RANCHI: राज्य में झारखंड पात्रता परीक्षा जेट का आयोजन नहीं होने से युवाओं के लेक्चरर बनने का सपना टूट रहा है। अलग राज्य बनने के बाद सिर्फ एक बार ही झारखंड में लेक्चरर के पदों पर बहाली हुई है, जबकि पिछले क्0 सालों में मात्र एक झारखंड एलिजिबिलिटी टेस्ट (जेट) भी जेपीएससी कंडक्ट करा सकती है। ऐसे में हायर एजुकेशन के टीचिंग फील्ड में करियर बनाने का सपना देख रहे स्टूडेंट्स को निराशा हाथ लग रही है। अब यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज में घंटे पर टीचर रखने की कवायद हो रही है, जिससे जेट व नेट क्वालिफाई कैंडिडेट्स को अपना करियर अंधकारमय नजर आ रहा है। इधर, उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव अजय कुमार ने बताया कि जेट का आयोजन कराने के लिए जेपीएससी को लिखा गया है।

जेट नहीं होने का क्या पड़ रहा असर

टीचर्स की भारी कमी

रांची विश्वविद्यालय पीजी छात्र संघ के अध्यक्ष तनुज खत्री ने बताया कि जेट की परीक्षा नहीं होने से युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है। यदि वर्ष ख्007 के बाद हर साल जेट का आयोजन होता तो विश्वविद्यालयों में हर साल शिक्षकों की बहाली होती और शिक्षकों की कमी नहीं रहती। इससे युवाओं को जहां रोजगार मिलता, वहीं शिक्षा की गुणवत्ता भी सुधरती। क्योंकि यह परीक्षा जेपीएससी लेता है।

नियुक्त पर लग रहा ग्रहण

जेट की परीक्षा नहीं होने के दुष्प्रभावों के बाबत रांची कॉलेज के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में बतौर जेआरएफ पढ़ा रहे सत्येंद्र यादव कहते हैं कि जेट की परीक्षा हर साल होने से झारखंड में व्याख्याता बनने का सपना देख रहे युवाओं के लिए मौके बढ़ते पर इस परीक्षा को विवादों में फंसाकर शिक्षकों की नियुक्ति पर ही ग्रहण लगा दिया गया।

स्थानीय युवाओं को झटका

वहीं इसी विभाग में जेआरएफ अजय लकड़ा ने बताया कि नेट नेशनल लेवल का एग्जाम है और यह टफ होता है। इसमें देश के हर राज्य से प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं इसलिए कॉम्पटीशन तगड़ा होता है। वहीं जेट होता तो इसमें केवल राज्य के ही प्रतिभागी हिस्सा लेते और युवाओं के लिए अवसर बढ़ते। जेट से एक फायदा और यह होगा कि इसमें राज्य के लोग ही क्वालिफाई करेंगे, तो स्थानीय लोग ही बहाल होकर आएंगे। और सबके साथ न्याय होगा।

लेक्चररशिप के लिए अनिवार्य है नेट या जेट

हाल ही में विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम में संशोधन कर सहायक प्रोफेसर में नियुक्ति के लिए नेट या जेट को अनिवार्य कर दिया है। संशोधित अधिनियम में हर साल झारखंड पात्रता परीक्षा का आयोजन करने का प्रावधान है। जेट परीक्षा में हिस्सा लेने के लिए पीजी में जेनरल कैटेगरी भ्भ् प्रतिशत मा‌र्क्स कंपलसरी है। हालांकि परीक्षा में शामिल होने के लिए उम्र सीमा की कोई बंदिश नहीं है। राज्य के पांचों विश्वविद्यालयों में व्याख्याताओं की बहाली के लिए रोस्टर क्लीयरेंस का काम पूरा हो गया है। इन यूनिवर्सिटीज में करीब क्800 प्रोफेसरों की बहाली होनी है।

दस सालों से नहीं हुआ है जेट

राज्य में बीते दस सालों से जेट की परीक्षा नहीं हुई है। झारखंड गठन होने के बाद से पहली बार जेट का आयोजन वर्ष ख्007 में हुआ था। परीक्षा जेपीएससी ने करायी थी। अनियमितता सामने आने के बाद यह परीक्षा विवादों में घिर गयी। इसके बाद से जेट परीक्षा नहीं हो सकी है., जबकि हर साल जेट का आयोजन किया जाना जरूरी है।