स्लग: टेस्ट कराने से रिपोर्ट मिलने तक में छूट रहे पसीने, रात होते ही रजिस्ट्रेशन मशीन खराब

-हास्पिटल में हर जांच के लिए स्टाफ की करनी पड़ती है जी हुजूरी

-रेडियोलॉजी दूर होने से मरीजों की बढ़ी परेशानी

RANCHI (16 Sep): हार्ट ऑफ सिटी में स्थित सदर हास्पिटल अब ब्00 करोड़ का हास्पिटल बन चुका है। कहने को यह सुपरस्पेशियलिटी सुविधाओं से लैस है। लेकिन आज भी मरीजों को डॉक्टरों की लिखी दवाएं भी हास्पिटल में नहीं मिल पा रही हैं। वहीं जांच और रजिस्ट्रेशन के चक्कर में मरीजों के पसीने छूट जा रहे हैं। सबकुछ एक ही कैंपस में होने के बावजूद जांच कराना और फिर रिपोर्ट पाना किसी जंग जीतने से कम नहीं है। चूंकि जांच कराने के लिए टेक्निशियन और पारा मेडिकल्स के सामने काफी मिन्नतें जो करनी पड़ती हैं।

स्टाफ की मनमानी

हास्पिटल में आने वाले मरीजों को इलाज से पहले रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। ऐसे में हर मरीज रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही डॉक्टर से कंसल्ट करता है। लेकिन कुछ दिनों से मशीन पूरे दिन तो काम करती है। लेकिन रात होते ही काउंटर का स्टाफ मशीन खराब होने का बहाना बनाता है। इससे मरीजों को दौड़ लगानी पड़ती है।

टेस्ट कराना जंग जीतने जैसा

किसी भी मरीज के लिए सदर हास्पिटल में जांच कराना जंग जीतने से कम नहीं है। टेस्ट के लिए सैंपल तो लोग दे देते हैं, लेकिन रिपोर्ट के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है। बार-बार दौड़ने के बाद भी मरीजों को पूरी रिपोर्ट नहीं मिल पाती है। कई बार तो सैंपल लेकर फ्रीज में स्टोर कर दिया जाता है। जब मरीज रिपोर्ट लेने पहुंचता है, तो सैंपल को टेस्ट के लिए भेजा जाता है।

चलते-चलते एक्सरे बंद

दस साल पुरानी मशीन से मरीजों का एक्सरे किया जा रहा है। लेकिन मेंटेनेंस के नाम पर न तो मशीन की सर्विसिंग की जाती है और न ही देखने के लिए कोई एक्सपर्ट आता है। ऐसे में मशीन चलते-चलते ही बीच में बंद हो जाती है। जिससे कि मरीजों का एक्सरे नहीं हो पाता। जबकि कुछ मरीजों का एक्सरे करने में तीन-चार प्लेट भी बर्बाद हो जाते हैं।

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केस वन

दौड़ता रहा मरीज, नहीं मिली दवा

सुनिता शर्मा ने गायनेकोलॉजिस्ट से दिखाया। जहां डॉक्टर ने उन्हें पाइल्स की समस्या बताई। इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें चार दवाएं लिखीं। जब वह दवा लेने के लिए दवा वितरण केंद्र पहुंचीं, तो उन्हें बैरंग लौटा दिया गया। इसके बाद उन्हें सदर हास्पिटल की पुरानी बिल्डिंग स्थित दवा केंद्र में भी निराशा ही हाथ लगी।

केस टू

प्राइवेट मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ी दवा

शाहीन अख्तर को खांसी और चेस्ट में प्राब्लम थी। उन्होंने मेडिसीन के डॉक्टर से कंसल्ट किया। डॉक्टर ने उन्हें एंटी बायोटिक और कुछ दवाएं लिखीं। लेकिन उन्हें डिस्पेंसरी में केवल एंटी बायोटिक टैबलेट्स मिले। बाकी की दवाएं उन्होंने प्राइवेट मेडिकल स्टोर से खरीदी।

वर्जन

हमलोग हास्पिटल को व्यवस्थित करने के लिए काम कर रहे हैं। रजिस्ट्रेशन को लेकर परेशानी हो रही है, लेकिन सबकुछ सेंट्रली है तो व्यवस्था सुधरेगी। हमलोग इसे सुधारने के लिए जल्दी ही व्यवस्था करेंगे। दवाओं की खरीदारी के लिए भी डायरेक्टरेट को लिखा गया है। हमें भी इसके लिए कुछ पावर मिले हैं। दवा की भी सप्लाई जल्द शुरू हो जाएगी। जहां तक टेस्ट की बात है तो धीरे-धीरे वह भी व्यवस्थित हो जाएगा।

-डॉ। विजय कुमार सिंह, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, सदर हास्पिटल, रांची

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