-एक साल से डब्ल्यूआईएफएस योजना में नहीं आई आयरन टेबलेट्स

-दून में लडखड़ा रही हेल्थ मिशन की डब्लूआईएफएस योजना।

-स्कूली बच्चों में ब्लड की कमी दूर करने के लिए चलायी गयी भी योजना

- दून के स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर नहीं दी जा रही आयरन टेबलेट्स

DEHRADUN बच्चों में खून की कमी दूर करने के लिए शुरू की गई डब्ल्यूआईएफएस योजना खुद आयरन टेबलेट के लिए तरस रही है। हालात यह है कि एक साल से स्वास्थ्य विभाग के पास स्कूलों में बच्चों को बांटने के लिए आयरन टेबलेट ही नहीं है। इसके पीछे विभागीय अधिकारी केंद्र सरकार स्तर से सप्लाई न मिलने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं। वहीं केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई (डब्लूआईएफएस) वीकली आयरन फोलिक सप्लिमेंट योजना दून में लड़खड़ती हुई नजर आ रही है।

सालभर से नहीं मिली टेबलेट

केंद्र सरकार का डब्लूआईएफएस कार्यक्रम दून में पिछले एक साल से लड़खड़ा रहा है। दून जिले के किसी भी सरकारी स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों में आयरन की टेबलेट्स नहीं पहुंची है। इससे दून में कार्यक्रम की रफ्तार तो धीमी ही हुई है। ग‌र्ल्स के एनीमिक होने का भी खतरा मंडरा रहा है।

जरूरत से ज्यादा भेजी थी टेबलेट

स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी बताते हैं कि दून में कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष ख्0क्फ्-क्ब् में सीएमओ दफ्तर में एक बार ही ख्,ख्फ्,क्फ्,8म्म् करोड़ आयरन की टेबलेट भेजी गई। वहीं टेबलेट टारगेट से कई गुणा अधिक भेजी गई थी। इसके बाद अब तक कोई टेबलेट नहीं भेजी गई, जिस कारण स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों में ग‌र्ल्स को टेबलेट नहीं दिया जा रहा है।

यह है टारगेट

स्वास्थ्य विभाग की और से दून जिलों के म् ब्लॉकों में स्कूल स्तर पर क् लाख 9म् हजार ब्वॉय व ग‌र्ल्स को टेबलेट का कोर्स कराने का टारगेट है। वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों में 8क् हजार ग‌र्ल्स का टारगेट है। टेबलेट न पहुंचने के कारण ये सभी बच्चे योजना से वंचित हो रहे हैं।

भ्ख् गोलियों का है कोर्स

एनआरएचएम योजना के तहत चलाया गया डब्लूआईएफएस योजना में पूरा कोर्स प्रति बच्चे के लिए एक साल का है। इसमें ग‌र्ल्स-ब्वॉयस दोनों को एक साल में आयरन की कुल भ्ख् गोलियां का कोर्स कराया जाता है, जिसमें एक हफ्ते में एक गोली खिलानी जरूरी रहती है। स्कूलों में तो यह गोलियां ब्वॉयस व ग‌र्ल्स दोनों को दी जाती है, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से इन्हें उन बालिकाओं को दी जाती है। जो स्कूल नहीं जाती हैं।

क्9 वर्ष तक कराया जाता है कोर्स

कोर्स क्0 वर्ष से क्9 वर्ष तक के ग‌र्ल्स-ब्वॉयस के लिए कराया जाता है। इसके कोर्स का मेन मोटिव शुरुआत से ही बच्चों में ब्लड की मात्रा को संतुलित रखना है। वहीं योजना में इस कोर्स का ज्यादा फोकस ग‌र्ल्स पर है। क्योंकि ग‌र्ल्स में मेनसुरेशन पीरियडस ब्लड की मात्रा को असंतुलित करता है। इसलिए शुरुआती दौर से ही आयरन की टेबलेट खिलाने की योजना शुरू गई है।

यह है हिमोग्लोबिन का सही मानक

दून हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ.केसी पंत कहते हैं कि लड़कियों में हिमोग्लोबिन क्क् जीएम होना चाहिए, वहीं लड़कों पर क्ख् जीएम से अधिक होना चाहिए। जिन में इस मात्रा से कम हिमोग्लोबिन रहता है वे एनीमिया की श्रेणी में आते हैं। वहीं सरकार की ओर से भी आयरन की टेबलेट दी जाती है, जो हिमोग्लोि1बन को पूरा रखती है।

हिमोग्लोबिन हाेने पर बीमारी का खतरा

विशेषज्ञों की मानें तो बच्चे में खून की कमी होना भी कुपोषण का लक्षण है। ऐसी स्थिति में बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग पाता और उसके बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है। हांलाकि इसका एक कारण बच्चे को घर में संतुलित आहार न मिलना भी है। इसलिए परिजनों को यह सलाह दी जाती है कि बच्चों को भोजन में दाल के अलावा हरी सब्जियां भी देनी चाहिए। हरी सब्जियां देने से हिमोग्लोबिन की कमी पूरी हो जाती है।

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शीघ्र आएगी टेबलेट

केंद्र सरकार से आयरन की सप्लाई नहीं आई, इस कारण स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयरन की टेबलेट नहीं बांटी जा रही है। शीघ्र टेबलेट मिलने की उम्मीद है। एल्वेंडाजोल टेबलेट आ चुकी है, उसका वितरण भी शुरू कर दिया है।

एसपी अग्रवाल, सीएमओ देहरादून

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