपने आखों की रोशनी खो दी उस इंजेक्शन की जांच में लापरवाही की बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता। कम से कम कागजी सबूत तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। इंजेक्शन का कल्चर रिपोर्ट ख्ब् घंटे के अंदर तैयार हो जाना और रिपोर्ट में सैंपल के बैच नंबर आदि का जिक्र न होना लापरवाही की संभावना को व्यक्त करता है।

माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में हुई थी जांच

इंजेक्शन लगने से आंखों की रोशनी खोये लोगों के परिजनों की शिकायत के बाद आई डिपार्टमेंट ने संबधित इंजेक्शन को बीएचयू के माइक्रोबाइलॉजी डिपार्टमेंट में जांच के लिए भेजा। बतौर सैंपल इंजेक्शन का वायल ख्9 अक्टूबर को माइक्रोबायलॉजी डिपार्टमेंट को मिला। जांच की रिपोर्ट फ्0 जनवरी को तैयार कर दी गयी। रिपोर्ट में डेट का बाकायदा उल्लेख किया हुआ है। एक दिन के अंदर सैंपल की जांच (कल्चर) पूरी कर दी गयी जिसके लिए मिनिमम ब्8 से 7ख् घंटे लगते हैं। दूसरी बात की जांच रिपोर्ट में सैंपल इंजेक्शन के बैच नंबर, एक्सपायरी डेट आदि का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।

जांच की प्रक्रिया सावधानीपूर्वक पूरी की गई है। इसमें किसी भी तरह के लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है। जांच की रिपोर्ट ब्8 घंटे बाद ही तैयार की गई थी। रिपोर्ट जारी करने के डेट को लिखने में कुछ त्रुटि हुई है।

प्रो गोपाल नाथ, माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट, बीएचयू