-दवाई आपूर्ति को लेकर तीन माह पूर्व खत्म हुए सरकार का अनुबंध

-बिना आवश्यक दवाइयों के चल रहे अस्पताल, दवाई को तरसे मरीज

मेरठ। बरसात से पूर्व सरकारी अस्पतालों में जहां इलाज व दवाइयों का पुख्ता इंतजाम किया जाना था, वहीं मरीजों के लिए दवाइयों का टोटा पड़ा है। इन अस्पतालों में दवाइयों के अभाव है.आलम यह है कि मरीजों को आम मर्जो की दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। नतीजा यह है कि मरीजों को निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ रहा है।

क्या है मामला

दरअसल, सरकारी अस्पतालों में दवाओं की सप्लाई का जो अनुबंध प्रदेश सरकार ने केन्द्र की संस्था केन्द्रीय औषधीय वितरण केन्द्र (सीएमएसडी) किया था, उसका कांट्रेक्ट रेट तीन माह पूर्व ही समाप्त हो गया। अनुबंध समाप्त होने के बाद न केवल हॉस्पिटल्स में दवाओं का अकाल पड़ गया, बल्कि शासन स्तर से इसके लिए कोई वैकल्पिक इंतजाम भी नहीं किए गए। नतीजा यह हुआ कि मेरठ समेत प्रदेश के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में दवाइयों का अकाल पड़ गया।

अस्पताल में खराब हालात

दवाइयों की कमी के कारण मेरठ के सभी सरकारी अस्पतालों में हालत गंभीर है। मरीजों को दवाई नहीं मिल पा रही है। बुधवार को ऐसा ही नजारा जिला अस्पताल में नजर आया। दवाइयों के अभाव में मरीज इधर से उधर भटकते नजर आए। पूर्वा महावीर से पहुंचे डायरिया पीडि़त पंकज चंडालिया ने बताया कि डॉक्टर ने सारी दवाएं बाहर से लिख दी। जब अस्पताल से ही दवाओं के विषय में पूछा गया तो उन्होंने दवा खत्म होने की बात कही।

वैकल्पिक व्यवस्था शून्य

दवाओं आपूर्ति का अनुबंध समाप्त हुए पूरे तीन माह हो गए, लेकिन विभाग की ओर से दवाओं का कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया गया। आलम यह है कि डॉक्टर जो दवा लिख रहे हैं, उनके बदले दूसरी दवाएं देकर काम चलाया जा रहा है। उधर, बारिश के बाद बुखार व डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ी है। लेकिन दवाओं की कमी के कारण मरीजों का प्रॉपर ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा है।

इन दवाइयों का है टोटा

-बी-कॉंपलेक्स

-अमिकासिन

-आई ब्रुफेन

-सेप्टोमिक्स सोडियम

-डॉक्सीलाइन कैप्सूल

-ओआरएस

कुछ कंपनियों से कांट्रेक्ट हो गया है। शेष का भी जल्द कर लिया जाएगा। अस्पताल में कुछ दवाओं को कमी है, जिनको शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा।

डॉ। सुनील कुमार गुप्ता, एसआईसी, स्वास्थ विभाग