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- BRD मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल में fire extinguisher लेकिन नहीं दी गई है चलाने की ट्रेनिंग

- जिला अस्पताल व महिला अस्पताल में है ही नहीं हाईड्रेंट की व्यवस्था

GORAKHPUR: केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में आग लगने के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या जिले के अस्पतालों में फायर फायटिंग सिस्टम की व्यवस्था है? यदि कहीं है तो आग लगने की स्थिति में आग बुझाने में यह कितना कारगर है? इसको लेकर कितने लोग प्रशिक्षित किए गए हैं? रविवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल का रिएलिटी चेक कर इन सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश की जिसमें ज्यादातर के जवाब ना में ही मिले। ऐसी हालत में यदि कोई अनहोनी इन जगहों पर होती है तो मरीजों की जान खतरे में होगी।

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1. बीआरडी मेडिकल कॉलेज

यहां फायर फाइटिंग सिस्टम तो है लेकिन आज तक इसका ट्रायल तक नहीं किया गया है। स्थिति इसी से समझा जा सकता है कि बीआरडी के ट्रॉमा सेंटर में शॉर्ट सर्किट से करीब चार बार आग लग चुकी है लेकिन कभी यह सिस्टम आग बुझाने में काम नहीं आया। कर्मचारियों ने ही आग बुझाई। ऐसे हालत में यदि आग लगी तो ऊंची इमारतों में भर्ती मरीजों को सुरक्षित निकाल पाना मुश्किल हो जाएगा।

यहां इतने मरीज हैं एडमिट

टोटल बेड एडमिट मरीज

950 600

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2. जिला अस्पताल

जिला अस्पताल में किसी भी डॉक्टर के कक्ष में फायर एक्सि्टंग्यूशर नहीं है। न्यू बिल्डिंग में सिर्फ स्टाफ नर्स रूम में दो एक्सि्टंग्यूशर लगे हैं। पूरे अस्पताल में सिर्फ दस एक्सि्टंग्यूशर लगाए गए हैं। अल्ट्रासाउंड, एक्सरे कक्ष कहीं भी इसकी व्यवस्था नहीं है। दवा भंडार कक्ष में है भी तो शो पीस। यहां किसी को नहीं पता कि यदि आग लग जाए तो सिस्टम का यूज कर कैसे आग बुझाएंगे।

इतने मरीज हैं एडमिट

वार्ड मरीज बेड

इमरजेंसी 22 40

मेल आर्थो 40 50

फिमेल आर्थो 14 30

बर्न, सर्जिकल-11 21

हृदय विभाग-- 09 09

इंसेफेलाइटिस आईसीयू- 10 ---12

फीमेल मेडिसीन--14---14

आई वार्ड----11---14

मेल मेडिसीन वार्ड--14---14

मेल सर्जिकल वार्ड--05---14

जनरल वार्ड---14---14

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3. जिला महिला अस्पताल

जिला महिला अस्पताल में कुछ जगहों पर फायर एंक्सि्टंग्यूशर है लेकिन हाईड्रेंट सिस्टम नहीं है। किसी भी वार्ड में आग बुझाने के लिए फायर पाइप लाइन तक नहीं बिछाई गई है। न्यू बिल्डिंग स्थित फीमेल मेडिसीन, मेल मेडिसीन, चिल्ड्रेन वार्ड, मेल सर्जिकल व जनरल वार्ड में फायर एंक्सि्टंग्यूशर तक नहीं हैं। हां, ऑपरेशन थिएटर में एक एंक्सि्टंग्यूशर है जो 2009 में ही लगा था जो शायद अब तक बेकार हो चुका है।

इतने मरीज हैं भर्ती

पीएनसी वार्ड----23

न्यू सर्जिकल----04

एनसी वार्ड-----14

एनएनयू-------01

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4. प्राइवेट नर्सिग होम

गवर्नमेंट हॉस्पिटल ही नहीं, प्राइवेट में भी फायर फायटिंग सिस्टम को लेकर कोई गंभीर नहीं है। जिले के 50 फीसदी प्राइवेट नर्सिंग होम में आग से बचाव के इंतजाम नहीं हैं जबकि ज्यादातर नर्सिग होम बहुमंजिली इमारतों में संचालित होते हैं। ऐसे में यदि आग लगी तो इन इमारतों से मरीजों को सुरक्षित निकालने में पसीने छूट जाएंगे। साथ ही आग पर काबू पाना भी खासा मुश्किल काम होगा।

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बॉक्स

यहां तो कोई व्यवस्था ही नहीं

स्वास्थ्य केन्द्र संख्या फायर फाइटिंग सिस्टम

पीएचसी 18 नहीं

एपीएचसी 58 नहीं

सीएचसी 13 नहीं

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वर्जन

अस्पताल में आग से बचाव के प्रबंध किए जा रहे हैं। अग्निशमन यंत्र लगवाए गए हैं। कुछ और जगहों पर लगाए जाने हैं, जो जल्द लगवा दिए जाएंगे। इसका पूरा ख्याल रखा जाता है कि आग जैसी घटना अस्पताल के अंदर न हो। सभी को सचेत कर दिया गया है।

डॉ। डीके सोनकर, एसआईसी, जिला अस्पताल

वर्जन

पहले अभियान चलाए गए थे। तकरीबन 50 फीसदी अस्पताल, चाहें व सरकारी हों या प्राइवेट, वहां आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं हैं। इनकी जांच कराई जाएगी। नोटिस दिया जाएगा। मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

डीके सिंह, मुख्य अग्निशमन अधिकारी