- 15 साल सांसद और 10 साल केंद्रीय मंत्री रहने के बाद भी शहर की सूरत नहीं सुधार पाए श्रीप्रकाश

- सालों से लटके पड़े कई ब्रिज पब्लिक के लिए बने मुसीबत, एनओसी न मिलने से सालों रुका रहा काम

-शहर में नहीं लगा कोई बड़ा कारखाना या उद्योग, यूथ रोजगार के लिए घर छोड़ने को मजबूर

- गंगा को शहर के सीवर और टेनरियों के जहरीले पानी से बचाने के लिए भी कोई कदम नहीं

KANPUR: क्भ् साल तक लगातार सांसद। क्0 साल केंद्र में सरकार और इस दौरान क्0 साल तक लगातार केंद्र में मंत्री। किसी शहर का आधारभूत ढांचा बदलने और उसके संपूर्ण विकास के लिए इससे बेहतर संयोग नहीं हो सका। लेकिन ये दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि कांग्रेस कैंडीडेट और सांसद श्रीप्रकाश जायसवाल इस संयोग का कोई फायदा शहर को नहीं दे सके। सिटी की पॉपुलेशन लगातार बढ़ रही है लेकिन शहर पानी, बिजली, सड़क जैसी आधारभूत जरूरतों के लिए तरस रहा है। जिन फ्लाई ओवर्स और पुलों को छह महीने में बन जाना था वो छह साल बाद भी लटके हुए हैं। प्रदेश की औद्योगिक राजधानी होने के बाद भी शहर हवाई नक्शे से गायब है। भ्0 लाख की आबादी वाला शहर होने के बावजूद सेंट्रल से मुंबई, बंगलुरू, हैदराबाद, अहमदाबाद के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं है। पूरे शहर का सीवर और दर्जनों टेनरियों का जहरीला पानी न सिर्फ गंगा को प्रदूषित कर रहा है बल्कि आसपास की जमीनों को बंजर कर रहा है। लेकिन सांसद जी गंगा को बचाने के लिए कोई योजना नहीं ला सके। यूथ रोजगार की तलाश में घर छोड़कर दूसरे शहरों को जाने के लिए मजबूर हैं। क्0 साल मंत्री रहने के बाद भी श्रीप्रकाश शहर में कोई बड़ा कारखाना या उद्योग नहीं लगवा सके। जो मिलें थीं वो भी एक-एक कर के बंद हो गई। इसके बाद भी श्रीप्रकाश विकास के बड़े-बड़े दावों के साथ फिर मैदान में हैं। लेकिन पब्लिक का कहना है कि आखिर वो किस आधार पर वोट दें, और कितना वक्त चाहिए।

बस वादे ही करते रहे

कानपुर की जनता ने श्रीप्रकाश जायसवाल पर एक नहीं बल्कि तीन बार भरोसा जताया लेकिन वो जनता की उम्मीदें और उनसे किए गए वादों को पूरा नहीं कर सके। गोविंद नगर में रहने वाले बिजनेस मैन आकाश जुनेजा कहते हैं कि श्रीप्रकाश के कार्यकाल के दौरान जो डेवलपमेंट वर्क शुरू भी हुए वे दिखावा अधिक साबित हुए हैं। जिससे शहर पिछड़ता जा रहा है। सिटी से मात्र 80 किलोमीटर दूर बसे लखनऊ में ब्रिज 7 महीने में बन जाता है, लेकिन कानपुर में 7-7 साल बाद भी पूरे नहीं होते है। सीओडी क्रॉसिंग ब्रिज, रामादेवी फ्लाई ओवर जैसे इस बात के कई एग्जाम्पल हैं। बस वो हर बार दावे करते रहते हैं। जिधर लोग रुख करते हैं, आधे-अधूरे विकासकार्य मुश्किलों के पहाड़ खड़ा कर देते हैं। धूल- धक्कड़, ट्रैफिक जाम के रूप में खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इन्हीं वजहों से कानपुर को विश्व के क्0 सबसे प्रदूषित में से एक का खिताब जरूर मिल गया है।

सीओडी ब्रिज बन रहा या ताजमहल

सिटी की लाइफ लाइन जीटी रोड पर स्थित सीओडी क्रॉसिंग पर ब्रिज बनवाने का सपना सांसद श्रीप्रकाश जायसवाल ने करीब क्0 साल पहले कानपुराइट्स को दिखाया था। जनवरी, ख्008 में ब्रिज बनना शुरू हुआ, लेकिन म् साल बीतने के बावजूद भी अभी वे इस ब्रिज को पूरा नहीं बनवा सके हैं। कभी टू लेन तो कभी फोरलेन को लेकर रेलवे और केन्द्रीय सड़क परिवहन विभाग में खींचतान और कभी कांट्रैक्टर के भाग जाने के कारण ब्रिज का काम लंबे समय तक बन्द रहा। म् साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अभी तक सीओडी ब्रिज भ्0 परसेंट भी नहीं बन सका है। ब्रिज बनने की शुरूआत से पहले तो लोगों को केवल क्रॉसिंग बन्द होने पर रुकना पड़ता था लेकिन ब्रिज के निर्माण कार्य के चलते जाम की समस्या और भी बढ़ गई। यहीं नहीं लोगों को क्रॉसिंग के दोनों ओर खस्ताहाल सड़क के कारण धूल भी फांकनी पड़ रही है। आधा-अधूरा ये ब्रिज लंबे समय से लोगों की जेब भी खाली कर रहा है। रूट डायवर्ट किए जाने के नाम पर करीब फ् साल से रोडवेज बस में सफर करने वालों से किराया अधिक वसूला जा रहा है। सीओडी ब्रिज के इंस्पेक्शन के दौरान हर बार श्रीप्रकाश जायसवाल लोगों को एक नई समय सीमा का लॉलीपॉप थमाकर चल देते है। पीडब्ल्यूडी एनएच के ऑफिसर्स की मानें तो अभी तक केवल ब्0 फीसदी काम ही हो पाया है।

प्रोजेक्ट- सीओडी क्रॉसिंग ब्रिज

काम शुरू हुआ- जनवरी, 08

गाडि़यां गुजरती हैं -ख्.भ् लाख रोजाना

काम बंद हुआ- ख्009

लागत बढ़कर हुई - फ्ब् करोड़

फिर काम शुरू हुआ- ख्ख् जुलाई, ख्0क्0

कंप्लीशन टार्गेट- ख्क् जुलाई, ख्0क्ख्

फिर काम बन्द हुआ- ख्0क्फ्

प्रोग्रेस रिपोर्ट- भ्0 परसेंट भी नहीं

प्रोजेक्ट कास्ट बढ़कर हुई- ब्म् करोड़

9 साल में नही पूरा हुआ रामादेवी-जाजमऊ फ्लाइओर

रामादेवी से जाजमऊ का सफर कानपुराइट्स ही नहीं, बल्कि इस रास्ते से गुजरने वाले अन्य सिटी के लोगों के लिए भी मुश्किलों का पहाड़ साबित होता है। लोगों को तपती धूप में कई-कई घंटे तक जाम में फंसे रहना पड़ता है और धूल का गुबार अलग झेलना पड़ता है। इस सबकी मुख्य वजह रामादेवी से जाजमऊ एलीवेटेड रोड है जो 9 साल के बाद भी नहीं पूरी हो पाई। केवल ब्रिज बनाने में ही म् साल से अधिक समय लग गए। अलबत्ता इस बीच खस्ताहाल रोड के कारण कई लोगों को रोड एक्सीडेंट में जान जरूर गंवानी पड़ी। इसी एरिया में सांसद और मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का घर होने के बावजूद शायद उन्हें लोगों की चीख-पुकार नहीं सुनाई पड़ी। अभी भी कानपुर से लखनऊ के बीच सुहाने सफर के स्वप्न को धीमी रफ्तार से चल रहा एलीवेटेड रोड का सपना भयावह बना देता है। रामादेवी से जाजमऊ तक एलीवेटेड रोड और जाजमऊ में गंगा पर पैरलल ब्रिज का कार्य ख्00भ् में शुरू हुआ। तब इसकी प्रोजेक्ट कास्ट क्भ्9 करोड़ थी, धीमी रफ्तार के कारण ही अब प्रोजेक्ट कास्ट बढ़कर ख्00 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर नवीन मिश्रा के मुताबिक एलीवेटेड रोड का 7ख् परसेंट काम ही पूरा हुआ है।

प्रोजेक्ट- रामादेवी-जाजमऊ फ्लाई ओवर

काम शुरू हुआ काम- ख्00भ् दिसंबर

प्रोजेक्ट कॉस्ट- क्भ्9 करोड़

कंप्लीशन टार्गेट- ख्008

प्रोग्रेस रिपोर्ट- 7ख् परसेंट काम

प्रोजेक्ट कास्ट बढ़ी- ख्00 करोड़(लगभग)

एक एनओसी न दिला पाए

कानपुर को शुक्लागंज, उन्नाव और लखनऊ से जोड़ने वाला जर्जर शुक्लागंज गंगा ब्रिज अपनी उम्र पूरी कर चुका है। ट्रैफिक लोड अधिक होने के कारण दिन में कई बार पुल पर जबरदस्त जाम लगा रहता है। कानपुर के सांसद श्रीप्रकाश को जाम में फंसे कॉमनमैन, बिजनेसमैन और बीमार नजर नहीं आए, लेकिन तत्कालीन स्टेट की रूलिंग पार्टी के उन्नाव के सांसद के कानों तक ये समस्या जरूरी पहुंची। उन्होंने ना केवल स्टेट गवर्नमेंट से गोलाघाट के पास ब्रिज के लिए ख्ब् करोड़ पास कराए। अप्रैल, ख्008 में काम भी शुरू करा दिया। गंगा में फ्लड के बावजूद शुक्लागंज की तरफ से गंगा पर ब्रिज बनाने का काम भी तेजी से चलता रहा, लेकिन कानपुर साइड आते ही ये ब्रिज भी फंस गया। कैंट सीमा में आते ही डिफेंस मिनिस्ट्री की एनओसी ना होने के कारण ब्रिज हवा में लटक गया। इस बीच 90 परसेंट तक ब्रिज बन गया। शहर को कैबिनेट मिनिस्टर होने के बावजूद डिफेंस मिनिस्ट्री की एनओसी मिलने में करीब फ् वर्ष लग गए। डिफेंस मिनिस्ट्री की एनओसी और रेलवे के बजट ना रिलीज करने के कारण ही गंगाघाट स्पेशल, जयपुरिया क्रासिंग, खपरा मोहाल क्रासिंग पर रेलवे ओवर ब्रिज का प्रोजेक्ट लंबे समय से अटके रहे। जबकि खपरा मोहाल और गंगाघाट स्पेशल क्रॉसिंग पर ब्रिज(अप्रोच रोड) के लिए स्टेट गवर्नमेंट ने काफी समय पहले ही बजट रिलीज कर चुकी है। इसीतरह खस्ताहाल हमीरपुर रोड को फोरलेन करने का बजट तो पास हो गया लेकिन पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी न मिलने से कई साल काम शुरू नहीं हो पाया।

प्रोजेक्ट- गोलाघाट गंगा ब्रिज

काम शुरू - अप्रैल, ख्008

कंप्लीशन टार्गेट- जून, ख्0क्क्

प्रोजेक्ट कॉस्ट- ख्ब् करोड़

रिवाइज इस्टीमेट-फ्भ् करोड़

देरी की वजह-कानपुर साइड ब्रिज बनाने के लिए डिफेंस मिनिस्ट्री की एनओसी ना मिलना

अनवरगंज-कासगंज रेलवे लाइन फी फंसी

सिटी की लाइफ लाइन जीटी रोड के पैरलल गुजरने वाली अनवरगंज-रेलवे लाइन पर करीब क्भ् क्रॉसिंग है। ट्रेनें गुजरने पर ये क्रॉसिंग बन्द होती है तो जीटी रोड का ही नहीं, इससे कनेक्ट अन्य रोड्स पर ट्रैफिक जाम हो जाता है और नार्थ सिटी से साउथ सिटी का आवागमन लगभग ठप हो जाता है। लाखों लोग इसी वजह से जाम से जूझते हैं। यही वजह है कि लंबे समय से लोग अनवरगंज-कासगंज रेलवे लाइन हटाए जाने की मांग कर रहे हैं। सेंट्रल कोल मिनिस्टर ने इस समस्या का हल कराने का कई बार भरोसा दिलाया, लेकिन आज तक ना तो अनवरगंज-कासगंज रेलवे लाइन हटी और ना ही ट्रेनों का आवागमन का रुका। अलबत्ता इस रेलवे लाइन के इलेक्ट्रिफिकेशन से उनके वादे और दावे हवा हवाई साबित हुए।

ये क्रॉसिंग हैं नासूर

जरीबचौकी, गुमटी न.भ्, नजीराबाद, सर्वोदय नगर, गीता नगर, गुरूदेव पैलेस, आवास विकास कल्याणपुर, पनकी-कल्याणपुर रोड, आईआईटी, इम्प्लायमेंट एक्सचेंज, तेजाब मिल आदि