RANCHI: राजधानी के ट्रैफिक पोस्ट पर तैनात जवानों को पानी पीने पर पाबंदी लग गई है। यह पाबंदी डीआईजी रविकांत धान ने लगाई है। दरअसल, डीआईजी को सूचना मिली थी कि ट्रैफिक पोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मी मुफ्त में मिनरल वाटर पी रहे हैं। इसके बाद डीआईजी ने एसएसपी कुलदीप द्विवेदी, ट्रैफिक एसपी व ट्रैफिक डीएसपी से जवाब-तलब किया है। साथ ही साथ इसकी जांच रिपोर्ट एसएसपी से भी मांगी गई है। इधर, डीआईजी के इस फरमान के बाद ट्रैफिक पुलिस में हड़कंप मच गया। ये जवान अपने केबिन में पानी रखना तक छोड़ दिए हैं।

यह है मामला

जानकारी के मुताबिक, डीआइजी रविकांत धान को सूचना मिली कि राजधानी के विभिन्न चौक-चौराहों पर पदस्थापित पोस्ट के पुलिसकर्मी मुफ्त में मिनरल वाटर पी रहे हैं। सबसे पहले राजेंद्र चौक का मामला सामने आया। इस पर डीआईजी ने कहा कि कैसे पुलिसकर्मी मुफ्त में पानी पी सकते हैं। उन्हें यह नागवार गुजरा और इस पर जांच बैठा दी।

बोली एजेंसी-स्वेच्छा से देते हैं पानी

जब पुलिसकर्मियों को एजेंसी के लोग पानी देने पहुंची तो पुलिसकर्मियों ने पानी लेने से मना कर दिया। इसके बाद बात एजेंसी के ओनर तक पहुंची। उनलोगों ने इस संबंध में डीएसपी टू राधाप्रेम किशोर से मुलाकत की और पानी लेने का आग्रह किया। जब डीएसपी ने उन्हें बताया तो कहा गया कि ठीक है, अब हमलोग लिखित देते हैं। एजेंसी ने लिखित रूप से कहा है कि वे लोग ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को स्वेच्छा से पानी देते हैं, क्योंकि वे लोग दिन-रात तक लोगों की सेवा में जुटे रहते हैं।

व्यवस्था है नहीं, ड्यूटी क्फ् घंटे

जब आई नेक्स्ट ने शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर तैनात ट्रैफिक जवानों के मिनरल वाटर पीने पर पाबंदी के संबंध में पूछा, तो कहा गया कि राजधानी में फ्ब् पोस्ट हैं। उनमें से क्9 पोस्ट पर बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। जबकि वे लोग ड्यूटी क्ख् से क्फ् घंटे कर रहे हैं। उनकी कोई शिफ्ट भी नहीं होती, बल्कि वीवीआईपी मूवमेंट के साथ ड्यूटी बढ़ ही जाती है। पुलिसकर्मियों ने कहा कि सिर्फ पानी पर ही क्यों? पोस्ट पर न तो शौचालय है, न टॉयलेट, न कुर्सी, न पंखा, न टेबल और न ही छाता। ऐसे में ड्यूटी करना भी आसान नहीं है।

पानी पीने कैसे जाएं

यदि पोस्ट पर वे पानी नहीं रखेंगे, तो उन्हें होटलों, ढाबों के पानी पर निर्भर रहना होगा। ऐसे में जाम की स्थिति, वीवीआईपी मूवमेंट पर असर, एंटी क्राइम चेकिंग में अपराधी फरार, क्00 डायल की बातों को नहीं सुना जा सकता है।