DEHRADUN : तमाम दावों के बावजूद दून में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बद से बदतर हैं। आलम यह है कि दून के 13 अस्पतालों में डॉक्टर्स ही नहीं हैं। इन अस्पतालों का जिम्मा नर्स, फार्मासिस्ट या फिर वार्ड ब्वॉय ने संभाल रखा है। ये सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन बड़े अस्पतालों की स्थिति भी दुरुस्त नहीं हैं, जिले में कुल डॉक्टर्स की जरूरत के हिसाब से 15 परसेंट डॉक्टर्स भी अस्पतालों में नहीं हैं। इन पीएचसी में नहीं डॉक्टर क्वांसी, भटाड़, मानथात, कोटी ढलाई, रुद्रपुर, सरोना, मयरावन, खबऊ, दसऊ, बुल्हाड़, कोटी कनासर, बिरमऊ, मुंधान। 3 पीएचसी वार्ड ब्वॉय के भरोसे जिले में तीन पीएचसी ऐसे भी हैं जो वार्ड ब्वॉय के भरोसे चल रहे हैं।

 

पीएचसी क्वांसी में सिर्फ एक वार्ड ब्वॉय कई महीनों से अकेला कर्मचारी है। भटाड़ में एक वार्ड ब्वॉय और एक सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि पीएचसी मानथात में वार्ड ब्वॉय और एएनएम हैं। पीएचसी कोटी ढलाई एक स्टाफ नर्स और एक असिस्टेंट के भरोसे है। दून में कितने अस्पताल मेडिकल कॉलेज 01 संयुक्त चिकित्सालय 04 सीएचसी 07 पीएचसी 20 दून की स्थिति जरूरत मंजूर पद नियुक्ति रिक्त पद डॉक्टर 1500 (लगभगग) फ्भ्फ् ख्क्9 क्फ्ब् नर्स ब्भ्00 (लगभग) 7ख्0 म्ब्भ् 8भ् मानक से बहुत कम डॉक्टर यदि जनसंख्या के अनुसार डॉक्टरों की संख्या देखी जाए तो यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से बहुत कम है। डब्ल्यूएचओ मानता है कि क्000 की जनसंख्या पर एक डॉक्टर होना जरूरी है। इस हिसाब से देहरादून जिले की आबादी वर्तमान में करीब क्भ् लाख आंकी गई है।

 

डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुसार प्राइवेट डॉक्टर मिलकर भी इस मानक को पूरा नहीं करते। नर्सिग स्टाफ भी कम जिले की क्भ् लाख की आबादी के हिसाब से अस्पतालों में बेड आदि की संख्या निर्धारित की जाए तो कम से कम फ्भ्00 नर्सिग स्टाफ की जरूरत पड़ेगी। मानकों के अनुसार जनरल वार्ड में म् बेड के लिए क् नर्सिग स्टाफ की जरूरत होगी। यानी म् बेड के लिए तीन शिफ्ट में तीन नर्स जरूरी हैं। आईसीयू में एक बेड पर एक नर्स का मानक तय है। इस मानक को भी देहरादून के सरकारी और प्राइवेट अस्पताल पूरा नहीं करते। सरकारी अस्पतालों में तो नर्सिग स्टाफ के केवल 7ख्0 पद ही मंजूर हैं। कुछ महीने पहले काफी स्टाफ पर्वतीय जिलों में भेजा गया है। नये डॉक्टर्स की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नई नियुक्तियों के बाद हमें जरूरतभर के डॉक्टर मिल जाएंगे। नर्सिंग स्टाफ की फिलहाल बहुत ज्यादा कमी नहीं हैं। -डॉ वाईएस थपलियाल, सीएमओ, देहरादून